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जैन समाज के 18 लोग साधु बने, घर-घर जाकर भिक्षा मांगी, पढ़िए पूरी जानकारी

INTERNATIONAL NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. श्वेतांबर स्थानकवासी जैन समिति लोहामंडी के तत्वाधान में आगरा के इतिहास में प्रथम बार ऐतिहासिक काम हुआ। पर्यूषण महापर्व के छठवें दिन प्रभु की आराधना के अंतर्गत गुलाबपुरा स्वाध्याय संघ से पधारे पदमचंद जैन के नेतृत्व में शास्त्र वाचक श्रावकों के आह्वान एवं निर्देशानुसार लोहामंडी जैन समाज के 18 युवाओं ने 14 घंटे तक सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के पश्चात प्रतिक्रमण होने तक जैन संस्कृति की स्थानकवासी परंपरा की साधु जीवन को अपनाया।

इसके अंतर्गत स्थानकवासी जैन समाज के 12 वर्ष से लेकर युवाओं के साथ 70 वर्ष तक श्रावकों ने संत परिवेश को धारण किया। सुरेश जैन, तरुण जैन, वैभव जैन, अनुभव जैन, विजय जैन, विशाल जैन, संजय जैन, मयंक जैन, अजय जैन, गौरव जैन, अतुल जैन, पंकज जैन, अंशुल जैन, नीरज जैन, संयम जैन, सुनील जैन, सिद्धार्थ जैन, अरविंद जैन ने साधु जीवन में ‘सामयिक जब तक स्वाध्याय तब तक’ का पालन किया। जिस तरह से संत घर-घर जाकर अपने आहार आदि की भिक्षा के लिए जाते हैं, उसी तरह 25 घरों पर नंगे पांव साधु भेष में जाकर भोजन लेकर आये और जैन भवन स्थानक में भोजन ग्रहण किया। 14 घंटे तक सभी श्रावकों ने संत जीवन की जीवनचर्या को अपनाया एवं आध्यात्मिक लाभ लिया।

जैन भवन स्थानक लोहामंडी में भिक्षु साधकों की भोजन हेतु आहार लाने पर सुशील जैन, गौरव जैन, महावीर प्रसाद जैन, बालकृष्ण दास जैन एवं अन्य बड़ी संख्या में महानुभावों ने हार्दिक स्वागत किया।

Dr. Bhanu Pratap Singh