अनाज के दाम नीचे, सब्जियों में लगी आग

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा। ब्रज में कहावत है जीवन भर सीखता रहता है किसान। यह कहावत किसानों को मिलने वाली उनकी उपज की कीमतों को लेकर ही बनाई गयी होगी। इस समय मंडी का हाल अजीब सा है। अनाज की कीमतें गोते मार रही हैं तो सब्जी की कीमतों में आग लगी हुई है। अब इस का लाभ किसे मिल रहा है, किसान को या कारोबारी को यही देखना बेहद महत्वपूर्ण है। पिछले साल आलू को कोई पूछ नहीं रहा था अब 40 रूपये किलो बिक रहा है। हद तो यह हो गई कि लोकी 40 और तोरई 60 रूपये किलो बिक रही हैं।
जनपद में इस वर्ष बाजारों में गेहूं की खरीद 2000 रुपये प्रति कुंतल तक हुई है।

अनाज मंडियों में गेहूं के दाम 1600 से 1650 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गए हैं

सरकार द्वारा किसानों से गेहूं खरीद के लिए घोषित किया गया समर्थन मूल्य भी इस वर्ष 1750 रुपये तक रहा है। कृषि उत्पादन मंडी समिति में भी गेहूं की खरीद फरोख्त 1800 रुपये प्रति कुंतल तक रही है, वहीं पिछले कुछ दिनों में गेहूं के दाम कई सैकड़ा टूटकर नीचे आ गिरे हैं। इन दिनों अनाज मंडियों में गेहूं के दाम 1600 से 1650 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गए हैं। दूसरी ओर बाजरे के दाम भी 1100 रुपये प्रति कुंतल तक बिक कर 900 रुपये प्रति कुंतल पर पहुंच गए हैं। वहीं 1300 रुपये प्रति कुंतल तक बिका मक्का भी गिरकर 1100 रुपये प्रति कुंतल से भी नीचे बिकने लगा है।

खाद्यान्न की कीमतें गिरने से आढ़त व्यवसाई और किसानों की परेशानी बढ़ गई है
आलू के भाव 30 रुपये किलो मंडी में रहे वहीं फुटकार में 40 रूपये किलो तक बिका। टमाटर भी 50-60 रुपये किलो हो गया। इतना ही नहीं कद्दू 25 रुपये किलो के भाव बिका। लौकी 40 और तोरई 60 रुपये किलो बिकी। शिमला मिर्च 70 रुपये किलो हो गई। शीतगृहों से आ रही फूल और पत्ता गोभी 50 से 55 रुपये किलो के भाव मंडी में बिकी। व्यापारी टमाटर महाराष्ट्र से मंगा रहे हैं। स्थानीय स्तर पर इन दिनों टमाटर की पैदावार नहीं हो रही है। थोक में टमाटर के 60 रुपये और फुटकर में 80 रुपये किलो बिक रहा है। हरा धनिया मंडी में नहीं आ रहा है। हरी मिर्च भी 35 रुपये किलो तक बिक रही है। जनपद की मंडियों में खाद्यान्न की कीमतें एकदम से गिरने से आढ़त व्यवसाई और किसानों के माथे की परेशानी बढ़ गई है। इसके बाद न तो आढ़ती महंगे दामों में खरीदा खाद्यान्न बेच पा रहा है और न ही किसान सस्ते में खाद्यान्न बेचने आ रहा है। वहीं खरीदारों को भी आसानी से खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है।

Dr. Bhanu Pratap Singh