Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। सात महीने बाद भी विद्यालय बंद हैं। ऐसे में अभिभावक फीस नहीं दे रहे। विद्यालयों में खडे वाहन खटारा हो रहे हैं। मासिक किस्त बढ रही हैं। बिजली का बिल बढ रहा है। दूसरे खर्चे बढ रहे हैं। फीस आ नहीं रही है। स्टाफ प्रबंधन से झगडा कर रहा है। ऐस में सरकार अभिभावकों और खास कर सरकारी कर्मचारियों को आदेश दे कि वह अनिवार्य रूप से फीस जमा करें। विद्यालय प्रबंधन संघ ने मुख्यमंत्री को भेजे छह सूत्रीय मांग पत्र में यह मांग उठाई हैं।
सात महीने से विद्यालयों के पास पैसा नहीं आ रहा है
मांग पत्र में कहा गया है कि सरकार के आदेश के बाद भी अभिभावकों द्वारा शिक्षण शुल्क, प्रवेश शुल्क यहां तक पिछला बकाया शिक्षण शुल्क भी नहीं दिया गया है। ऐसे में विद्यालय प्रबंधन तमाम खर्चे कहां से वहन करें। सरकार के निर्देशों के अनुसार ऑन लाइन शिक्षण कार्य कराया जा रहा है। इसके बाद भी अभिभावक प्रत्येक महीने की फीस नहीं दे रहे हैं। सात महीने से विद्यालयों के पास पैसा नहीं आ रहा है। ऐसे में उनके यहां कार्यरत शिक्षक और दूसरे कर्मचारी भुखमरी के कगार पर आ गये हैं। ऐसे में ये लोग लगातार विद्यालय प्रबंधन के साथ झगड रहे हैं। इसके लिए बेहद जरूरी है कि विद्यलायों का इस अवधि का बिजली का बिल माफ किया जाये और मान्यता प्राप्त विद्यालय के शिक्षक और कर्मचारियों को वेतन और मानदेय दिया जाए।
बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढते हैं तो वह फीस अनिवार्य रूप से जामा कराएं
सरकार अभिभावकों को सख्त निर्देश दे कि वह प्रतिमाह विद्यालय में मासिक शुल्क जमा कराएं। किसी तरह की बाधा होने पर वह लिखित में विद्यालय को सूचत करें जिससे विद्यालय प्रबंधन छूट या किसी तरह की मदद का प्रयास कर सके। सरकार कम से कम सरकारी कर्मचारियों को तो निर्देशित कर ही सकती है कि अगर उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढते हैं तो वह फीस अनिवार्य रूप से जामा कराएं। विद्यालयों को जल्द से जल्द खोला जाए । विद्यालय प्रबंधन संघ के अध्यक्ष अजय अग्रवाल, संयोजक चौधरी पूरन सिंह एड., संयोजक प्रसून जैन, उपाध्यक्ष शेर पाल सिंह, कोषाध्यक्ष नितिन गोयल, महामंत्री चौधरी कल्लू सिंह, मंत्री चौधरी तेजवीर सिंह, पंडित चेतराम, मनीष अग्रवाल, चेतन शर्मा, अजय पाल चौधरी, लोकेन्द्र पारासर, विष्णु सिंघल, विनोद अग्रवाल, वंशीधर अग्रवाल, तेजवीर सिंह रावत, अमर सिंह, राज चौधरी, रामबाबू शर्मा, कल्याण सिंह, हरिओम शर्मा, जगदीश अग्रवाल, राजेन्द्र दीक्षित, महेन्द्र सिंह सांगवान, सहदेव सिंह, मांगेलाल पटेल आदि विद्यालयों के संचालकों ने यह मांग उठाई हैं।
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