राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के बैनर तले आंदोलन, संघर्ष समिति का गठन
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. शासनादेशों और माध्यमिक शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश के निर्देशों की अवहेलना से क्षुब्ध सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य और शिक्षक 22 मार्च को उप शिक्षा निदेशक, आगरा श्री मनोज कुमार गिरि के कार्यालय का घेराव करेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उ.प्र. के नेतृत्व में यह निर्णय 21 मार्च को नागरी प्रचारिणी सभा, आगरा में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ प्रवक्ता श्री महेश चन्द्र शर्मा ने की, जबकि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने प्रमुख शासनादेशों—12 जून 2024, 25 जून 2024 और 25 सितंबर 2024—को पढ़कर सुनाया और उनकी प्रतियां उपस्थित सदस्यों को दिखाईं।
शासनादेशों की अनदेखी, पेंशनर्स में आक्रोश
बैठक में बताया गया कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश ने 12 दिसंबर 2024, 13 फरवरी 2025 और 10 मार्च 2025 को विशेष अभियान के तहत संबंधित प्रकरणों के निस्तारण हेतु निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके, आगरा मंडल के पात्र सेवानिवृत्त प्रधानाचार्यों और शिक्षकों को नोशनल वेतनवृद्धि का लाभ देकर पेंशन एवं ग्रेच्युटी की गणना का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया।
उपस्थित सभी पेंशनर्स ने इस लापरवाही पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया और उप शिक्षा निदेशक श्री मनोज कुमार गिरि पर आरोप लगाया कि वे नियमित रूप से अपने कार्यालय में उपस्थित नहीं रहते, जिससे पेंशनर्स के हितों की अनदेखी हो रही है। बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई और आंदोलन की रणनीति पर विचार किया गया।
संघर्ष समिति का गठन, चरणबद्ध आंदोलन की तैयारी
घोषित आंदोलन को व्यवस्थित रूप देने के लिए एक संघर्ष समिति का गठन किया गया, जिसमें—
- डॉ. देवी सिंह नरवार को अध्यक्ष
- डॉ. कुंजिल सिंह चाहर को संयोजक
- अर्जुन सिंह चाहर, डॉ. योगेन्द्र सिंह, ओम प्रकाश जैन, शीलेन्द्र कुमार शर्मा एवं महेश चन्द्र शर्मा को सदस्य बनाया गया।
संघर्ष समिति ने यह निर्णय लिया कि 22 मार्च को अपराह्न 3 बजे मंडलीय उप शिक्षा निदेशक कार्यालय, आगरा पर सभी पेंशनर्स एकत्र होंगे और घेराव करेंगे। साथ ही, समिति चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगी।

बैठक में जुटे वरिष्ठ शिक्षाविद्, आंदोलन का समर्थन
बैठक में डॉ. योगेन्द्र सिंह, लोकेन्द्र सिंह सिकरवार, खेतपाल सिंह, रनवीर सिंह कसाना, अर्जुन सिंह चाहर, अशोक कुमार गुप्ता, एन.पी. शर्मा, काशीराम चाहर, जगदीश प्रसाद, जालिम सिंह, ओम प्रकाश जैन, शीलेन्द्र कुमार, फूल सिंह सिकरवार, रामेश्वर दयाल शर्मा, किशन लाल गुप्ता, बलवीर सिंह, गिरीश त्यागी, विजय पाल नरवार सहित कई प्रमुख शिक्षाविदों ने अपने विचार व्यक्त किए।

बैठक का संचालन श्री विजय पाल नरवार ने किया, जबकि संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने सभी पेंशनर्स से 22 मार्च को तीन बजे अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का आह्वान किया।
संपादक की टिप्पणी
शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की सेवानिवृत्ति के उपरांत मिलने वाले वित्तीय लाभों पर लापरवाही निश्चित ही चिंता का विषय है। शासनादेशों के बावजूद कार्यवाही न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है। पेंशनर्स ने संघर्ष का जो मार्ग चुना है, वह उनकी पीड़ा और हक की लड़ाई को दर्शाता है।
यह आवश्यक है कि प्रशासन संवेदनशीलता और तत्परता दिखाते हुए इस समस्या का समाधान करे। सेवानिवृत्त शिक्षकों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष न करना पड़े, यह सुनिश्चित करना शासन और शिक्षा विभाग दोनों की जिम्मेदारी है। यदि इनकी जायज़ मांगों को अनसुना किया जाता है, तो यह न केवल शिक्षकों का अपमान होगा, बल्कि भविष्य में एक नकारात्मक प्रशासनिक उदाहरण भी स्थापित करेगा।
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