नागरी प्रचारिणी सभा में सेंट जॉन्स कॉलेज की पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. मधुरिमा शर्मा का सम्मान
हिन्दीतर प्रदेशों के छात्रों को प्रमाणपत्र दिए गए, सोम ठाकुर, नीरज जैन, डॉ. मधुरिमा का उद्बोधन
डॉ. भानु प्रताप सिंह
आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। सूरदास, लल्लू लाल, रांगेय राघव, डॉ. रामविलास शर्मा, बाबू गुलाबराय, अम़ृतलाल नागर, द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी, राजेन्द्र यादव, सोम ठाकुर जैसी हस्तियों के शहर में हिन्दी दिवस मनाने के लिए सिर्फ दो दर्जन लोग आए। यह कहानी है 1911 में स्थापित नागरी प्रचारिणी सभा आगरा की।20 के करीब केन्द्रीय हिन्दी संस्थान में हिन्दी सीख रहे गैर हिन्दी भाषी प्रदेशों के विद्यार्थी थे। इस कारण पुस्तकालय सभागार भरा हुआ दिखाई दिया। हिन्दी भाषी प्रदेश के हिन्दी लेखकों से समृद्ध आगरा शहर में हिन्दी के प्रति इतनी उदासीनता देख हिन्दी को अवश्य ही रोना आया होगा। यह तो जो मैंने देखा वह अति संक्षेप में लिख दिया है। आगे की बात विज्ञप्ति पर आधारित है।
हिन्दी दिवस पर 14 सितम्बर को नागरी प्रचारिणी सभा आगरा में विचार गोष्ठी आयोजित की गई। इसमें सेन्ट जॉन्स कॉलेज, आगरा में हिन्दी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मधुरिमा शर्मा का सम्मानपत्र, शॉल और माल्यार्पण कर सम्मान किया गया। उनकी हिन्दी के प्रति की गई सेवाओं को सराहा गया। डॉ. मधुरिमा शर्मा ने कहा कि “हिन्दी हिन्दुस्तान की मातृभाषा ही नहीं यह भारत की अस्मिता और गौरव का भी प्रतीक है। वर्ष 1949 में हिंदी को संविधान सभा द्वारा भारत की राजभाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था।” उन्होंने अपने अनुभव सुनाए और कहा कि बच्चों को हिन्दी की वर्णमाला तक पता नहीं है। हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो अ से अनपढ़ से शुरू होकर ज्ञ से ज्ञानी बनाती है।

समारोह के मुख्य वक्ता आकाशवाणी, आगरा के निदेशक नीरज जैन ने अपने लम्बे सम्बोधन में कहा कि संस्कृत में संस्कृति हमारी, हिन्दी से हिन्दुस्तान है। उन्होंने सरकारी स्तर पर हिंदी के विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने काव्यपाठ भी किया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए सभा के मंत्री प्रो. चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि “हिन्दी बहुत ही प्रभावशाली और प्रेम से पूर्ण भाषा है। हिन्दी महज भाषा नहीं, हिन्दुस्तान की पहचान है। हिन्दी की एक ऐसी महाभाषा कह सकते हैं, जो विदेशों में बसे हिन्दी भाषी लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य करती है।
समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. सोम ठाकुर ने कहा कि हिन्दी सिर्फ हमारी भाषा नहीं, हमारी पहचान भी है। तो आइए हिन्दी बोलें, हिन्दी सीखों और हिन्दी सिखाएँ, सरल शब्दों में कहा जाए, तो जीवन की परिभाषा हिन्दी है। उन्होंने जागरण गीत सुनाया।

समारोह का संचालन करते हुए डॉ. मधु भारद्वाज ने कहा कि यह हिन्दी दिवस हिन्दी भाषा के महत्व और महत्ता पर ध्यान देने के साथ भारत की भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और जश्न मनाने के लिए है। ”
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी ने अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में कहा कि हिन्दी भारत में आधिकारिक भाषा है। दुनियाभर में 420 मिलियन से अधिक लोग हिन्दी को अपनी पहली भाषा के रूप में बोलते हैं, जबकि 120 मिलियन लोगों की दूसरी भाषा हिन्दी है।”
इस अवसर पर केन्द्रीय हिन्दी संस्थान से पधारे हिन्दीतर प्रदेशों के हिन्दी सीखने आए विद्यार्थियों का सम्मान अतिथियों के साथ डॉ. देवी सिंह नरवार, भुवनेश श्रोत्रिय, अशोक रावत, संजय गुप्त, प्रबंधन विषय में हिंदी मध्यम से शोध कर कीर्तिमान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह, महेश धाकड़ आदि ने किया। श्री भगवान सहाय ने सरस्वती वन्दना में आलीशान कोठी मांगी।
हिन्दी दिवस पर नागरी प्रचारिण सभा आगरा में केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के विद्यार्थियों के साथ समूह फोटो दूसरे कोण से।
इस अवसर पर, अशोक रावत, डॉ. भानु प्रताप सिंह, श्री संजय गुप्त, श्री प्रकाश गुप्ता, सुनीत गोस्वामी, अमर सिंह ‘अग्र’, देवेश वाजपेयी, डॉ. अनामिका शर्मा, श्रीमती किरण शर्मा, डॉ. वेद भारद्वाज, डॉ. विहारीलाल ‘बिटल’, श्री भुवनेश श्रोत्रिय, उमाशंकर पाराशर, श्री भोलानाथ सिंह, अनिल कुमार शर्मा, आनंद बंसल आदि की उपस्थिति उल्लेखीय रही।
हिन्दी दिवस पर सुनिए वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह की प्रसिद्ध कविता
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