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जैन साधु-साध्वी बनने जा रहे 136 दीक्षार्थी बच्चों का आगरा में भव्य बहुमान

RELIGION/ CULTURE

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. सांसारिक मोह माया को त्याग कर 136 बच्चे जैन साधु और साध्वी बनने जा रहे हैं। इनमें कई तो 12- 13 वर्ष के हैं। इन बच्चों ने अध्यात्म को अपना जीवन बनाया है और भगवान महावीर स्वामी के पदचिन्हों एवं एवं उनके बताए हुए मार्ग का अनुसरण करने को जैन साधु साध्वी दीक्षा अंगीकार करने का निर्णय लिया है। दादाबाड़ी शाहगंज में इन सभी दीक्षार्थियों का जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्रीसंघ, जैन मंदिर दादाबाड़ी ट्रस्ट एवं जैन जागृति महिला मंडल ने भव्य बहुमान किया। इन संस्थाओं के पदाधिकारी ने तिलक लगाया माला पहनाई और भेंट भी दी।

 

कार्यक्रम का संचालन करते हुए जैन श्वेतांबर मूर्ति पूजक श्री संघ के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार जैन ने कहा कि 136 दीक्षार्थी भाई- बहन आगामी कुछ माह में जैन साधु-साध्वी भगवन हो जाएंगे। आपका दर्शन लाभ प्राप्त करके हम धन्य हो गए। आपके आगे के कठिन ‘जिन मार्ग’ के लिए हम परमात्मा महावीर से मंगल कामना करते हैं। आपकी कठिन साधना सफल और आत्म कल्याण हो।

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कार्यक्रम को सबोधित करते राजकुमार जैन।

दादाबाड़ी ट्रस्ट की ओर से संजय दुग्गल, विनय वागचर, राजीव खरड़, कमलचंद जैन, सुनील गांधी, जैन जागृति महिला मंडल की ओर से सुलेखा सुनयना एवं संगीता सकलेचा, संघ की ओर से पूर्व संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन, कमलचंद जैन, सुनील गादिया ने दीक्षार्थियों का बहुमान किया।

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दीक्षार्थियोें का तिलक लगाकर स्वागत करती ममता जैन।

इस दौरान वंदन के भजन गूंजते रहे। उस समय बहुत ही भावुक क्षण हो गया जब 12 वर्षीय दीक्षार्थी तत्व ने अपने विचार रखे। 15 वर्षीय बहनों ने आध्यात्मिक पथ अपनाने के बारे में जानकारी दी।

 

दीक्षार्थियों की 24 तीर्थंकर परमात्मा की कल्याण भूमि के दर्शन की यात्रा चल रही है। इसी के तहत ये आगरा आए हैं। इन्हें लेकर आए प्रवीन लोढ़ा का भी बहुमान किया गया। गरा श्री संघ की ओर से पूर्व संघ अध्यक्ष राजकुमार जैन, सुनील कुमार जैन और आशीष जैन के परिवार ने एवं सुनील गादिया परिवार ने जन्म कल्याणक यात्रा में अपना आर्थिक सहयोग करके अपने को धन्य समझा।

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प्रवीन लोढ़ा का सम्मान करते श्रीसंघ के पदाधिकारी।

इस अवसर पर राजीव पाटनी, ममता जैन, शालू जैन, पिंकी ललवानी, विनीता, सकलेचा, पदमा सकलेचा, प्रतिभा गादिया आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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Dr. Bhanu Pratap Singh