चीन की सेना के महाशक्तिशाली जासूसी जहाज यूआन वांग 5 ने संभवत: अपना रास्ता बदल लिया है। ताजा सैटलाइट तस्वीरों में इसका खुलासा हुआ है। यह जासूसी जहाज अभी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से मात्र 650 समुद्री मील की दूरी पर है। ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट Detresfa ने इन तस्वीरों के आधार पर बताया कि चीन के जासूसी जहाज ने अपना रास्ता भले ही बदल लिया हो लेकिन उसका अंतिम लक्ष्य हंबनटोटा पहुंचना ही है। इससे पहले भारत ने इस सैन्य जहाज को लेकर श्रीलंका से अपनी चिंता जताई थी।
चीन का यह सैन्य शोध करने वाला जहाज बलिस्टिक मिसाइलों को भी ट्रैक कर सकता है। यह जहाज अभी इंडोनेशिया के तट से हंबनटोटा की ओर बढ़ रहा है। करीब 23 हजार टन का यह चीनी जहाज गुरुवार को हंबनटोटा पहुंचना है।
इससे पहले भारत सरकार के अनुरोध पर श्रीलंका के विदेश मंत्रालय ने चीन सरकार से कहा था कि वह इस जहाज की यात्रा को अगले विचार विमर्श तक टाल दे। भारत के विरोध चीन भड़क गया था और उसने कहा था कि तीसरे पक्ष को श्रीलंका के साथ सामान्य आदान-प्रदान में बाधा नहीं डालना चाहिए।
चीन की सेना पीएलए संचालित करती है यह जासूसी जहाज
भारत लगातार श्रीलंका के अधिकारियों से चीन के जहाज को लेकर दबाव बना रहा है जो फिलहाल अभी हिंद महासागर में मौजूद है। चीन के दूतावास ने श्रीलंका से कहा है कि उसे जवाब देने के पहले बीजिंग से सलाह करना होगा। इस चीनी जहाज में चालक दल के 400 सदस्य हैं। इसमें कई शक्तिशाली एंटेना और सेंसर लगे हैं। भारत को डर है कि चीन दक्षिणी भारत के भारतीय प्रतिष्ठानों की जासूसी कर सकता है। यही नहीं चीन ओडिसा के तट पर किए जाने वाले मिसाइल परीक्षण की भी निगरानी कर सकता है।
चीन भारतीय मिसाइलों की ठीक-ठीक रेंज का पता लगा सकता है। चीन ने कर्ज नहीं चुकाने पर श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर 99 साल के लिए अपना अधिकार कर लिया था।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन का मानना है कि चीन के युआन वांग जहाज को चीन की सेना पीएलए के स्ट्रेटजिक सपोर्ट फोर्स की ओर से संचालित किया जाता है। चीन के इस जहाज को पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश से भागने से एक दिन पहले मंजूरी दी थी। उन्हें उम्मीद थी कि इससे चीन उनकी मदद करेगा।
-एजेंसी
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