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पत्रकार और रंगकर्मी अनिल शुक्ल का Interview by Dr Bhanu Pratap Singh, जानिए कैसी है निजी जिन्दगी, बताया Secret of Success, देखें वीडियो

लेख

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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आगरा के अनिल शुक्ल पत्रकारों और नाट्यकर्मियों के लिए जीती-जागती मिसाल हैं। सप्ताह में दो बार डायलिसिस कराते हैं, लेकिन गजब के सक्रिय हैं। उत्तर प्रदेश में नुक्कड़ नाटक की शुरुआत अनिल शुक्ल ने की। नाटक में कथा वाचन शैली का प्रादुर्भाव किया। मृत हो गई आगरा की कला “भगत” को नए रंगरूप के साथ पुनर्जीवित किया। महिला का पात्र महिला को ही दिया। आज भगत की प्रस्तुति पूरे प्रदेश में हो रही है।

अनिल शुक्ल ने पत्रकारिता में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। जयपुर में रिपोर्टिंग के दौरान बिना पासपोर्ट और वीजा के पाकिस्तान में जाकर रिपोर्टिंग कर आए। इस पर काफी हो-हल्ला मचा था। दूरदर्शन के लिए दो धारावाहिकों का निर्माण किया है। अब वे भारतीय उपमहाद्वीप के पांच देशों की पांच कहानियों का कथावाचन शैली में प्रस्तुतीकरण की तैयारी कर रहे हैं।

अजीब और अनोखा आदमी अनिल शुक्ल…

पिछले दिनों वे वरिष्ठ पत्रकार से व्यवसायी बने कमलदीप के साथ मेरे शास्त्रीपुरम, सिकंदरा, आगरा आवास पर आए तो मेरी खुशी की पारावार न रहा। मैंने मौका देख अनिल शुक्ल का लघु साक्षात्कार कर लिया। निजी जीवन के बारे में तमाम सवालात किए। इन्हीं सवालों के जवाब में अनिल शुक्ल की कॉलेज की प्रेम कहानी का खुलासा हो गया। अस्वस्थता के बाद भी ऊर्जित रहने का रहस्य पता चला। दिल्ली में ठीकठीक पत्रकारिता चल रही थी। पीएमओ (प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस) को कवर करते थे। फिर अचानक ही आगरा आ गए। आखिर क्यों? इस क्यों के उत्तर में उनकी जिजीविषा का पता चलता है।

ऐसा लगता है कि नाटक उनकी रग-रग में समाहित है। तभी तो तमाम प्रश्नों के उत्तर में नाटक पर चर्चा अवश्य की। नाटक पर उनकी बातें अंतहीन हैं। इस बारे में फिर कभी इंटरव्यू करूंगा। फिलहाल तो आप अनिल शुक्ल के निजी जीवन पर पहला साक्षात्कार यहां क्लिक करके देख सकते हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh