Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। कम उम्र में जाने-अनजाने में अपराध कर अपनी आजादी खो देने वाले किशोरों का दम राजकीय संप्रेषण गृह में भी घुटने लगा है। यहां क्षमता से करीब चार गुना किशोरों को रखा गया है। संप्रेक्षण गृह में चिकित्सक की नियमित व्यवस्था नहीं है। क्षमता से करीब चार गुना बाल कैदी संप्रेक्षण गृह में रखे गये हैं। नव निर्मित संप्रेक्षण गृह की क्षमता 30 बाल कैदियों को रखने की है। 30 के स्थान पर 106 बाल कैदे रखे गये हैं। इससे भी समस्या पैदा हो रही है। पकडे गये कैदियों ने अधिकारियों को भागने का जो कारण बताया है वह भी काफी चौंकाने वाला है। पकडे गये बाल कैदियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें बेहद खराब खाना दिया जा रहा है। इसको लेकर वह शिकायत करते रहे हैं। भागने से एक दिन पहले भूख हडताल भी की थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस के किशोर रखे गए हैं
जिलाधिकारी आवास से कुछ दूरी पर बने राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) में मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस के किशोर रखे गए हैं। ऐसे में इन्हें यहां रहने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पुराने संप्रेक्षण गृह जितनी भी क्षमता इस नये संप्रेक्षण गृह की नहीं रखी गई है
यह समस्या नये संप्रेक्षण गृह के निर्माण और इससे पहले से जारी है। पुराना संप्रेक्षण गृह बीएसए कॉलेज और भूतेश्वर चौराहे के बीच कंकाली टीले के पास एक प्राइवेट बिल्डंग में बना था। वहां भी क्षमता से अधिक बच्चों के रखे जाने की समस्या थी। इसी को ध्यान में रखते हुए नये संप्रेक्षण गृह का निर्माण कराया गया था, जब संप्रेक्षण गृह तैयार किया जा रहा था उस समय भी पुराने संप्रेक्षण गृह में जितने बाल कैदी थे उतनी भी क्षमता इस नये संप्रेक्षण गृह की नहीं रखी गई है।
संप्रेक्षण घर में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था भी नहीं है
बीते 25 नवंबर 2017 को तत्कालीन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की अगुआई में एक दल ने इसका निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट में भी यहां क्षमता से अधिक बच्चों को रखने की बात कही थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि यहां तीन शौचालय और एक स्नानघर है। इसके साथ ही रहने के लिए भी सिर्फ छह कमरे हैं, जिनमें तख्त बिछे हुए हैं। यहां 12 से लेकर 18 साल तक के किशोर हैं। संप्रेक्षण घर में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था भी नहीं है। संप्रेक्षण गृह के तत्कालीन अधीक्षक श्रीराम वर्मा का कहना था कि क्षमता से अधिक बच्चों के बारे में माननीय न्यायालय और सक्षम अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है। बच्चों को बीमारियों के सवाल पर उनका कहना है कि उन्हें समय-समय पर दवा दी जा रही है। डाक्टर नियमित जांच को आते हैं, लेकिन पर्याप्त धूप न मिलने से कभी-कभार समस्या होती है।
106 बाल कैदियों के लिए सिर्फ एक बाथरूम, तीन शौचालय
बाल संरक्षण गृह में किस हालत में बच्चे रह रहे होंगे इस का अनुमान इससे भी लगाया जा सकता है कि 106 बाल कैदियों के लिए सिर्फ एक बाथरूम हैं व तीन शौचालय हैं। ऐसी स्थिति में शौचालय और बाथरूम में साफ सफाई की व्यवस्था रख पाना भी संभव नहीं है। गर्मी और उमस के मौसम में एक की जगह में चार बाल कैदियों के रहने पर दिक्कत बढ जाती है। इसके बावजूद सुरक्षा व्यवस्था भी लचर रही है।
कई दिन से बच्चे हंगामा मचा रहे थे
बाल संप्रेक्षण गृह, केयर टेकर : हरीशचंद ने बताया कि संप्रेक्षण गृह की क्षमता 30 की है, 106 रखे गये हैं। सब 302, 373 जैसे गंभीर अपराधों में निरूद्ध हैं। कई दिन से बच्चे हंगामा मचा रहे थे। संसाधन 30 के हिसाब से ही हैं। तीन शौचालय, एक बाथरूम है। सुरक्षा व्यवस्था में तीन होमगार्ड, दो कर्मचारी हैं।
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