vijay kiran anand IAS

योगी सरकार ने यूपी में सरकारी स्कूलों का कैसे किया कायाकल्प, क्यों आने और पढ़ाने लगे मास्साब, पढ़िए अंदर की बात

Education/job EXCLUSIVE

Dr Bhanu Pratap Singh

Live Story Time

Lucknow/Agra, Uttar Pradesh, India ‘मेरे गाँव के स्कूल के बच्चे, नहीं भूलते स्कूल जाते समय साथ ले जाना, टाट से बना आसन, उसी पर बैठकर पढ़ना है उन्हें।’ उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों की बात करें तो ओम नागर की यह कविता मर चुकी है। गांव के स्कूल अब मांटेसरी स्कूलों को मात दे रहे हैं। तभी तो मांटेसरी स्कूलों से नाम कटवाकर बच्चे सरकारी स्कूल में प्रवेश से रहे हैं। आखिर यह कैसे संभव हुआ। मैंने शिक्षकों, छात्रों और अधिकारियों से बातचीत के बाद जो कुछ समझा है, उसे यथावत प्रस्तुत कर रहा हूँ।

सरकारी स्कूलों का रूप निखर आया है। शत प्रतिशत मुफ्त शिक्षा मिल रही है स्कूल गणवेश, कॉपी, किताब, बस्ता, जूता, मोजा भी फ्री। इतना ही नहीं मनभावन भोजन मिलता है। अब तो मास्टर साहब भी समय पर आ रहे हैं और पढ़ा रहे हैं। टीवी या प्रोजेक्टर पर अध्यापन चल रहा है। परीक्षा ओ.एम.आर. शीट ( Optical Mark Recognition Sheet) पर हो रही है। सबकुछ ऑनलाइन कर दिया है। शिक्षकों की नवीन तैनाती से लेकर तबादला, छुट्टी तक ऑनलाइन है। रिश्वतखोरी पर लगाम लग रही है। आखिर यह बदलाव किसने किया? उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्कूली शिक्षा को प्राथमिकता पर लिया। खजाने का मुँह स्कूलों की ओर खोल दिया। इसके बादस्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद आई.ए.एस. (Vijay Kiran Anand IAS)  ने ऐसी योजनाएं बनाई कि कायाकल्प हो गया। मास्टर साहब स्कूल आने और पढ़ाने लगे। बच्चे भी स्कूल आने लगे। आइए संक्षेप में जानते हैं स्कूली शिक्षा में क्या-क्या बदलाव हुआ है।

शिक्षकों की उपस्थिति के लिए चौहरी व्यवस्था

नए प्राइमरी शिक्षक का वेतन 45 हजार रुपये प्रतिमाह से प्रारंभ है। अधिकांश शिक्षकों को 80 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक वेतन मिलता है। इसके बाद भी पढ़ाई पर ध्यान नहीं। एक समय था जब स्कूल में शिक्षक आते नहीं थे। कई दिन तक गायब रहते थे। फिर एक दिन आकर हस्ताक्षर कर देते थे। स्कूल आ भी गए तो पढ़ाते नहीं थे। नेतगीरी में रहते। शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सेल्फी योजना लाई गई। इसका शिक्षकों ने खासा विरोध किया। इसका कारण यह था कि समय पर पहुंचने के चक्कर में करीब 65 शिक्षकों की दुर्घटना में मौत हो गई। सरकार ने सेल्फी योजना वापस ले ली। अब शिक्षकों का उपस्थिति और अध्यापन के लिए तिहरी व्यवस्था की गई है।

डायट में बने नियंत्रण कक्ष से वीडियो कॉल

उत्तर प्रदेश में डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) में एक नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। यहां से जिले में प्रतिदिन कम से कम पांच विद्यालयों में वीडियो कॉल की जाती है। सभी शिक्षकों से बातचीत की जाती है। फिर विद्यार्थियों से बात की जाती है कि फलाना टीचर आता है या नहीं, पढ़ाता है या नहीं। विद्यार्थियों से समयसारिणी के बारे में पूछा जाता है। विद्यार्थी जो कुछ बताते हैं, उसके आधार पर शिक्षक के बारे में निर्णय किया जाता है। हर शिक्षक में भय है कि कहीं डायट से वीडियो कॉल न आ जाए। इसलिए विद्यालय आना जरूरी है।

yogi adityanath school
प्राइमरी स्कूल में विद्यार्थियों से वार्तालाप करते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

