जीआईसी मैदान पर चल रहा है राष्ट्रीय पुस्तक मेला 2023, पांचवें दिन कवयित्रियों ने निकाली मन की भड़ास
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Agra, Uttar Pradesh, India. समय के बदलते दौर पर प्रहार करते हुए कवयित्री श्रुति सिन्हा ने अक्षरा साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पुस्तक मेले एवं साहित्यिक उत्सव के काव्य मंच पर अपनी पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने काव्य पाठ में कहा- “कपड़ों की तरह रिश्तों को बदलते देखा है
आदमी को हैवान होते देखा है।
जीआईसी मैदान पर आयोजित पुस्तक मेले के पांचवें दिन साहित्यिक मंच पर कवयित्रियों ने अपने काव्य पाठ से समसामयिक रचनाएं प्रस्तुत की। कवयित्री सम्मेलन का शुभारंभ मां शारदे की वंदना करते हुए डॉ. ज्योत्सना शर्मा ने कहा
“करते हैं वंदना हम मां शारदे तुम्हारी, हर हाल में तुम्हीं ने यह लेखनी संवारी
ऋतु गोयल ने अपने प्रकृति के प्रति जागरूक करते हुए कहृ
प्रकृति दहन करते हो तो डरते नहीं
मानवता हनन करते हो तो डरते नहीं
आज जब दिख गई है मौत तुमको,
क्यों भला गलती को याद करते नहीं।

कवयित्री निशि राज ने अपनी रचना में कहा
“हर किसी से ना शिकवा गिला कीजिए
दुश्मनों से भी हंसकर मिला कीजिए।
कंचन लता पांडे ने अपनी प्रस्तुति में कहा-
“एक तरफ चाहत तुम्हारी फतेह हिमालय शिखर
और फिर डरते भी हो कि राह में पत्थर बहुत हैं’।
ब्रज रंग को उड़ेलते हुए डॉ. राम रश्मि ने भगवान कृष्ण और राधिका के मिलन पर काव्य पाठ की प्रस्तुति में कहा
“श्याम तुम जो मिले राधिका हो गई
दीप से तुम जले वर्तिका हो गई।
मैंने जीवन समर्पित तुम्हीं को किया।
शब्दों में तुम ढले साधिका हो गई।
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डॉ ज्योत्सना शर्मा ने काव्य पाठ करते हुए अपनी रचना में कहा
एक टूटा मैं हमारा और कितने काम हैं
हर किसी के भाग्य में होते कहां विश्राम हैं।
यशोधरा यादव यशो ने कहा-
मुस्कुराती हुई जिंदगी बेटियां और बहती हुई एक नदी है बेटियां।
हौसला जो मिले आसमान चूम लें अप्सरा लोक की परी है बेटियां।
भावना वाजपेई ने काव्य पाठ में प्रेम रस बरसाते हुए कहा-
कोई सखी कह बोल उठी, सिय से सुन सुंदर मोहक प्यारी,
लागत है एक दीपक जोत करें, उजियार सभी यह क्यारी।।
पूजा आहूजा ने इन पंक्तियों के माध्यम से जीवन की सच्चाई की ओर इंगित किया –
नाच नाच नाच तू नाच जिंदगी नाच
मौत से लड़ती हुई अंतिम सांस पर ना ।
रीता शर्मा ने कहा-
यहां आपाधापी के मेले हैं मेले में मुखौटों के ठेले हैं।
सीना ही बाकी बचा रह गया पीठ के वार तो बहुत झेले हैं।
रानू बंसल ने कविता प्रस्तुत कर झूठ पर प्रहार किया।
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