किसान आंदोलनः किसानों के साथ दिखने की होड में दूसरे राजनीतिक दलों पर भारी पड रहे सपाई

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। जारी किसान आंदोलन में किसानों के साथ दिखने की होड में सपाई दूसरे राजनीतिक दलों पर भारी पड रहे हैं। किसान संगठनों के विरोध को छोड दिया जाये तो समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता ही नियमित और प्रभावी विरोध दर्ज करा सके हैं।

राजनीतिक दलों ने किसान हितैषी दिखने के लिए हूंकार भरी थी

कृषि कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर आंदोलित किसानों का साथ देने का फैसला लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने किया है। किसान आंदोलन की शुरूआत में कांग्रेस, रालोद, सपा, बसपा, आम आमदी पार्टी सहित दूसरी छोटे बडे राजनीतिक दलों ने हूंकार भरी थी। आंदोलित किसान संगठनों के बंद की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों ने किसान हितैषी दिखने के लिए हूंकार भरी थी। रालोद ने कैंप कार्यालय पर किसानों की पार्टी होने का दावा करते हुए लम्बी चौड़ी रणनीति का खुलासा किया था। वहीं कांग्रेस बयानबाजी में कहीं पीछे नहीं थी। बसपा की ओर से सडक पर अभी तक किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया जनपद में इस आंदोलन को लेकर नहीं दिखी। बसपा नेता मौखिक रूप से आंदोलनकारियों का सहयोग कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी का जनाधार जनपद में अभी इतना ही है कि वह नैतिकरूप से अपनी जिम्मेदारी निभा सके। इस बीच समाजवादी पार्टी की ओर से आंदोलन को समर्थन देने के लिए किसी तरह के कोई लम्बे चौड़े वायदे नहीं किये गये थे, लेकिन सडक पर इस आंदोलन में सपा सबसे ज्यादा संघर्ष करती दिख रही है।

सपा नेताओं को पुलिस ने घर पर ही नजरबंद करने का फैसला किया है

डीगगेट से शुरू हुआ सपाईयों की गिरफ्तारी का सिलसिला बदस्तूर जारी है। भारत बंद के एक दिन पहले सपाईयों ने डीग गेट पर प्रदर्शन कर गिरफ्तारी दी थी। इसके बाद जिले की सभी तहसीलों में सपा का आंदोलन पहुंचा और गिरफ्तारियां दीं। रविवार को भी नंदगांव में सपाईयों ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया और 36 सपा कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दीं। सोमवार को कलैक्ट्रेट पर प्रदर्शन के अलावा जगह-जगह सपा कार्यकर्ताओं ने आंदोलन किया। सपाईयों की धार को कुंद करने के लिए सपा नेताओं को पुलिस ने घर पर ही नजरबंद करने का फैसला किया है। बडे नेताओं को अब घर ने निकलने नहीं देने की रणनीति पर जिला प्रशासन काम कर रहा है।

कांग्रेस की साख पर लग रहा बट्टा
किसान आंदोलन की हिमायती रही कांग्रेस की साख पर इस आंदोलन में बट्टा लग रहा है। कांग्रेस की सबसे बडी कमजोर संगठन के पास कार्यकर्ताओं की कमी रही है। हालांकि जिलाध्यक्ष दीपक चौधरी गांव से आते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी पकड भी है लेकिन इस आंदोलन में वह किसानों के साथ अभी तक कांग्रेस का तारतम्य नहीं बिठा सके हैं। यहां तक कि खुद प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू भी इस दौरान मथुरा में आकर कार्यकर्ताओं में जोश जगाने का प्रयास कर चुके हैं। कांग्रेस के आंदोलन में चुनिंदा चेहरे ही नजर आ रहे हैं।

सडक पर उतरने से परहेज कर रही बसपा
किसान आंदोलन में बसपा का भी किसानों का समर्थन रहा है, लेकिन पार्टी सडक पर उतरने से परहेज करती दिख रही है। बसपा नेताओं की बयानबाजी भी इस मुद्दे पर बेहद संयमित रही है। पार्टी के जमीन से जुडे नेता भी आंदोलन को लगभग तटस्थ भाव से ही अब तक देखते आ रहे हैं। यहां तक कि मांट क्षेत्र में शानदार जनाधार रखने वाले विधायक प. श्यामसुंदर शर्मा भी लगभग मौन साधे हुए हैं।

रालोद की हुई है अबतक किरकिरी
अगर किसी राजनीतिक दल का इस आंदोलन में सबसे ज्यादा घाटा अब तक होते हुए दिख रहा है तो वह रालोद का है। बंद का समर्थन करने के लिए लम्बी चौड़ी रणनीति का खुलासा करने वाली रालोद बंद के दिन होलीगेट को छूतक नहीं सकी थी। इक्का-दुक्का प्रदर्शन ही रालोद के हिस्से में आये है। प्रभावी नेतृत्व की कमी से जूझ रही रालोद को यहां भी लगभग मुहं की ही खानी पड रही है। यह हाल तब है जब रालोद खुद को मथुरा में सबसे ज्यादा जनाधार वाली पार्टी मानती रही है।

किसान आंदोलनः सपाईयों ने जिला मुख्यालय पर फूंका मुख्यमंत्री का पुतला

मथुरा। पुलिस के रोके जाने और जगह-जगह नेताओं को नजरबंद किये जाने क बावजूद बडी संख्या में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता कलक्ट्रेट पर पहुंच गये। भारी संख्या में मौके पर पुलिस बल मौजूद था। इसके बावजूद सपाईयों ने मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों में बडी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं।

गिरफ्तार सपाईयों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन की कार्रवाही की गई है

प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर लोकतंत्र का दमन करने का अरोप लगाया। पुतला को लेकर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच छीना छपटी भी हुई इस दौरान प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते रहे। गिरफ्तार सपाईयों के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन की कार्रवाही की गई है। दूसरी ओर पुलिस ने रणनीति के तहत आंदोलनकारियों को कलक्ट्रेट तक पहुंचने से रोकने की रणनीति बनाई थी। इसी के तहत हर तिराहे चैराहे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने जा रहे सपाईयों को पुलिस ने बीएसए कॉलेज के सामने से गिरफ्तार कर लिया, गिरफ्तार सपाईयों में पवन चौधरी, राघवेंद्र, मुन्ना मलिक, आरिफ कुरैसी आदि थे। वहीं बडे नेताओं को पुलिस ने घर पर ही नजरबंद कर दिया था। गोवर्धन क्षेत्र में आंदोलन की बागडोर सम्हाल रहे सपा नेता प्रदीप चौधरी को घर पर ही पुलिस ने नजरबंद कर दिया था। इससे नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने उनके घर के आगे मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर नारेबाजी की।

Dr. Bhanu Pratap Singh