MLC Election in UP डॉ. देवी सिंह नरवार राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उतरेगा प्रत्याशी, सलैक्शन एण्ड स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष बने
महासंघ ने ठोकी ताल – शिक्षक सीटों पर चुनावी बिगुल
लाइव स्टोरी टाइम
आगरा, उत्तर प्रदेश। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश ने यह ऐलान किया है कि वह विधान परिषद की छह शिक्षक सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारेगा।
इन सीटों के लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
महासंघ के संस्थापक
डॉ. देवी सिंह नरवार को सलेक्शन एण्ड स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि वरिष्ठ शिक्षक नेता एवं पूर्व अध्यक्ष श्री सन्तोष कुमार सिंह को संयोजक की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है।
नोएडा बैठक में बनी रणनीति
महासंघ के माध्यमिक संवर्ग के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अनूप शर्मा (अलीगढ़) ने इस निर्णय की घोषणा की।
नोएडा स्थित श्री सन्तोष कुमार सिंह के आवास पर हुई बैठक में एमएलसी प्रत्याशियों के चयन की बारीकियों पर
गहन विचार-विमर्श हुआ।
पारदर्शिता व संघर्ष होगा चयन का आधार
सलेक्शन कमेटी के अध्यक्ष डॉ. नरवार ने स्पष्ट किया कि प्रत्याशियों के चयन हेतु चार प्रमुख मानक तय किए गए हैं –
- शिक्षकों के बीच लोकप्रियता
- शिक्षकों के हितों के लिए किया गया संघर्ष
- महासंघ के प्रति निष्ठा
- स्वच्छ, ईमानदार छवि
मेरठ, आगरा और लखनऊ खण्ड शिक्षक सीटों पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय हो चुके हैं।
2026 चुनाव का काउंटडाउन शुरू
यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद की छह शिक्षक सीटें — मुरादाबाद, मेरठ, आगरा, लखनऊ, बनारस और गोरखपुर — पर नवंबर 2026 में चुनाव होना है।
निर्वाचन आयोग
30 सितम्बर 2025 को मतदाता सूची के लिए नोटिस जारी करेगा।
महासंघ ने अपने कार्यकर्ताओं को मतदाता बनाने की ज़िम्मेदारी सौंप दी है, जो 30 सितम्बर से ही शुरू हो जाएगी।
जयपुर अधिवेशन के बाद होगी घोषणा
महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन
5 से 7 अक्टूबर को जयपुर में किया जा रहा है।
इसी अधिवेशन के उपरांत,
15 अक्टूबर तक प्रत्याशियों की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी।
✍️ संपादकीय टिप्पणी
डॉ. देवी सिंह नरवार की कार्यकुशलता और दूरदर्शिता एक बार फिर सामने आई है। शिक्षक राजनीति में जहां अक्सर व्यक्तिगत हित और गुटबाज़ी हावी रहती है, वहीं डॉ. नरवार ने चयन प्रक्रिया को
लोकप्रियता, संघर्ष, निष्ठा और ईमानदारी जैसे ठोस मानकों पर आधारित कर पारदर्शिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
उनकी संगठन क्षमता, शिक्षकों के हितों के प्रति प्रतिबद्धता और निर्णय लेने की स्पष्ट शैली महासंघ को नई ऊर्जा और दिशा दे रही है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उनकी अगुवाई में महासंघ न केवल शिक्षकों की आवाज़ बनेगा बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक सशक्त और नैतिक विकल्प भी प्रस्तुत करेगा।
डॉ भानु प्रताप सिंह
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