उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे करवाया जा रहा है। मदरसों का सर्वे करवाए जाने पर जमकर राजनीति हो रही है। एक तरफ जहां कुछ मौलाना, मौलवी सर्वे में सहयोग कर रहे हैं तो कुछ मौलाना अब इस सर्वे को लेकर लोगों को भड़काना शुरू कर दिया है। उलेमा मौलाना साजिद रशीदी ने सर्वे करने के लिए आने पर लोगों का जूते-चप्पल से स्वागत करने की बात कही है।
जूते-चप्पल से करें स्वागत
मीडिया से बात करते हुए मौलाना साजिद रशीदी ने कहा है कि वह मदरसों से अपील करते हैं कि नोटिस लेकर आने वाले सर्वे टीम का वे स्वागत ‘चप्पल-जूते’ से करें। वे सर्वे टीम को 2009 का कानून भी दिखाएं। मौलाना ने यह भी कहा है कि जो मदरसे सरकार की मदद से चल रहे हैं उनका सर्वे करवाइए, उनका आधुनिकीकरण कीजिए, जो चाहे वो कीजिए यह आपका अधिकार है लेकिन जो भी प्राइवेट मदरसों का सर्वे करने के लिए आएं उन्हें 2009 का कानून दिखाकर चप्पल-जूते से स्वागत करें।
मुसलमान बहुत बर्दाश्त कर रहा है
मौलाना ने कहा कि मदरसे मान्यता प्राप्त नहीं होते हैं उसका सरकार से क्या लेना देना? हमें तो उसमें कुरआन पढ़ानी है। हमें इमाम पैदा करने हैं, हमें मौलवी पैदा करने हैं। देश के संविधान ने कहा कि हमें मजहब पर आजादी के साथ अमल करने और प्रचार प्रसार करने की इजाजत है तो सरकार से किस बात की परमीशन लेनी है कि हम कुरआन पढ़ाएं या नहीं पढ़ाएं। हम पागल हैं क्या, हमें संविधान का ज्ञान नहीं है क्या? मौलाना ने यह भी कहा कि मुसलमान बहुत बर्दाश्त कर रहा है, जब मुसलमान अपने हक़ के लिए खड़ा होगा तो यह सरकार अपने आप को नहीं बचा पायेगी।
योगी सरकार के पूर्व मंत्री बोले, मौलाना पर होगी कार्रवाई
मौलाना रशीदी के बयान पर यूपी सरकार के पूर्व मंत्री मोहसिन रजा भड़क गए। उन्होंने कहा कि रशीदी के बयान छात्रों एवं मदरसों को भड़काने वाले हैं। सर्वे के जरिए सरकार मदरसों का भला करना चाहती है लेकिन इस तरह के बयान सरकार को कड़ा रुख अपनाने के लिए बाध्य करते हैं। रजा ने यह भी कहा है कि इस तरह के बयान के लिए रशीदी पर कार्रवाई होगी। राशिद जैसे लोग यदि इस तरह के बयान दे रहे हैं तो सर्वे बहुत जरूरी हो गया है।
बता दें कि मदरसों की हालत में सुधार और आधुनिकीकरण के लिए योगी सरकार ने निजी मदरसों का भी सर्वे करवाने का फैसला किया है। सर्वे के लिए बनाई गईं दस टीमें यह पता लगाएंगी कि मदरसे मान्यता प्राप्त हैं कि नहीं। मदरसे की इमारत अपनी है या किराये की, मदरसों में छात्र-छात्राओं की संख्या कितनी है, जैसी तमाम जानकारी को एकत्रित किया जाएगा। इस सर्वे को पूरा कर 25 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष पेश करनी है। इसी पर अब विवाद खड़ा हो गया है।
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