मुंबई। भारत और रूस की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे की पूरक हैं और 8 प्रतिशत विकास दर वाले भारत और प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज रूस के बीच साझेदारी दोनों देशों के साथ ही दुनिया के लिए भी अच्छी साबित होगी। विदेश मंत्री डॉ. एस.जयशंकर ने सोमवार को यहां आयोजित भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित करते हुए यह बात कही।
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा मैं 10 महत्वपूर्ण घटनाक्रमों पर प्रकाश डालना चाहता हूं, जिन पर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है। आज हमारा द्विपक्षीय व्यापार 66 अरब अमेरिकी डॉलर है। इससे 2030 तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य यथार्थवादी से कहीं अधिक है। हालांकि व्यापार संतुलन को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है, क्योंकि यह बहुत एकतरफा है। ऐसा होने के लिए यह आवश्यक है कि गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को शीघ्रता से दूर किया जाए। भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच वस्तुओं के व्यापार पर बातचीत इस वर्ष मार्च में शुरू हुई। हमें इसे जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
विदेश मंत्री ने आगे कहा पहला द्विपक्षीय निवेश मंच अप्रैल 2024 में मास्को में आयोजित किया गया। हमें द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत में भी तेजी लाने की आवश्यकता है। 2024-29 तक रूसी सुदूर-पूर्व के संबंध में सहयोग के कार्यक्रम पर वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान जुलाई में हस्ताक्षर किए गए थे। यह कनेक्टिविटी क्षेत्र सहित अन्य संबंधित गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार का पारस्परिक निपटान वर्तमान परिस्थितियों में बहुत महत्वपूर्ण है।
जयशंकर ने यह भी कहा कि रूस ने 2022 से एशिया पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है, जिससे सहयोग के कई और अवसर पैदा हुए हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया पहले से कहीं अधिक बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रही है और अगर हमें साथ चलना है तो सहयोग के उचित तरीके तैयार करना आवश्यक है। इस बिजनेस फोरम में रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और मंत्री सर्गेई चेरेमिन के साथ ही फिक्की के अध्यक्ष डॉ. अनीश शाह ने भी हिस्सा लिया।
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