यूपी उपचुनाव को लेकर भाजपा ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जबकि एक सीट रालोद के हिस्से भी गई है। इसके अलावा भाजपा के अन्य सहयोगी दलों को उपचुनाव में कोई सीट नहीं दी है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद दो सीटों की मांग कर रहे थे। इसको लेकर उन्होंने लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और सुनील बंसल से मुलाकात की। मगर उनके प्रस्तावों को भाजपा ने खारिज कर दिया।
भाजपा हाईकमान ने निषाद पार्टी को उपचुनाव में एक भी सीट नहीं दी। जिसके बाद अब लखनऊ में संजय निषाद के पोस्टर लगे हैं। पोस्टर में उन्हें ‘सत्ताईस के खेवनहार’ बताया है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय सिंह ने पांच कालीदास मार्ग मुख्यमंत्री आवास और बीजेपी ऑफिस के बाहर यह पोस्टर लगाए हैं।
संजय निषाद कटेहरी और मझवां सीट की मांग करते हुए लखनऊ से दिल्ली तक भाजपा नेताओं से मिलते रहे। जब लखनऊ में भाजपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बात नहीं बनी तब उन्होंने दिल्ली का रुख किया। बीते शनिवार को दिल्ली पहुंचे संजय निषाद चार दिन दिल्ली में रहे। उन्होंने सीटों का समझौता करने के लिए दिल्ली में डेरा डाल दिया। प्रस्ताव रखा कि मझवां और कटेहरी विधानसभा सीटों पर कैंडिडेट आपका सिंबल मेरा या फिर सिंबल आपका कैंडिडेट मेरा। मगर बात नहीं बनी। दोनों प्रस्ताव भाजपा हाईकमान ने खारिज कर दिए।
संजय निषाद ने बगावत करने का भी दिया था संकेत
13 अक्टूबर को हुई बैठक से नाराज संजय निषाद ने बगावत करने का भी संकेत दिया था। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी अपने ही सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी है। पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को नसीहत भी दे दी।
संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी को अपने गठबंधन का धर्म निभाना चाहिए। इसके तहत कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी को देनी चाहिए। उन्होंने उपचुनाव को लेकर चल रही सारी चर्चाओं को नकार दिया था। मगर अब उनके खाते में एक भी सीट नहीं है।
निषाद पार्टी गठबंधन का धर्म निभाएगी
भाजपा को नसीहत देने वाले संजय निषाद ने अब पैंतरा बदल लिया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि उपचुनाव में निषाद पार्टी कोई कैंडिडेट नहीं उतारेगी बल्कि गठबंधन का धर्म निभाएगी। सीट न मिलने पर उन्हें निषाद समाज भी याद आ गया। उन्होंने निषाद समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने और पार्टी कार्यकर्ताओं को समायोजित कर उनके हितों का ख्याल रखने का प्रस्ताव रखा है। साथ ही उन्होंने यह उम्मीद भी जताई है कि दिवाली के बाद निषाद समाज को एससी में शामिल करने पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। संजय निषाद को यह समझने में बहुत देर लगी कि उत्तर प्रदेश भाजपा संगठन ने उन्हें नकार दिया है। अंत में उनके पास समर्थन करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
साभार सहित
- दक्षिण कोरिया और रूस के दौरे से लौटकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिली आगरा की महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाहा, पढ़िए सीएम की प्रतिक्रिया - October 15, 2025
- आगरा खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र 2026: क्रिकेटर-शिक्षक तपेश शर्मा की नई पारी - October 14, 2025
- सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र मोक्ष धाम आगरा में 7 लाख रुपए में शिव प्रतिमा स्थापित, श्रद्धा और सौहार्द्र का संगम - October 13, 2025