पुण्‍यतिथि विशेष: भक्ति संगीत की पुरोधा पद्म श्री जुथिका रॉय

साहित्य


भक्ति संगीत की पुरोधा पद्म श्री जुथिका रॉय की आज पुण्‍यतिथि है। 20 अप्रैल 1929 को पश्‍चिम बंगाल के हावड़ा में जन्‍मी भारतीय भजन गायिका जुथिका रॉय की मृत्‍यु 05 फरवरी 2014 को कोलकाता में हुई।
जुथिका रॉय ने अपने चार दशक लम्बे कैरियर में 200 से अधिक हिन्दी और 100 से अधिक बंगाली गानों को आवाज़ दी। उन्होंने हिन्दी फ़िल्मों हेतु हिन्दी भक्ति संगीत भी रिकॉर्ड करवाये। जुथिका रॉय को 1972 में भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से पुरस्कृत किया गया था। जुथिका रॉय महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू की पसन्दीदा गायिकाओं में से एक थीं।
जुथिका रॉय ने छोटी आयु में ही गाना आरम्भ कर दिया था। जुथिका रॉय को ख्याति 1930 में मिली। इन्हें मीरा के मधुर भजनों के लिए ‘आधुनिक मीरा’ के नाम से भी जाना जाता था। वे जब 12 साल की थीं तब उन्होंने अपना पहला एलबम 1932 में रिकॉर्ड किया था। जुथिका रॉय की प्रतिभा को कवि क़ाज़ी नज़रुल इस्लाम तथा बंगाली संगीत निर्देशक कमल दास गुप्ता ने पहचाना था और ये दोनों ही उनके संरक्षक रहे। 1940 व 1950 में ये देश के चुनिंदा गायिकाओं में से एक थीं। इनके भजन ‘घुंघट के पट खोल’ और ‘पग घंघरू बांध मीरा नाची’ काफ़ी लोकप्रिय थे।
भारत की स्‍वतंत्रता के पहले दिन 15 अगस्त 1947 को नेहरूजी ने झंडा फहराने के साथ उनसे रेडियो पर लगातार गाने की विनती की थी। उन्हें नेहरू जी ने कहा था कि वे जब तक लाल क़िले पहुंचें और तिरंगा फहराएं, तब तक वे गाती रहें। यहीं नहीं, गांधीजी जब पुणे की जेल में थे तब उनके गाने हर दिन सुनते थे। वे हर सुबह प्रार्थना सभा की शुरूआत उनके ही गाने बजाकर करते थे। जुथिका रॉय ने दो बंगाली फिल्म ‘धुली’ और ‘रतनदीप’ में अपनी मधुर आवाज़ भी दी है।
जुथिका रॉय के प्रसिद्ध गीत
घुंघट के पट खोल
कन्हैया पे तन मन
पग घुंघुरू बांध मीरा नाची
तोरे अंगसे अंग मिलाके कन्हाई
मैं राम नाम की चुड़ियाँ पहेनु
मैं तो वारी जाऊँ राम
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh