देश के राज्यों में जेल की स्थिति को लेकर रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्यों में लगातार प्रयासों के बावजूद नई जेल नहीं बन पा रही हैं। हालत ये है कि पहले से ही कैदियों के दबाव से जूझ रही जेलों में कैदियों के लिए पूरी व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इनमें देश में सबसे ज्यादा खराब स्थिति उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की है।
टाटा ट्रस्ट की कुछ दिन पहले जारी इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर)-2022 के मुताबिक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की जेलों में कैदियों का अनुपात ‘देश में सबसे खराब’ है जबकि उत्तराखंड की 11 जेलों में क्षमता के मुकाबले 185 फीसदी कैदी हैं, यूपी में 184.8 फीसदी और मध्य प्रदेश में 164.1 फीसदी है।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में क्षमता से ज्यादा कैदी
दिसंबर 2021 तक, जब डेटा इकठ्ठा किया गया था, उत्तराखंड सूची में सबसे निचले नंबर पर है, इसकी 11 जेलों में केंद्रीय जेल सहित 3,741 की क्षमता है जिसमें 6,921 कैदी बंद हैं। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ राज्य की जेलों को ‘गंभीर’ (150-185%) के रूप में दिखाया गया था।
391 जेलों में 150 फीसदी से अधिक कैदी
इसी तरह, जेल में ‘बहुत अधिक’ कैदियों की (120-150%) की श्रेणी में छह राज्य हैं जिनमें बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कुल 1,314 जेलों में से 391 जेलों (30 फीसदी) में 150 फीसदी से अधिक कैदी हैं। 150% से अधिक कैदियों के साथ जेलों की संख्या के मामले में, यूपी 74 जेलों में से 57 के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद एमपी 40 (131 जेलों में से) और पश्चिम बंगाल 36 (60 जेलों में से) है।
कैदियों के लिए डॉक्टर की स्थिति और खस्ता
रिपोर्ट में जेलों में चिकित्सा अधिकारियों की उपलब्धता की श्रेणी में उत्तराखंड को आखिरी नंबर दिया गया है। हिमालयी राज्य में 10 डॉक्टरों के स्वीकृत पदों के मुकाबले 6,921 कैदियों के लिए केवल एक डॉक्टर है। आंध्र प्रदेश ने इस संबंध में ‘सर्वश्रेष्ठ’ प्रदर्शन किया है, जहां हर 418 कैदियों पर एक डॉक्टर है। उत्तराखंड में भी सभी 18 राज्यों में जेल अधिकारियों के लिए अधिकतम रिक्तियां (77.1%) थीं। केरल में 6.9% के साथ सबसे कम रिक्तियां थीं।
उत्तराखंड की हालत सबसे खराब
जेल अधिकारियों पर अधिकतम कार्यभार वाले राज्यों के संदर्भ में, प्रति अधिकारी 532 कैदियों के आंकड़े के साथ उत्तराखंड फिर से सूची में सबसे नीचे था। प्रति अधिकारी 21 कैदियों के साथ तमिलनाडु में इस संबंध में सबसे अच्छे आंकड़े थे।
रिपोर्ट के नतीजों के बारे में बात करते हुए उत्तराखंड के कारागार विभाग के डीआईजी दाधिराम मौर्य ने बताया राज्य स्थिति को सुधारने के लिए उपाय कर रहा है। हम लगभग 2,600 की क्षमता वाली दो नई जेलों का निर्माण कर रहे हैं। उनके 2024 तक पूरा होने की संभावना है और कुछ हद तक भीड़भाड़ के मुद्दे को हल करेंगे।
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