एससीओ शिखर सम्मेलन (SCO Summit) के मौके पर 16 सितंबर को समरकंद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’ को जी-20 (G20) के मसौदे में शामिल किया गया है। बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन में दुनिया के नेता पीएम मोदी के बयान को दोहराएंगे कि आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए। इस दौरान परमाणु हथियारों के उपयोग के खतरों की भी निंदा की जाएगी।
वार्ता की जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों के अनुसार रूसी आक्रमण की आलोचना करने वाले शब्दों पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सदस्य देशों के बीच आम सहमति हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई।
यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा
ड्राफ्ट स्टेटमेंट में कहा गया है, ‘अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की और जोर देकर कहा कि यह भारी मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है।’ मसौदा बयान में कहा गया है, ‘परमाणु हथियारों के इस्तेमाल या इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है। संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान, संकटों को दूर करने के प्रयास, कूटनीत और संवाद महत्वपूर्ण हैं। आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए।’
रूस का युद्ध हर जगह कहर बरपा रहा है
सभी देशों के प्रतिनिधियों ने सोमवार की रात को विज्ञप्ति पर सहमति व्यक्त की थी, लेकिन मंगलवार की सुबह शुरू हुए दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में जी20 नेताओं द्वारा अभी हस्ताक्षर किए जाने बाकी हैं। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि G20 ‘यह स्पष्ट करेगा कि रूस का युद्ध हर जगह लोगों के लिए कहर बरपा रहा है।’
मसौदा विज्ञप्ति में कहा गया है कि यूक्रेन में युद्ध ‘विकास में बाधा, मुद्रास्फीति में वृद्धि, आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करना, ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा को बढ़ाना, और वित्तीय स्थिरता जोखिम को बढ़ाना’ है।
हमें दुनिया को विभाजित नहीं करना चाहिए
शिखर सम्मेलन के अपने उद्घाटन भाषण में, इंडोनेशियाई राष्ट्रपति, मेजबान जोको विडोडो ने साथी नेताओं को चेतावनी दी, “यदि युद्ध समाप्त नहीं होता है, तो भविष्य की जिम्मेदारी लेना हमारे लिए मुश्किल होगा। हमें दुनिया को विभाजित नहीं करना चाहिए। हमें दुनिया को एक और शीत युद्ध में गिरने नहीं देना चाहिए।’
शी जिनपिंग को करना पड़ रहा आलोचना का सामना
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करने से इंकार करने के लिए भारी अंतर्राष्ट्रीय आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। मंगलवार को अपने फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करने वाले शी ने यूक्रेन में शांति वार्ता और संघर्ष विराम के लिए चीन के आह्वान को दोहराया। चीनी नेता ने फ्रांस से चीन के ‘मूल हितों’ का सम्मान करने का भी आग्रह किया, जो ताइवान के लिए बीजिंग के दावों के बारे में बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय चिंता का एक संदर्भ है।
अमेरिका की परोक्ष रूप से निंदा करते हुए शी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फ्रांस यूरोपीय संघ को चीन के प्रति ‘स्वतंत्र’ नीति को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
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