नई दिल्ली। बजट 2025 से पहले वित्त मंत्री ने टैक्स के मुद्दे पर अपनी बात स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि सरकार टैक्स सिस्टम को कैसे आसान बना रही है। उन्होंने जीएसटी पर लोगों की गलतफहमियों को दूर करने की कोशिश की। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि मिडिल क्लास की समस्याओं को वह समझती हैं।
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स के मुद्दे पर लोगों की चिंताओं का जवाब दिया। उन्होंने एक अंग्रेजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मिडिल क्लास की समस्याओं और सरकार के प्रयासों पर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे सरकार टैक्स सिस्टम को आसान और निष्पक्ष बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं और भी करना चाहती हूं, लेकिन, कुछ सीमाएं हैं।’
सीतारमण ने नए टैक्स सिस्टम की बात की, जिसमें कम टैक्स रेट और कम छूट हैं। इससे टैक्स सिस्टम आसान हो गया है। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने कहा कि उन्हें छूट नहीं चाहिए, इसलिए हम एक सरल टैक्स सिस्टम लेकर आए।’
जीएसटी पर भी सीतारमण ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जीएसटी से जरूरी चीजों पर टैक्स नहीं लगा। पहले भी राज्यों में वैट और एक्साइज के तहत टैक्स लगता था। जीएसटी ने तो बस अलग-अलग टैक्स रेट को एक कर दिया। इससे पूरे देश में टैक्स सिस्टम एक जैसा हो गया।
उन्होंने कहा, ‘इसे समझाना मुश्किल है और मुझे नहीं पता कि मैं बिना किसी को नाराज किए इसे कैसे कहूं। लेकिन, मैं सीधी बात कहना चाहती हूं। कृपया मुझे यह कहने दें। क्या जीएसटी से पहले जरूरी चीजों पर टैक्स नहीं लगता था? जीएसटी से पहले हर राज्य इन चीजों पर वैट या एक्साइज के जरिए टैक्स लगाता था। ‘टैक्स मत लगाओ’- बहुत अच्छा सिद्धांत है, बिल्कुल मत लगाओ। लेकिन, यह कहना कि जीएसटी ने मेरे साबुन, तेल और कंघी पर टैक्स लगाया… पूरे सम्मान के साथ, नहीं।’
वित्त मंत्री ने आगे कहा, ‘कुछ राज्यों में गाड़ी खरीदना सस्ता था तो कुछ में महंगा। जीएसटी काउंसिल इसलिए बनाई गई ताकि टैक्स रेट पूरे देश में एक जैसे हों। काउंसिल के मंत्री इसे समझने और लोगों की बात रखने में काफी समय लगाते हैं।’
गलतफहमियों को दूर करते हुए सीतारमण ने कहा, ‘यह सोचना कि जीएसटी से पहले ये सब चीजें मुफ्त थीं और अब इन पर टैक्स लग रहा है- गलत है। मैं पक्के तौर पर कह सकती हूं कि जीएसटी के बाद इन सब चीजों पर टैक्स कम हुआ है। मैंने कई आंकड़े जारी किए हैं जो दिखाते हैं कि रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स कम हुआ है। जहां क्रेडिट बनता है, वहां देना चाहिए।’
ये सब बातें ऐसे समय पर हो रही हैं जब बजट 2025 आने वाला है। लोग टैक्स में राहत की मांग कर रहे हैं। जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 5.4% रह गई, जो लगभग दो साल में सबसे कम है। महंगाई ने भी लोगों की जेब पर असर डाला है। खबरें हैं कि सरकार 15 लाख रुपये तक सालाना कमाने वालों के लिए इनकम टैक्स घटाने पर विचार कर रही है। इससे लाखों शहरी टैक्सपेयर्स को फायदा हो सकता है।
सीतारमण ने इन मुद्दों से अपने निजी जुड़ाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं भी एक मिडिल क्लास परिवार से आती हूं जो तनख्वाह पर निर्भर था। क्या आपको लगता है कि मुझे इन बातों की समझ नहीं है?’
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