राज्य स्तर से टीम का निरीक्षण

दूसरी व्यवस्था में राज्य स्तर से दो सदस्यीय टीम गठित की गई है। यह टीम आवंटित विकास खंडों में जाकर अनुश्रवण करती है। किसी भी विद्यालय में अचानक पहुंचती है। शिक्षकों की उपस्थिति के साथ बहुत सारी चीजें देखती है। टीम के पास स्कूल के बारे में पूरी जानकारी होती है। इस टीम की रिपोर्ट पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है।

आकस्मिक निरीक्षण

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में खंड शिक्षा अधिकारियों को प्रातः 6 बजे बुलाया जाता है। यहां पर बीएसए और डायट प्राचार्य बताते हैं कि आज किस विद्यालय में निरीक्षण के लिए जाना है। शिक्षकों में इस टीम के आने की आशंका हर समय बनी रहती है। इन व्यवस्थाओं का परिणाम यह है कि महिला शिक्षक भी स्कूल पहुंचकर पढ़ा रही हैं।

5 सितम्बर से टैबलेट से लगेगी ऑनलाइन हाजिरी

इतनी सारी व्यवस्थाओं के बाद शिक्षक दिवस यानी 5 सितम्बर, 2023 से एक और बड़ा काम होने जा रहा है। प्रत्येक विद्यालय में एक टैबलेट उपलब्ध कराया जाएगा। टैबलेट के माध्यम से ही शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज होगी। जैसे इस समय विद्यालय खुलने का समय प्रातः 8 बजे का है। अगर शिक्षक आठ बजकर 5 मिनट पर आया तो उसकी अनुपस्थिति दर्ज हो जाएगी। उसका वेतन भी काटा जाएगा। छुट्टी नहीं मानी जाएगी। यह टैबलेट विद्यालय की चारदीवार के भीतर ही काम करेगा। विद्यालय के बाहर काम नहीं करेगा। जहां भी टैबलेट ऑन किया जाएगा, वहां की लोकेशन स्वयमेव आ जाएगी। यह इसलिए किया गया है कि अगर कोई शिक्षक यह सोचता है कि अपने घर पर रहकर अंगूठा लगाकर हाजिरी लगा ले तो यह संभव नहीं है। विद्यालय परिसर में होगा तो उपस्थिति लगेगी। इतना ही नहीं, विद्यालय छोड़ते समय भी टैबलेट में उपस्थिति दर्ज करानी होगी। बीच में वीडियो कॉल होती है और राज्यस्तर की टास्क फोर्स आ सकती है। इसलिए अब शिक्षक को विद्यालय में आकर पढ़ाना ही होगा। आलू बोने, गेहूं काटने, खेत में पानी लगाने के नाम पर स्कूल से गायब नहीं हुआ जा सकता है।

yogi adityanath school
प्राइमरी स्कूल में विद्यार्थियों से वार्तालाप करते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

छात्रों की रीयल टाइम उपस्थिति

शिक्षक आ जाएं और छात्र न आएं तो सब बेकार है। इसलिए छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित की गई है। विद्यालय में विद्यार्थियों की 75 फीसदी उपस्थिति जरूरी है। रीयल टाइम उपस्थिति चेक की जाती है। प्रातः 8 से 10.30 बजे के बीच एक लिंक पर छात्रों की उपस्थिति देनी होती है। छापामार टीम के पास उपस्थिति की जानकारी रहती है, वह आकस्मिक रूप से जांच कर सकती है। अगर नामांकन संख्या से छात्र बहुत कम आए हैं तो शिक्षक के लिए समस्या खड़ी हो जाती है।

ऑनलाइन उपस्थिति के बाद मिड डे मील में घोटाला बंद

विद्यार्थियों की प्रतिदिन की उपस्थित ऑनलाइन दर्ज होने के लाभ यह हुआ है कि मध्याह्न भोजन योजना (मिड-डे-मील) में घोटाला बंद हो गया है। पहले रजिस्टर में दर्ज छात्र संख्या के हिसाब से पैसे ले लिए जाते थे, भले ही स्कूल में न आया हो। अब जितने छात्र उपस्थित हैं, उतने का ही पैसा लेना पड़ता है। यह तो आपको पता ही होगा कि विद्यालयों में छात्रों को मिड-डे-मील के नाम से प्रसिद्ध मध्याह्न भोजन दिया जाता है। पहले प्रधान बनवाते थे। बड़ी शिकायतें थीं। बच्चे आते थे 10, भुगतान होता था 100 बच्चों का। अब यह काम प्रधानाध्यापक के जिम्मे है। वह पहले भोजन स्वयं चखता है। अगर ठीक है तो बच्चों को परोसा जाता है। प्रत्येक विद्यालय में रसोइया है। जानकारों का कहना है कि मिड-डे-मील अधिक गुणवत्ता का है।

हर तीन माह पर ओएमआर शीट से परीक्षा

शिक्षण योजना से शिक्षण कार्य हो रहा है। पाठ को पांच भागों में बांटकर शिक्षण योजना बनाते हैं। निपुण भारत के तहत हर तीन माह बाद नेट परीक्षा होती है। इसमें भाषा और गणित की परीक्षा की जाती है। परीक्षा के बाद ओएमआर शीट को सरल ऐप पर अपलोड करते हैं। यह शीट लखनऊ में जांची जाती है। अगर छात्र के अंक 50 फीसदी से कम हैं तो संबंधित शिक्षक के सामने समस्या खड़ी हो जाती है।

yogi adityanath school
स्कूल में छात्रों से पाठ पढ़वाते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

15 पंजिकाएं समाप्त

प्रत्येक विद्यालय में एमडीएम, छात्र पंजिका, शिक्षक पंजिका, बैठक पंजिका, निरीक्षण पंजिका, नामांकन पंजिका समेत 15 रजिस्टर होते हैं। ये सब समाप्त हो जाएंगे। इनका कार्य टैबलेट पर होगा।

अभिभावक के खाते में 1100 रुपये

अभिभावक के खाते सीधे 1200 रुपये भेजे जा रहे हैं। इस राशि दो गणवेश, बैग, जूता-मोजा, स्वेटर के लिए आती है। 100 रुपये कॉपी पेंसिल के लिए हैं। किताबें विद्यालय से मिलती है। पहले 1100 रुपये प्रति छात्र आते थे और प्रधानाध्यापक एन.जी.ओ. के माध्यम से बँटवाते थे। गुणवत्ता को लेकर आरोप लगते रहते थे। इसलिए आरोप वाली बात ही समाप्त हो गई है। शैक्षिक वर्ष 2021-2022 में डीबीटी के माध्यम से लाभान्वित छात्र-छात्राओं की संख्या 1,56,28,121 है। शैक्षिक वर्ष 2022-2023 में 2 करोड़ छात्र-छात्राओं को लाभान्वित करने का लक्ष्य है।

आगरा के विकास खंड खेरागढ़ में उच्च प्राथमिक विद्यालय फजियतपुरा (कंपोजिट)। विद्यालय मनभावन है।

कायाकल्प के तहत 19 काम

विद्यालयों का कायाकल्प करने के लिए पहले 14 पैरामीटर थे पहले, जो अब 19 हो गए हैं। ये हैं- पेयजल, बालक शौचालय, बालिका शौचालय, शौचालय में पानी, शौचालय का टाइलीकरण, मल्टीपल हैंडवॉशिंग, कक्षों में टाइलीकरण, श्यामपट, रसोईघर, विद्यालय में समुचित रंगाई-पुताई, रैम्प एवं रेलिंग, विद्युत उपकरण, विद्युत संयोजन, बालक मूत्रालय, बालिका मूत्रालय, फर्नीचर एवं डेस्क, सबमर्सिबल, चारदीवार। अधिकारियों का कहना है कि यूपी के सभी विद्यालयों का कायाकल्प हो गया है।

ब्लैक बोर्ड का रंग बदला

विद्यालयों में श्यामपट (ब्लैक बोर्ड) अब काला नहीं है। इसका रंग एक ओर हरा और दूसरी ओर श्वेत है। हरे रंग पर चाक से तो श्वेत रंग पर मार्कर से पढ़ाया जा सकता है। शिक्षक अपनी सुविधानुसार चयन कर सकता है।

स्कूल को साल में 75 हजार रुपये तक

प्रत्येक विद्यालय को साल भर में 25 हजार से लेकर 75 हजार रुपये तक की कंपोजिट ग्रांट मिलती है। इस धनराशि से विद्यालय का रखरखाव किया जाता है। आवश्यकता होन पर सामग्री तत्काल मंगाई जाती है। यह विद्यालय के प्रधानाचार्य के विवेक पर निर्भर है। इस ग्रांट के कारण ही विद्यालय बाहर से चमके रहे हैं।

yogi adityanath school
यूपी के सरकारी स्कूलों में क्लास स्मार्ट हो रही हैं।

स्मार्ट क्लास, टीवी या प्रोजेक्टर से पढ़ाई

हर विद्यालय में स्मार्ट क्लास होने जा रही है। टीवी या प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई होगी। यह काम भी कंपोजिट ग्रांट से किया जा रहा है।

एकल विद्यालय खत्म

एकल विद्यालय खत्म कर दिए गए हैं। एक विद्यालय वे होते थे जिनमें एक ही शिक्षक हुआ करता था। अब तो प्राइमरी में 30 छात्रों पर और उच्च प्राथमिक स्कूल में 35 छात्रों पर एक शिक्षक है। इसी अनुपात के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति होती है।

रिश्वतखोरी बंद

बहुत सारे काम ऑनलाइन होने से रिश्वतखोरी बंद हो गई है। सबसे बड़ा धंधा नए शिक्षकों की तैनाती और स्थानांतरण में होता था। नया शिक्षक जिले में जाता है तो उसे पता होता है कि किस ब्लॉक में कौन से स्कूल में पद रिक्त है। वह अपनी पसंद का विद्यालय चुन सकता है। इसी तरह से स्थानांतरण भी नीति के अनुसार होता है। इसमें किसी की सिफारिश नहीं चलती है। एक बार स्थानांतरण हो गया तो वहां जाना ही पड़ता है।

चार साल तक एक हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति

कक्षा आठ में पढ़ने वाले छात्रों की छात्रवृत्ति परीक्षा होती है। परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों को चार साल तक एक हजार रुपये प्रतिमाह छात्रवृत्ति मिलती है। अन्य तरह की छात्रवृत्ति बंद कर दी गई है।

यूट्यूब बैठक

स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद आई.ए.एस. माह में एक बार यूट्यूब पर बैठक करते हैं। इसमें सभी शिक्षक जुड़ते हैं। स्कूली शिक्षा को बेहतरी बनाने के लिए सबके सुझाव लिए जाते हैं। आगे की रणनीति पर चर्चा होती है। यह सत्र खासा ज्ञानवर्धक और फीडबैक वाला होता है।

एक परिसर में विद्यालय दो तो प्रभारी एक

कुछ विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक ही परिसर में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं। पहले दोनों के प्रभारी अलग-अलग हुआ करते थे। अब दोनों विद्यालयों का प्रभारी वरिष्ठ शिक्षक रहता है। इससे शिक्षकों के बीच झगड़े समाप्त हो गए हैं।

विद्यालय समय के बाद बीएलओ का काम

पहले शिक्षक बीएलओ ड्यूटी के नाम पर विद्यालय नहीं आते थे, आ गए तो हाजिरी लगाकर गायब हो जाते थे और बीएलओ का काम भी नहीं करते थे। अब विद्यालय समय के बाद ही बीएलओ का काम किया जाता है। मतलब अध्यापन से कोई समझौता नहीं है। बता दें कि बीएलओ के सालभर में 4500 रुपये मिलते हैं।

प्रार्थना के बाद नैतिक शिक्षा

आगरा में ब्लॉक खेरागढ़ के संकुल प्रभारी मनोज शर्मा बताते हैं कि प्रार्थना के बाद पांच मिनट के लिए नैतिक शिक्षा दी जा रही है। बच्चों को साफ सुथरा रहने, माता-पिता के चरण स्पर्श करके स्कूल आने, बड़ों की आज्ञा का पालन करने, नियमित स्नान करने जैसी बातें बताई जाती हैं। सभी बच्चे गणवेश में आते हैं। इतनी अधिक सुविधाएं हैं कि हमारे सरकारी स्कूल मांटेसरी स्कूलों के बराबर आ गए हैं। गांवों में तो बच्चे प्राइवेट स्कूलों से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में प्रवेश ले रहे हैं। इस तरह नामांकन बढ़ा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh