dr bhanu pratap singh agra

क्या नेचुरोपैथी से भी बीमारियां छूमंतर हो रहीं, डॉ. पीके सिंह दे रहे हैं खास जानकारी, देखें वीडियो

HEALTH NATIONAL REGIONAL

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. देश के जाने-माने नेचुरोपैथिक फिजीशियन, न्यूट्रीशन एवं वेलनेस विशेषज्ञ डॉ. पीके सिंह एकमात्र ऐसे चिकित्सक हैं, जिनके लिए नाड़ी ही पैथालॉजी लैब है। वे नाड़ी देखकर पता लगा लेते हैं कि व्यक्ति को क्या-क्या बीमारियां है। आगे कौन सी बीमारियां होने वाली हैं, यह भी नाड़ी बताती है। दवा का असर है या नहीं, यह भी नाड़ी बोलती है। पैथालॉजी लैब में किसी जांच की जरूरत नहीं होती है। डॉ. पीके सिंह का कहना है कि नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा। स्वस्थ रहने की चिकित्सा। सामान्य से सामान्य और गंभीर से गंभीर रोगियों को स्वस्थ करने की चिकित्सा पद्धति। यहां तक कि पक्षाघात, कॉमा जैसी बीमारी भी ठीक हो जाती है। इसमें कोई इंजेक्शन नहीं लगाया जाता। कोई बोतल नहीं चढ़ाई जाती। उन्होंने ऐसी पद्धति का आविष्कार किया है जिसमें तत्काल लाभ होता है यानी महीनों इंतजार की आवश्यकता नहीं है। प्राकृतिक चिकित्सा की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अनेक आईएएस, आईपीएस, न्यायाधीश, प्रसिद्ध एलोपैथिक चिकित्सक भी डॉ. पीके सिंह की सेवाएं ले रहे हैं। लाइव स्टोरी टाइम के संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह ने नेचुरोपैथी पर डॉ. पीके सिंह से लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंशः

डॉ. भानु प्रताप सिंहः नेचुरोपैथी है क्या?

डॉ. पीके सिंहः हमारा शरीर पांच तत्वों से बना हुआ है। आकाश, पृथ्वी, जल, वायु और अग्नि। यही पांचों तत्व ब्रह्मांड में हैं। हमारे शरीर में जब पांच तत्व बैलेंस तो हम फिट रहते हैं, जब ये डिसबैलेंस तो त्रिदोष पैदा होते हैं- वात, पित्त, कफ रोग।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः वात, पित्त, कफ रोग क्या होते हैं?

डॉ. पीके सिंहः वात रोग होने पर शरीर में दर्द होगा। पित्त रोग में अम्ल बनने से पेट संबंधी रोग हो जाते हैं। कफ होने पर फेंफड़ों की समस्या पैदा हो जाती है। पिछले दो वर्ष में कोरोना काल में फेंफड़ों की समस्या है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः नेचुरोपैथी से इलाज कैसे करते हैं?

डॉ. पीके सिंहः नेचुरोपैथी भारत की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। प्राचीन नेचुरोपैथी में शरीर पर मिट्टी का लेपन और सूर्य स्नान आदि आता है। हम कुछ एडवांस काम करते हुए पांचों तत्वों को बैलेंस करते हैं। हम आहार पर ध्यान देते हैं। शरीर से विषाक्तता दूर करते हैं। ऐलोपैथी बैक्टीरिया और वायरस को मारने पर काम करती है। नेचुरोपैथी में बीमारी का मूल कारण टॉक्सिन होता है। जहां टॉक्सिन वहां बैक्टीरिया और वायरस, जहां ये वहां रोग। हम शरीर से इसी गंदगी को बाहर निकालते हैं। लिवर और किडनी का विषहरण (detoxified) करते हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः हार्ट, किडनी बीपी, एलर्जी, थायराइड, मनोरोग जैसी बीमारियों का भी इलाज है क्या?

डॉ. पीके सिंहः नेचुरोपैथी में इन सबका इलाज है। सारी बीमारियों की जड़ पेट है। पेट खराब है तो बीमारियां जोर मारती हैं। भोजन पच रहा है तो तंदरुस्ती बनेगी और सड़ रहा है तो 103 तरह के विष बनते हैं, जिसमें कोलेस्टेरॉल और यूरिक एसिड भी होता है। ये रक्त में जाकर विकार पैदा करते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने कहा कि मिट्टी का प्रयोग नहीं करते हैं तो फिर क्या करते हैं?

डॉ. पीके सिंहः कुछ नेचुरल फार्मूला तैयार किए गए हैं, जिन्हें पानी, दाल और पपीता में खिलाते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः ये फार्मूला क्या सीक्रेट हैं?

डॉ. पीके सिंहः जी हां। हम विभिन्न फार्मूलों से अर्क बनाते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः एलोपैथी इलाज इसलिए कराते हैं कि तुरंत लाभ होता है। नेचुरोपैथी में क्या स्थिति है?

डॉ. पीके सिंहः अवसाद का मरीज है तो उसे हम रिलेक्स फील कराते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या नेचुरोपैथी में खांसी, जुकाम, बुखार का इलाज है?

डॉ. पीके सिंहः बिलकुल है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः इस समय उल्टी-दस्त का प्रकोप चल रहा है, क्या इसका भी इलाज है?

डॉ. पीके सिंहः बिलकुल इलाज है। पहले मरीज अन्य पैथियों में जाता है। सब जगह से हारने के बाद अंत में नेचुरोपैथी में आता है। इस बात का हमें गर्व है कि मरीज सब जगह से हारकर हमारे पास आ रहा है और हम उसे ठीक कर रहे हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः किडनी रोग में सबसे बड़ी समस्या डायलिसिस है। उसमें कैसे काम करते हैं?

डॉ. पीके सिंहः एलोपैथी के साथ नेचुरोपैथी पद्धति से इलाज कराते रहें तो बहुत सुधार होता है। समय लगेगा लेकिन सुधार होगा।

Dr PK singh naturopathic
Dr PK singh naturopathic

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आप नाड़ी देखकर इलाज करते हैं। इसका क्या रहस्य है?

डॉ. पीके सिंहः हमारे इलाज का बेस नाड़ी है। नाड़ी खाली पेट देखी जाती है। नाड़ी से त्रिदोष और अन्य दिक्कतें पता चल जाती हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने दवा दी, फिर नाड़ी देखी तो क्या पता चल जाएगा कि दवा ने प्रभाव छोड़ा या नहीं।

डॉ. पीके सिंहः यस। मरीज भी अपने आप बताता है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः पैराइलाइज्ड मरीज को भी ठीक कर सकते हैं, अगर हां तो यह दावा है या मरीज ठीक किए हैं।

डॉ. पीके सिंहः कुछ मरीज ठीक किए हैं। मेरे यूट्यूब चैनल पर जाकर आप मरीजों के वीडियो देख सकते हैं। आगरा के अजीत शर्मा को वर्ष 2007 में पैरालाइसिस हुआ था, उन्हें दोबारा चलवा दिया है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जिन मरीजों को ऑपरेशन की सलाह दी गई है, क्या उनकी चिकित्सा नेचुरोपैथी से कर सकते हैं?

डॉ. पीके सिंहः बिलकुल कर सकते हैं। नेचुरोपैथी में आने के बाद 80 फीसदी मामलों में ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ती है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः महिला रोगों की क्या स्थिति है नेचुरोपैथी में?
डॉ. पीके सिंहः किचन से रोग बनते हैं और किचन से ही ठीक होते हैं। अगर महिलाओं को इस बारे में ज्ञान दे दिया जाए तो वे सबसे अच्छी चिकित्सक बन सकती हैं। अपने परिवार को स्वस्थ रख सकती हैं। नेचुरोपैथी स्वस्थ रहने का विज्ञान है। हम वेलनैस पर काम करते हैं और एलोपैथी इलनैस पर काम करती है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः नेचुरोपैथी क्या भारत सरकार से मान्यता प्राप्त है?

डॉ. पीके सिंहः बिलकुल मान्यता प्राप्त है। यह आयुष विभाग में आता है। उत्तर प्रदेश में नेचुरोपैथी का बोर्ड नहीं बना है। इसके लिए हम प्रयास कर रहे हैं। भारत में पांच चिकित्सा पद्धतियां मान्य हैं- आयुर्वेद, योगा और नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा तथा होम्योपैथी।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या नेचुरोपैथी के मेडिकल कॉलेज हैं?

डॉ. पीके सिंहः केरल, राजस्थान में काफी हैं। असल में कोरोना काल में नेचुरोपैथी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। आयुर्वेद के प्रति भी रुझान बढ़ा है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः कोरोना काल में आपने कुछ काम किया क्या?

डॉ. पीके सिंहः हमारे जितने पुराने मरीज हैं, उनकी प्रतिरक्षण क्षमता पर काम किया है। नेचुरोपैथी में सेल्फ हीलिंग पॉवर बढ़ाते हैं। हमने कोरोना संक्रमित मरीज नेचुरोपैथी से स्वस्थ किए हैं। अगर समय-समय पर स्वयं को विषहरण कराते रहें तो किसी भी तरह का रोग बनने की संभावना नहीं रहेगी।

Dr PK singh naturopathy
Dr PK singh naturopathy

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपने नेचुरोपैथी में नया शोध क्या किया है?
डॉ. पीके सिंहः हम अर्क आधारित दवा पर काम करते हैं। दवा के नेचुरल फार्मूले हैं, जिन्हें यहां खिलवाते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जो मरीज मुंह से दवा नहीं ले सकते हैं, उनका इलाज कैसे करते हैं?
डॉ. पीके सिंहः उनका इलाज स्पर्श चिकित्सा से करते हैं, जो नेचुरोपैथी में ही है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या झाड़-फूंक वाली चिकित्सा पद्धति कारगर है?

डॉ. पीके सिंहः अगर किसी ने सिद्ध किया है तो उसका फायदा बिलकुल मिलेगा। भारत में यह मान्य पद्धित है। आजकल कुछ लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः जिन्होंने इलाज नहीं कराया है, उन्हें नेचुरोपैथी में कोई विश्वास नहीं है। इस पर क्या कहना चाहते हैं?
डॉ. पीके सिंहः सबसे पहले नेचुरोपैथी को समझें। नेचुरोपैथी कहती है कि अपने शरीर को जान लो और आहार को पहचान लो।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः एलोपैथी और नेचुरोपैथी से इलाज पर व्यय में क्या अंतर है?
डॉ. पीके सिंहः ये हम कह सकते हैं कि एलोपैथी इमरजेंसी केस में बहुत कारगर है और लेना भी चाहिए लेकिन नेचुरोपैथी शरीर की आंतरिक सुरक्षा पर काम करती है। एलोपैथी रोगों को दबाने पर काम करती है। नेचुरोपैथी में ज्यादा खर्च नहीं है। हम निरोगी लाइफ देते हैं। अगर आप नेचुरोपैथी अपना रहे हैं तो बीपी आदि जैसी कोई समस्या नहीं होने वाली है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या कुछ वीआईपी भी नेचुरोपैथी से इलाज करा रहे हैं?
डॉ. पीके सिंहः मंत्री, विधायक, अधिकारी, जज आदि इलाज करा रहे हैं। एलोपैथ चिकित्सक भी हमें समझने लगे हैं। इस मंच से उनके नाम खोलना उचित नहीं है।

 

Dr Pk singh contact number 7417026707

Address- sector 9, awas vikas colony, near parshuram chowk and Laxmi palace marriage home, sikandra-bodla road, agra

Dr. Bhanu Pratap Singh