गुरुद्वारा गुरु का ताल आगरा में जहां 9 दिन तक बंदी बनाकर रखे गए गुरु तेग बहादुर, वहां सजा कीर्तन दरबार, हिंदू धर्म की रक्षा के लिए शीश दे दिया, बन गए हिंद की चादर

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए अपनी शहादत देने वाले सिख धर्म के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर साहिब जी के शहीदी  दिवस के अवसर पर गुरुद्वारा गुरु का ताल में विशेष कीर्तन समागम का आयोजन किया गया। अनेक रागी जत्थे व धर्म प्रचारकों ने  गुरबाणी की अमृत वर्षा के साथ-साथ गुरु तेग बहादुर साहिब जी सनातन व हिंदुत्व की रक्षा के लिए मुगलिया हुकूमत के साथ किए गए संघर्ष, आगरा में गिरफ्तारी और फिर दिल्ली में शहादत जैसे विषयों पर विस्तार से अपने विचार रखे।

 गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने बताया कि आगरा की धरती से गुरु जी ने अपने तीन सिखों भाई सतीदास, भाई मतिदास, भाई दयाल जी के साथ गिरफ्तारी दी थी। 9 दिन तक उन्होंने इस स्थान पर रहते हुए तप किया। इसके बाद उन्हें दिल्ली ले जाया गया, जहां चांदनी चौक में उनकी शहादत हुई।

 

 गुरुद्वारा साहिब में आयोजित हुए कीर्तन समागम में रुद्रपुर से आए भाई गुरविंदर सिंह ने अपनी अमृतमयी वाणी से गुरु तेग बहादुर सिमरिए घर नौ निधि आवे  धाए   सब  थाई होए सहाय, शबद सुना संगत को निहाल किया।उन्होंने अपनी वाणी से पूरे माहौल को न केवल जोश से भर दिया बल्कि शहादत की घटना को पूरी तरह से जीवित करते हुए सभी के सामने रखा। उन्होंने बताया कि उस दौरान गुरु जी की शहादत ने हिंदुत्व की तो रक्षा की, साथ ही देश की संस्कृति सभ्यता को भी बचाया।

Gurudwara guru ka taal agra
गुरुद्वारा गुरु का ताल में शबद कीर्तन।

बाहर से आए जत्थे के अलावा गुरुद्वारा गुरु का ताल के भाई हरजीत सिंह ने कीर्तन किया और ज्ञानी केवल सिंह और  रुद्रपुर से आए भाई हरि सिंह ने गुरमत विचार रखे।

इस दौरान गुरुद्वारा गुरु का ताल के जत्थेदार बाबा राजेंद्र सिंह,  बाबा अमरीक सिंह, महंत हरपाल सिंह, ग्रंथी हरबंस सिंह, टीटू सिंह, सतवीर सिंह, हरनाम सिंह मुख्य रूप से मौजूद रहे।

तेग बहादुर हिंद की चादर

गुरु तेग बहादुर साहब को हिंद की चादर के नाम से भी जाना जाता है। गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत अपने परिवार या अपनी कौम के लिए नहीं, बल्कि हिंदुत्व के लिए थी। मुगलिया सल्तनत अपना साम्राज्य बढ़ाने के लिए हिंदुस्तान में आम लोगों का धर्म परिवर्तन कर उन्हें इस्लाम कबूल करा रही थी। ऐसे दौर में गुरुजी ने औरंगज़ेब के इस धर्मांतरण को रोकने में एक अहम भूमिका निभाई और अपनी शहादत के साथ  मुगलिया हुकूमत के पतन की नींव भी रखी।

गुरु तेग बहादुर साहिब ने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया

Dr. Bhanu Pratap Singh