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पुष्य नक्षत्र में स्वतंत्र हुआ था भारत, 75 साल बाद भारत की विश्व गुरु बनने की संभावना प्रबल: पं. प्रमोद गौतम

PRESS RELEASE

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Agra, Uttar Pradesh, India.भारत के नास्त्रेदमस के नाम से विख्यात वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि 15 अगस्त 1947 को मध्य रात्रि 12 बजे अभिजीत महूर्त में 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में स्वतन्त्र भारत की आधारशिला रखी गयी थी, संयोग से वर्ष 2023 में 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिव्य पुष्य नक्षत्र का संयोग कई वर्षों बाद पड़ा है, वर्ष 2023 में 14 अगस्त 2023 को पूर्वान्ह 11 बजकर 07 मिनट पर पुष्य नक्षत्र आरम्भ हो गया है जो कि 15 अगस्त 2023 को दोपहर 2 बजे तक रहेगा जो कि एक रहस्यमयी अदभुत संयोग श्रावण मास में पड़ने वाले अधिक मास में 15 अगस्त के दिन पड़ रहा है।

एस्ट्रोलॉजर पं प्रमोद गौतम ने स्वतन्त्र भारत की जन्मकुंडली का ज्योतिषीय विश्लेषण करने के दौरान बताया कि लार्ड माउंटबेटन ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को 14-15 अगस्त में से किसी एक दिन अपनी-अपनी आजादी के कार्यक्रम को निर्धारित करने के लिए कहा। वैदिक हिन्दू ज्योतिष विज्ञान में आस्था रखने वाले डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने देश के भविष्य व अखंड संप्रभुता के लिए महाकाल की नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित सूर्यनारायण व्यास से आजादी के लिए उपयुक्त मुहूर्त चुनने के लिए निवेदन किया। इसी बीच पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपनी स्वतंत्रता की औपचारिक घोषणा कर दी।

पंडित गौतम ने बताया कि वैदिक हिन्दू ज्योतिष शास्त्रों के सिद्धांतों के अनुसार 14-15 अगस्त 1947 के गोचर में पञ्च-ग्रही युतियां अर्थात पांच ग्रह कुंडली के एक ही भाव में थे जो कि देश और समाज के लिए अशुभ था। इसलिए पं सूर्यनारायण व्यास ने आजादी के लिए 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्री बारह बजे का मुहूर्त निर्धारित किया। उनका मानना था कि इससे स्वतन्त्र भारत में लोकतंत्र स्थिर रहेगा। क्योंकि उस वक्त स्थिर लग्न ‘वृषभ’ चल रहा था, जो किसी भी कार्य की शुरुआत और उसके स्थायित्व के लिए सबसे शुभ लग्न माना जाता है। उसी समय रात 12:15 के पूर्व सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त भी चल रहा था, जो कि मुहूर्त शास्त्रों के अनुसार उस समय का सबसे शुभ मुहूर्त था। इतना ही नहीं, पं. व्यास के कहने पर स्वतंत्रता के बाद देर रात संसद को धोया गया। बाद में बताए गए मुहूर्त के अनुसार गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि भी करवाई। गुलामी की जंजीरों से आजाद हुए भारतवर्ष को 15 अगस्त, 1947 को मध्य रात्रि 12 बजे आधिकारिक तौर पर नए स्वतन्त्र भारत का या यूं कहें कि विघटन के बाद बचे हुए शेष भारत का नया वजूद सामने आया।

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि स्वतन्त्र भारत की जन्मकुण्डली में स्थिर वृष राशि के जन्म लग्न के चलते भारत में लोकतंत्र स्थिर है वहीं एक दिन पहले आजाद हुए पाकिस्तान का लग्न और राशि दोनों मिथुन है ये अशुभ और अस्थिरता का संयोग है यही कारण है कि पाकिस्तान का कोई भी पीएम आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। वर्तमान में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान भी अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। वर्तमान के गोचर व आने वाले भविष्य में ग्रहों की स्थितियां इस बात का भी संकेत करती हैं कि पाकिस्तान में आने वाले समय में विभाजन भी संभव है।

वैदिक सूत्रम चेयरमैन पंडित प्रमोद गौतम ने स्वतंत्र भार‍त की जन्मकुंडली का विश्लेषण करते हुए बताया कि 15 अगस्त 1947, समय रात्रि 00:00, बजे स्थान नई दिल्ली से वृषभ लग्न तथा कर्क राशि की जन्मकुंडली बनती है। स्वतंत्र भारत की जन्म कुंडली के तृतीय भाव में पञ्च ग्रह योग कर्क राशि में स्थित है साथ ही चंद्रमा दैवीय शक्तियों से युक्त 27 नक्षत्रों के सम्राट पुष्य नक्षत्र में था जिसके स्वामी ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि ग्रह हैं। यही कारण था की विशाल युद्धों और अनगिनत विद्रोही ताकतों के बावजूद भारत की अखंडता पर अब तक कोई आंच नहीं आई। भारत को आजादी शनि की महादशा में प्राप्त हुई थी। शनि की महादशा भारत के लिए शुभ फलदायी रही। शनि की महादशा में 1947 से 1965 तक भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों में भारत को सफलता प्राप्त हुई। भारत की कुंडली में शनि सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है यह स्वतन्त्र भारत को मजबूती और शक्ति दोनों देता है।

पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि भारत की जन्मकुंडली का लग्नेश शुक्र तीसरे भाव में कई ग्रहों के साथ स्थित है साथ ही लग्न पर राहु विराजमान है। यह इस बात का भी सूचक है कि देश में कभी भी किसी एक पार्टी का शासन नहीं होगा। मंगल कुंडली के दूसरे भाव में स्थित है, कुंडली का यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा को दर्शाता है। जहां भारत का कश्मीर भाग आता है वहां बार-बार समस्याएं पैदा होती रहती हैं एवम समय-समय पर युद्ध की स्थितियां बनाती हैं और अस्थिरता होती है परंतु स्थिर लग्न होने के कारण भारत हर समस्या से दिव्य कृपा से बच जाता है।

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि वर्तमान समय में सितंबर 2015 से स्वतंत्र भारत की जन्मकुंडली में 10 वर्ष की चंद्रमा ग्रह की महादशा अवधि चल रही है जो कि सितंबर 2025 तक चलेगी, क्योंकि स्वतंत्र भार‍त की जन्मकुंडली में चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में स्थित है इसलिए चन्द्रमा की महादशा अवधि दिव्य ऊर्जा युक्त है। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को यश प्रसिद्धि का कारक ग्रह माना जाता है यही कारण है कि सितंबर 2015 से आरम्भ हुई चन्द्रमा ग्रह की महादशा अवधि के दौरान भारत का वर्तमान में विश्व में एक प्रमुख स्थान है जो कि सितंबर 2025 तक अभी और ऊँचाइयों के शिखर पर पुष्य नक्षत्र में स्थित चन्द्रमा भारत को पहुंचाएगा और भारत जल्द ही विश्वगुरु बनने की तरफ भी इस अवधि में अग्रसर हो सकता है वर्तमान में स्वतंत्र भारत देश की जन्मकुंडली में चन्द्रमा की महादशा में जुलाई 2023 से शुक्र ग्रह की अंतरदशा अवधि आरम्भ हो गयी है जो कि मार्च 2025 तक चलेगी।

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि वर्तमान में शुक्र ग्रह की वर्तमान अंतरदशा अवधि भारत देश को काफी ऊंचाईयों पर ले जाएगी क्योंकि शुक्र ग्रह को दैत्यों के मंत्री पद का दर्जा प्राप्त है और शुक्र ग्रह को महिलाओं का कारक ग्रह भी माना जाता है इसलिए वर्तमान की शुक्र ग्रह की अंतरदशा अवधि के परिणामस्वरूप भारत देश की राजनीति में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान होने की संभावना है।

Dr. Bhanu Pratap Singh