जलवायु परिवर्तन पर IPCC की रिपोर्ट से हलचल: दुनियाभर की आधी आबादी पर खतरा, भारत के तीन शहरों का भी जिक्र

NATIONAL


जलवायु परिवर्तन के कारण देश के तटीय शहर और हिमालय से लगे इलाकों पर बड़ा असर पड़ेगा। इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) रिपोर्ट के अनुसार अगर जलवायु परिवर्तन पर अब एक्शन लेने में देरी हुई तो पूरी दुनिया के लिए परिमाण काफी घातक होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम बदलने के कारण ज्यादा या कम बारिश, बाढ़ की विभीषिका और लू के थेपेड़े बढ़ सकते हैं। रिपोर्ट में बढ़ते तापमान के कारण भारत में कृषि उत्पादन में बड़े पैमाने पर कमी की भी आशंका जताई गई है।
मुंबई, कोलकाता की बढ़ेगी मुश्किल!
IPCC रिपोर्ट तैयार करने वालों में शामिल अंजल प्रकाश ने बताया कि आने वाले साल में शहरी आबादी की संख्या तेजी से बढ़ने वाली है। अगले 15 साल में देश की 60 करोड़ आबादी शहरों में रहेगी, जो मौजूदा अमेरिका की आबादी से दोगुनी होगी। देश में 7,500 किलोमीटर लंबा तटीय इलाका है। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पुरी और गोवा जैसे इलाकों में ज्यादा गर्मी पड़ सकती है। समुद्र का स्तर ऊपर जाने के कारण इन इलाकों में बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यही नहीं, यहां चक्रवाती तूफानों का भी खतरा मंडराएगा।
दुनिया की आधी आबादी पर खतरा!
संयुक्त राष्ट्र की इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की आधा आबादी खतरे के जद में है। तमाम कोशिशों के बावजूद इकोसिस्टम में सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसमें कहा गया है कि अगर अनुमान करें कि तापमान में 1-4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोत्तरी होती है तो भारत में, चावल का उत्पादन 10 से 30 प्रतिशत तक, जबकि मक्के का उत्पादन 25 से 70 प्रतिशत तक घट सकता है। रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ ही एशिया में कृषि और खाद्य प्रणालियों से संबंधित जोखिम पूरे क्षेत्र में अलग-अलग प्रभावों के साथ धीरे-धीरे बढ़ेंगे।
भारत के तीन शहरों का भी जिक्र
14 से 26 फरवरी के बीच वर्चुअली आयोजित IPCC की रिपोर्ट का संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन और रूस ने भी अनुमोदन किया है। रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की गई है। रिपोर्ट में लोगों के इसके खतरे से निपटने के लिए तरीके भी बताए गए हैं और जीवनयापन बेहतर करने के बारे में भी बताया गया है। रिपोर्ट में भारतीय शहर सूरत, इंदौर और भुवनेश्वर के जलवायु परिवर्तन से निपटने के तौर-तरीकों का भी जिक्र किया गया है।
रिपोर्ट को 195 देशों की मंजूरी
दो सप्ताह की बैठक में IPCC रिपोर्ट को 195 देशों ने मंजूरी दी है। क्लामेट चेंज 2022: इंपैक्ट, एडप्शन और वल्नरबिलिटी (Climate Change 2022: Impacts, Adaptation and Vulnerability) में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का आंकलन किया गया है।
IPCC रिपोर्ट की अहम बातें
अगर दुनिया की नजर से बात करें तो रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुकसान को बताया गया है और इस नुकसान को कम करने के तरीके पर चर्चा की गई है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की 3.6 अरब की आबादी ऐसे इलाकों में रहती है जहां जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा असर हो सकता है। अगले दो दशक में दुनियाभर में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। तापमान बढ़ने के कारण फूड सिक्योरिटी, पानी की किल्लत, जंगल की आग, हेल्थ, ट्रांसपोटेशन सिस्टम, शहरी ढांचा, बाढ़ जैसी समस्याएं बढ़ने का अनुमान जताया गया है।
भारत पर होने वाले असर को जान लीजिए
रिपोर्ट के अनुसार भारत में गर्मी और नमी की मात्रा बढ़ेगी और यह मनुष्यों के लिए खतरा पैदा करेगी। भारतीय शहरों में ज्यादा गर्मी, शहरी बाढ़, समुद्र का जलस्तर बढ़ने की समस्याएं और चक्रवाती तूफान आने की आशंका बनी रहेगी। इस सदी के मध्य तक देश की करीब साढ़े 3 करोड़ की आबादी तटीय बाढ़ की विभीषिका झेलेगी और सदी के अंत तक यह आंकड़ा 5 करोड़ तक जा सकता है। रिपोर्ट में दक्षिण भारत के तेलंगाना में पानी संचयन की पुरानी तकनीक का भी जिक्र किया गया है।
अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने आगा किया कि आगामी दशक में वैश्विक उत्सर्जन में 14 फीसदी वृद्धि की आशंका है जिसके त्रासदीपूर्ण परिणाम होंगे। संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 67 देशों के 270 से अधिक वैज्ञानिकों ने तैयार की है और 195 सरकारों ने मंजूर की है। रिपोर्ट से पता चलता है कि बिगड़ते जलवायु के प्रभाव दुनिया के हर हिस्से में विनाशकारी हैं और वे इस ग्रह पर हर सजीव पदार्थ-इंसान, जानवर, पेड़-पोधों एवं पूरी पारिस्थितिकी पर असर डाल रहे हैं। यह रिपोर्ट आईपीसीसी की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की दूसरी किस्त है। छठी रिपोर्ट इस साल पूरा होगी।
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh