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आगरा, उत्तर प्रदेश,भारत। हिन्दी भाषा को अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठित करने और भारतीय जीवन मूल्यों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती के तत्वावधान में जन-जागरण अभियान का भव्य शुभारंभ हुआ। यह ऐतिहासिक पहल प्रो. सी.के. गौतम, प्राचार्य, आगरा कॉलेज के कर-कमलों द्वारा प्रारंभ की गई।
हावर्ड में हिन्दी की गरिमा, भारत में उपेक्षा: प्रो. सी.के. गौतम
प्रो. गौतम ने अपने प्रेरक संबोधन में बताया कि हावर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका में हिन्दी का विशाल विभाग कार्यरत है, जहाँ हिन्दी का शिक्षण-प्रशिक्षण उच्च स्तर पर किया जाता है। उन्होंने खेद जताया कि भारत में हिन्दी को राजनैतिक समीकरणों का शिकार बनाया गया है।
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि क्षेत्रीय भाषायी आग्रहों से ऊपर उठकर हिन्दी को वैश्विक मंच पर ले जाने के लिए ठोस रणनीति बनानी चाहिए, क्योंकि प्रवासी भारतीय पहले ही इसे विश्वस्तरीय पहचान दिलाने में लगे हैं।
हिन्दी को न्यायपालिका में स्थान न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण: प्रो. युवराज सिंह
मुख्य वक्ता प्रो. युवराज सिंह, अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, आर.बी.एस. कॉलेज ने कहा कि हिन्दी समस्त भारतीय भाषाओं की अग्रणी शक्ति है। उन्होंने खेद जताया कि देश की स्वतंत्रता के 78 वर्ष बाद भी हिन्दी देश की सर्वोच्च न्यायपालिका और उच्च न्यायालयों की कार्यभाषा नहीं बन सकी है।
उन्होंने हिन्दी के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए जन-अभियान चलाने का आह्वान किया।
हिन्दी विरोध से उपजा आंतरिक दर्द: डॉ. देवी सिंह नरवार
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. देवी सिंह नरवार, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती ने भावभीने शब्दों में कहा कि जब हिन्दी की रोटी खाने वाले ही हिन्दी का विरोध करते हैं, तो भीतर गहरा दर्द होता है।
उन्होंने बताया कि जन-जागरण अभियान के अंतर्गत आगरा जनपद में एक लाख हिन्दी प्रेमियों से संकल्प पत्र भरवाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अभियान जुलाई से दिसम्बर 2025 तक चलेगा। इस दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और विद्यालयों में जाकर छात्रों और शिक्षकों से हिन्दी के प्रति प्रतिबद्धता हेतु हस्ताक्षर कराए जाएंगे।
विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति
इस अवसर पर डॉ. डी.पी. सिंह बघेल, डॉ. सौरभ देवा, डॉ. पंकज गौतम, प्रो. एस.पी. सिंह, प्रो. एस.के. दुबे, प्रो. शशिकांत पाण्डेय, डॉ. योगेन्द्र सिंह, डॉ. कृष्ण पाल सिंह, डॉ. वी.के. चिंकारा, विजयपाल नरवार, राजू सिंह, संजय गुप्ता, बृजेश हरित आदि विद्वानों ने विचार व्यक्त कर हिन्दी के भविष्य पर गम्भीर विमर्श प्रस्तुत किया।
संचालन
कार्यक्रम का कुशल संचालन जन-जागरण अभियान के अध्यक्ष डॉ. के.पी. सिंह द्वारा किया गया।
✒ संपादकीय टिप्पणी
हिन्दी केवल एक भाषा नहीं, भारत की आत्मा है। डॉ. देवी सिंह नरवार जैसे समर्पित भाषाप्रेमी जब हिन्दी के लिए अभियान छेड़ते हैं, तो यह केवल एक भाषायी आंदोलन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण बन जाता है।
हिन्दी की उपेक्षा को लेकर उनकी पीड़ा हर उस व्यक्ति की आवाज है, जो हिन्दी को केवल बोलता ही नहीं, जीता है।
आज आवश्यकता है कि ऐसे अभियान को जन-जन तक पहुँचाया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ गर्व से कह सकें — “हम हिन्दी में सोचते हैं, बोलते हैं, और नेतृत्व करते हैं।”
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