डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India. जाने-माने कथावाचक नीरज नयन महाराज (वृंदावन, मथुरा) ने गर्भ संस्कार के बारे में महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भक्त प्रह्लाद का जन्म गर्भ संस्कार की देन है। उन्होंने यह भी बताया कि पति-पत्नी संतति के लिए जाएं तो क्या करें और क्या न करें।
नीरज नयन महाराज खतैना रोड, लोहामंडी स्थित गर्भ संस्कार एवं मैटरनिटी होम में आमंत्रितजनों को संबोधित कर रहे थे। यह गर्भ संस्कार केन्द्र अभी बन रहा है लेकिन यहां काम करने वाले चिकित्सक घरों पर ही गर्भवती को गर्भ संस्कार करा रहे हैं। इसके सार्थक परिणाम भी आ रहे हैं।
सबसे पहले गर्भ संस्कार पर ध्यान दें
नीरज नयन महाराज ने कहा- ब्रह्माजी ने 10 प्रकार की सृष्टि का वर्णन है। ब्रह्माजी की जैसे-जैसे वृत्ति होती गई, सृष्टि बदलती गई। सतोगुणी हुआ तो देवताओं और ऋषियों की, रजोगुणी हुआ तो मनुष्यों की सृष्टि हुई। क्रोध से रुद्र की सृष्टि हुई। रुद्र को हमारे सनातन धर्म में संहार का देवता माना जाता है। अर्थात आवेग, प्रमाद, अज्ञानता में कुछ भी किया जाएगा, वह संहार का कारण बनेगा। ब्रह्माजी की तरह हमारी सृष्टि पर भी प्रभाव पड़ रहा है। हमें सबसे पहले गर्भ संस्कार पर ध्यान देना चाहिए। गर्भ संस्कार बहुत पुरातन परम्परा है, जिसे पुनर्जीवित करने का प्रयास संस्था ने किया है। जो यह काम कर रहे हैं, वे सब साधुवाद के पात्र हैं।
वृत्ति ठीक होना चाहिए
उन्होंने बताया कि आचार्य रजनीश ने कहा है कि पति अपनी पत्नी के पास ऐसे जाए जैसे मंदिर में जा रहा हो। इतनी शुचिता, पवित्रता होनी चाहिए। हम संतति के लिए पत्नी के पास वासना से भरकर जाएंगे तो संतति बिना वासना के कैसे होगी। यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चों के जीवन का विकास अच्छा हो, समाज में कुछ अच्छा करें तो इसके लिए पहला संस्कार है आपकी वृत्ति और मनोस्थिति ठीक हो क्योंकि इसका आने वाले जीव पर प्रभाव पड़ता है।
विचार के साथ काल शुद्धि भी होनी चाहिए
नीरज नयन महाराज ने कहा कि मां के गर्भ में आने से पहले बालक पिता के गर्भ में आता है। पिता में विचार शुद्धि के साथ काल शुद्धि होनी चाहिए। पति-पत्नी के मिलन की दृष्टि से अमावस्या, पूर्णिमा, ग्रहण आदि को वर्जित माना गया है। गर्भ संस्कार में केवल विचार नहीं, काल शुद्धि पर भी ध्यान देना है। इसे ध्यान में रखते हुए माता-पिता आगे बढ़ते हैं तो निश्चित रूप से योग्य संतान को जन्म देंगे।
प्रह्लाद की कथा सुनाई
उन्होंने कहा कि गर्भ संस्कार द्वारा कैसे जीवन को परिवर्तित किया जाता है, इसे एक कथा से समझा जा सकता है। प्रह्लाद की मां का नाम कयालु था। हिरण्यकश्यपु जब तपस्या करने के लिए चला गया तो देवाताओं ने कयालु को कब्जे में कर लिया कि इसके गर्भ में पल रहा बच्चा भी राक्षस बनेगा, देवताओं को परेशान करेगा, इसलिए इसे मार दिया जाए। तब देवर्षि नारद ने कहा कि कयालु को मारो मत, दुश्मन की प्रवृत्ति बदलने का प्रयास करते हैं। देवर्षि नारद ने कयालु को अपने आश्रम में रखा और मैटरनिटी होम बना दिया। कयालु को भजन सुनाते रहे। इसका प्रभाव यह हुआ कि जब प्रह्लाद का जन्म हुआ तो नारायण-नारायण कहते हुए। गर्भ में संस्कार का यह प्रभाव है। ऐसे कथानकों का उपयोग गर्भ संस्कार में किया जाए। अंत में उन्होंने स्वयं को बालक कहते हुए सभी से क्षमा प्रार्थना की।
अचेतन मन से बच्चे को पैदा न करें
महाराज के आगमन से पूर्व डॉ. सुनीता ने कहा कि आज बच्चे को पैदा होते ही इनक्यूबेटर में रखना पड़ रहा है। ऐसी दवाइयां शुरू हो जाती हैं जो हमारे लिवर को खराब कर रही हैं। भारतीय मानव शक्ति क्षीण होती जा रही है। अगर हमें ताकतवर बनना है तो सनातन धर्म के बच्चों को ताकतवर बनाना है। बच्चे के पैदा होने के बाद आप कितने ही स्कूलों में भर्ती करो, कितनी ही दवाइयां खिलाओ, लाभ नहीं है। बीज सबल होने की जरूरत है। किसान जब खेती करता है तो बीज चुन-चुनकर डालता है, लेकिन बच्चा अकस्मात पैदा हो जाता है। अचेतन मन से बच्चे को पैदा न करें। बच्चा पैदा करने से पहले माता-पिता को अपनी मानसिकता को सबल रखना है। अगर माता-पिता में ठीक तालमेल नहीं है और प्रिगनेंसी हो गई तो बच्चा ठीक नहीं होगा।
परिचितों को गर्भ संस्कार की क्लास जॉइन करवाएं
समाजसेवी संदेश जैन की पत्नी संगीता जैन भी गर्भ संस्कार करा रही हैं। उन्होंने बताया कि मैंने भी गर्भ संस्कार किया था। इससे मेरे बच्चे को जैन धर्म के प्रतिक्रमण और सामयिक के बड़े-बड़े सूत्र याद हो गए। मैंने अपनी बेटी को गर्भ संस्कार कराया। उसके शरीर की सारी पीड़ा समाप्त हो गई। जब बच्चे का जन्म हुआ तो हॉस्पिटल के सामने महाराज साहब पहुंच गए। बच्चा छह महीने का हो गया है और धार्मिक प्रवृत्ति है। आपने नौ महीने मेहनत की और पूरी जिन्दगी मेहनत की तो दिन-रात का फर्क है। आप अपने परिचितों को गर्भ संस्कार की क्लास जॉइन करवाएं।
महाराज जी के हाथों प्रसाद लेने की होड़
गर्भ संस्कार एंड मैटरिनीट होम के कर्ताधर्ता अशोक गोयल के कुशल संचालन में डीजीसी बसंत गुप्ता और दीपक कपूर ने संत नीरज नयन महाराज का शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। फिर महाराज जी के हाथों प्रसाद लेने की होड़ मच गयी। इससे पूर्व उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। प्रारंभ में भजनों का दौर चला।
उल्लेखनीय उपस्थिति
विजय कुमार गोयल, अमित अग्रवाल, पंकज अग्रवाल, नीलेश कुमार गोयल, राजकुमार बंसल, सुरेन्द्र कुमार अग्रवाल, डीजीसी बंसत कुमार गुप्ता, बंटी ग्रोवर, कृष्ण गोपाल बंसल, राजेन्द्र कुमार, डॉ. भानु प्रताप सिंह, सौवीर कुमार जैन, शिवकुमार गुप्ता, मीरा गर्ग, राजवती अग्रवाल, रजनी गोयल, डॉ. वीना, गुंजन अग्रवाल, निधि अग्रवाल, मिथिलेश अग्रवाल, आभा जैन, धीरज कुमार दरयानी, मोहन लाल गोयल, अशोक खेतरपाल, शशि बजाज डीएस, ममता राजवानी, तृप्ति गोयल, आरके गोयल, आरडी बंसल, गोपाल बंसल, सुरेश चंद्र अग्रवाल, महेश गोयल, नरेन्द्र अग्रवाल, छीतरमल गर्ग, संगीता संदेश जैन, मधु बंसल, प्रवीन अग्रवाल पीके भाई, हरनारायन गर्ग की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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