चिनाब पर पनबिजली परियोजनाओं को पाक ने बताया जल संधि का ‘प्रत्यक्ष उल्लंघन’

चिनाब पर पनबिजली परियोजनाओं को पाक ने बताया जल संधि का ‘प्रत्यक्ष उल्लंघन’

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम्‍मू-कश्मीर यात्रा और चिनाब नदी पर रतले और क्वार पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिए आधारशिला रखने पर पाकिस्तान लाल हो गया है और उसने आपत्ति जताई है। पाकिस्‍तान का दावा है कि यह सिंधु जल संधि का ‘प्रत्यक्ष उल्लंघन’ था। इससे पहले अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद पीएम मोदी पहली बार सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रविवार को जम्मू-कश्मीर गए।
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने रतले और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी। किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर लगभग 5,300 करोड़ रुपये की लागत से 850 मेगावाट की परियोजना और उसी नदी पर 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना का निर्माण किया जाएगा। पाकिस्‍तान के विदेश कार्यालय ने प्रधानमंत्री मोदी की कश्मीर यात्रा को घाटी में ‘नकली सामान्य स्थिति दिखाने की एक और चाल’ करार दिया।
पनबिजली संयंत्र के निर्माण पर पाकिस्तान को आपत्ति
हिना रब्‍बानी खार के नेतृत्‍व वाले पाकिस्‍तानी विदेश कार्यालय ने रविवार रात एक बयान में कहा कि ‘पांच अगस्त 2019 के बाद से, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भारत द्वारा कश्मीर में वास्तविक अंतर्निहित मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए इस तरह के कई हताश प्रयासों को देखा है।’ पाकिस्तान ने कश्मीर में चिनाब नदी पर रतेल और क्वार पनबिजली परियोजनाओं (एचईपी) के निर्माण के लिए आधारशिला रखने की भी आलोचना की। विदेश कार्यालय ने कहा, ‘भारत द्वारा डिजाइन रतेल पनबिजली संयंत्र के निर्माण पर पाकिस्तान को आपत्ति रही है, और क्वार पनबिजली संयंत्र के लिए भारत ने अब तक पाकिस्तान के साथ जानकारी साझा करने के अपने संधि दायित्व को पूरा नहीं किया है।’
विदेश कार्यालय ने कहा, ‘पाकिस्तान भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा दो परियोजनाओं की आधारशिला रखने को 1960 की सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के सीधे उल्लंघन के रूप में देखता है।’ पाकिस्तान ने भारत से आईडब्ल्यूटी के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने और आईडब्ल्यूटी ढांचे के लिए हानिकारक कोई भी कदम उठाने से परहेज करने का आह्वान किया। विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 की सिंधु जल संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे। यह संधि दोनों देशों में बहने वाली सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग से संबंधित है।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh