पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को मोदी सरकार ने बैन कर दिया है। बावजूद इसके संभावना जताई जा रही है कि, PFI नाम बदल कर छात्रों को गुमराह कर रही है। इस संभावना पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मौलाना सुहैब कासमी ने दावा करते हुए कहा कि केंद्र सरकार भले ही पीएफआई पर शिकंजा कस दे। पर यह नए-नए नामों का प्रयोग कर छात्रों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है।
मुसलमानों को सलाह देते हुए मौलाना सुहैब कासमी ने कहा कि भारत एक शांतिपूर्ण देश है और मुसलमान यहां वर्षों से रह रहे हैं। छात्रों को पीएफआई जैसे संगठनों से सावधान रहने की जरूरत है।
शिक्षित मुसलमानों को निशाना बना रहा है PFI: सुहैब कासमी
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राष्ट्रीय संयोजक मौलाना सुहैब कासमी ने आगे कहाकि, PFI कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में शिक्षित मुसलमानों को निशाना बना रहा है। यह स्कूलों और मदरसों में युवाओं को गुमराह करना चाहता है। सरकार ने PFI की नीयत पर पानी फेर दिया और पीएफआई अब अपना काम करने के लिए आधुनिक नामों का इस्तेमाल कर रही है।
PFI पर पांच साल का बैन
PFI पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। हाल ही में एनआईए (NIA) ने कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों संग मिलकर पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं। गृह मंत्रालय ने पीएफआई को 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है। पीएफआई के साथ ही इसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है।
गृह मंत्री अमित शाह ने चेताया
शुक्रवार 30 दिसम्बर को गृह मंत्री अमित शाह ने कर्नाटक में एक मेगा सम्मेलन में सिद्धारमैया सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहाकि, जब सिद्धारमैया सरकार सत्ता में थी, तो पीएफआई कैडरों के खिलाफ 1,700 मामले वापस ले लिए गए थे। और अब, भाजपा सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है और इससे जुड़े लोगों को सलाखों के पीछे डाल दिया है।
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