आगरा: विश्व मानचित्र पर ताजनगरी आगरा का नाम मोहब्बत की निशानी ताज महल से पहले पायदान पर है । मगर ताज महल बनने से पहले भी आगरा का अपना धार्मिक महत्व रहा है । पुरातन काल में आगरा को अग्रवन के नाम से जाना जाता था। जिसका उल्लेख अनेक इतिहासकारो ने अपनी किताबो में किया है ।
बृज भूमि में समाहित आगरा के धार्मिक महत्व आगरा में स्थित अनेक शिवालय भी बयान करते है । आगरा में बटेश्वर में बनी पूरी शिव मंदिरों की श्रृंखला हो या आगरा के चारो कोनो में स्थापित प्राचीन शिवालय हो सभी आगरा के पुरातन धार्मिक महत्व और धार्मिकता को दर्शाने के परिपूर्ण है ।
तो आइए आज हम आगरा के चारो कोनो में स्थित प्रमुख प्राचीन शिवालयों के बारे में जानते है ।
श्री मन:कामेश्वर मंदिर : भोले बाबा ने किया था यहां विश्राम भगवान श्रीकृष्ण जब नंदबाबा के यहां पहुंचकर बाल लीलाएं कर रहे थे, तो भगवान भोलेनाथ उनकी लीला देखने के लिए पृथ्वी पर आए। उन्होंने जिस स्थान पर विश्राम किया, वहीं पर मन:कामेश्वर मंदिर है। यहां महा शिवरात्रि का पर्व भगवान भोलेनाथ के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
श्री राजेश्वर महादेव मंदिर : 850 वर्ष पहले बनाया गया
राजाखेड़ा के एक साहूकार इस शिविलंग को मध्य प्रदेश से नर्मदा नदी से लाए थे। वह राजाखेड़ा जा रहे थे। रात में राजपुर चुंगी पर रुके, स्वप्न आया कि मंदिर स्थापना यहीं की जाए। उन्होंने विश्वास नहीं किया लेकिन शिवलिंग को तमाम कोशिश कर भी ले जा नहीं पाए। बाद में यहीं पर मंदिर का निर्माण हुआ।
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श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर : महाराज पृथ्वीराज चौहान ने बनावाया
किवदंती है कि पृथ्वीराज चौहान यहां आराम करने के लिए रुके तो उन्हें गड़ा शिवलिंग मिला। खोदाई के बाद भी शिवलिंग का दूसरा छोर नहीं मिला। उन्होंने मंदिर की स्थापना करा दी। उनके नाम पर नाम पड़ा प्रथ्वीनाथ महादेव मंदिर।
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श्री बल्केश्वर महादेव मंदिर :चंदन और केसर से होता है। यमुना तट पर स्थित इस मंदिर का प्राचीन नाम बिल्वकेश्वर महादेव मंदिर है। पहले यहां बेलपत्र का जंगल था। 700 साल पहले शिवलिंग प्रकट हुआ। इसके बाद मंदिर की स्थापना की गई। यहां शिवलिंग का श्रृंगार चंदन और केसर से किया जाता है। हर सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
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श्री कैलाश महादेव मंदिर : महर्षि परशुराम ने की स्थापना । पौराणिक इतिहास यह है कि त्रेतायुग में महर्षि परशुराम और उनके पिता जमदग्नि की कैलाश पर्वत से एक एक शिवलिंग ले आए थे। इसी कारण नाम पड़ा कैलाशधाम। मंदिर में दोनों शिवलिंग स्थापित हैं।
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