35 साल बाद मिला न्याय, राजा मानसिंह की हत्या में सभी 11 दोषियों को आजीवन कारावास

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। राजा मानसिंह की हत्या में न्यायालय द्वारा मंगलवार को दोषी ठहराये गये सभी 11 पुलिसकर्मियों को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई दी गई। राजस्थान के बहुचर्चित केस में आने वाले फैसले को लेकर लोगों लम्बा इन्तजार करना पड़ा। न्यायालय के  फैसले को लेकर पुलिस ने भी न्यायालय परिसर के आसपास सुरक्षा के कडे इंतजाम किये थे। न्यायालय के सभी गेटों पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। इसके अलावा भरतपुर से मथुरा को जोडने वाले संपर्क मार्गों पर भी संघन चैकिंग अभियान इस दौरान चलाया गया था।

11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया

वर्ष 1990 में यह केस मथुरा जिला अदालत में स्थानांतरित किया गया था। 35 साल बाद 21 जुलाई 2020 (मंगलवार) को  हत्याकांड में 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया। वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायन सिंह विप्लवी ने बताया कि 21 फरवरी 1985 को हुए इस बहुचर्चित हत्याकांड की सुनवाई के दौरान 1700 तारीखें पड़ीं। 8 बार फाइनल बहस हो गई और 19 जज भी बदल चुके थे। 20 वें जज ने फैसला सुनाया। अब तक आठ दफा फाइनल बहस हुई और कुल 78 गवाह पेश हुए, जिनमें से 61 गवाह वादी पक्ष ने तो 17 गवाह बचाव पक्ष ने पेश किए।

18 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में 9 करोड़ रुपये से अधिक अब तक खर्च हुए

जबकि अनुमान के मुताबिक, मुकदमे में आरोपित बनाए गए 18 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में 9 करोड़ रुपये से अधिक अब तक खर्च हुए। राजा के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआई ने एफआर लगा दी थी। 35 साल बाद इस बहुचर्चित मामले में हत्या के दोषी करार हुए पुलिसकर्मियों को जिला जज की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस दौरान राजपरिवार की तरफ से विजय सिंह, गिरेंद्र कौर, कृष्णेंद्र कौर दीपा, दुष्यंत सिंह, गौरी सिंह, दीपराज सिंह कोर्ट में मौजूद रहे।

मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा

अदालत ने आदेश किया कि राजस्थान सरकार मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा देगी। राजा मान सिंह हत्याकांड की सुनवाई जयपुर कोर्ट और उसके बाद जिला सत्र एवं न्यायाधीश की अदालत में हुई थी। वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि मामले में राजा मान सिंह के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआई ने अपनी जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी थी। राजा मानसिंह के समर्थक बाबूलाल से पुलिस ने जो तमंचा बरामद दिखाया था, उसमें भी फाइलन रिपोर्ट लग गई थी। एसएचओ वीरेंद्र सिंह के बाद इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी ने की। इसके बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित हो गया। सीबीआई ने सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन सी सीबीआई अदालत में ये साबित नहीं कर सकी। ऐसे में सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त हो गए।

सभी दोषियों की उम्र 70 सके उपर की हो चुकी है

राजा मान सिंह हत्याकांड में दोषी पाए गए तत्कालीन डीएसपी कान सिंह भाटी की उम्र अब 82 बरस की हो गई है। वहीं तत्कालीन एसएचओ वीरेंद्र सिंह 78 साल के हैं। सुखराम की उम्र 72 है। अन्य दोषियों की उम्र भी 7 दशक पार कर चुकी है। ऐसे में दोषी करार दिए गए कई मुल्जिम तो ठीक से चल भी नहीं सकते।
सेवानिवृत कांस्टेबल गोविंदराम ने कहाकि पुलिस की नौकरी कभी नहीं करनी चाहिए। अगर पुलिस में नौकरी करनी है तो डिप्टी एसपी से ऊपर का अधिकारी बने। पुलिस कर्मियों की सुनवाई कहां होती है। मेरी तो सीबीआई ने सुनी ही नहीं। अदालत ने अब जाकर न्याय किया है। 35 बरस किसी तरह काटे, अब सुकून मिला है।

यें हैं फैसले की महत्वपूर्ण बातें
35 साल से चल रहे इस मुकदमे को मथुरा डिस्ट्रिक्ट जज साधना रानी ठाकुर ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था। बुधवार को सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजायाफ्ता को 10-10 हजार का जुर्माना भी देना होगा। यह जुर्माना राशी राजस्थान सरकार को देनी होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने तीनों मृतकों के परिजनों को 30-30 हजार रुपए और घायल चार लोगों को दो-दो हजार देने के निर्देश दिए हैं।

इन्हें हुई आजीवन कारावास की सजा मिली
कान सिंह भाटी सीओ, वीरेन्द्र सिंह, एसएचओ, रवि शेखर, एएसआई, सुखराम, कांस्टेबल, जीवन राम, कांस्टेबल, भंवर सिंह, कांस्टेबल, हरि सिंह, कांस्टेबल, शेर सिंह, कांस्टेबल, छत्तर सिंह, कांस्टेबल, पदमा राम, कांस्टेबल, जगमोहन, कांस्टेबल। 

ये किए गये हैं आरोप मुक्त 
कान सिंह सिरवी  निरीक्षक, गोविंदराम, कांस्टेबल (जीडी लेखक), हरिकिशन कांस्टेबल (जीडी लेखक)।
दीपा कौर, राजा मान सिंह की बेटी
35 साल वाद आज फैसला आया है हम सबके लए खुशी की बात है। आज 35 साल बाद हम लोगों को न्याय मिला है। आरोपियों को जो आजीवन कारावास की सजा मिली है हम खुश हैं। 35 साल न्याय का इंतजार किया खुश तो बहुत हैं। बहुत लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। 

Dr. Bhanu Pratap Singh