Swami Ji Maharaj dadaji maharaj

दादाजी महाराज ने किया अंतर के विरोधियों के विरुद्ध भी खड्ग उठाने का आह्वान

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

हूजरी भवन, पीपल मंडी, आगरा राधास्वामी (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज (प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर) हैं जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन (Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 2 अप्रैल 2000 को ली ग्रांड पैलेस, लुधियाना, (पंजाब भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज (Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा- इसलिए मेरा अनुरोध पंजाब के हर बंदे से यह है कि जो भेद शब्द का, नाम का, महिमा संत की और महिमा संत के संग की करी गई है, उसके ऊपर अमल करना सीखिए।

गुरु गोविन्द सिंह ने सही किया
स्वामी जी महाराज फरमाते हैं कि सत्संग ऐसा कल्पतरु है जो सारी वासनाओं को दूर करता है। गुरु नानक को मानने वाला और गुरु गोविंद सिंह के कहने के ऊपर अमल करने वाला सच्चा शिष्य वही है जो उन बातों पर अमल करे जो कि गुरु ने कुछ समय के लिए ही नहीं हर समय के लिए कहीं। जो गुरु गोविंद सिंह ने किया वह उस समय में सही और दुरुस्त था। औरंगजेब ने ऐसे टेढ़े हालात पैदा कर दिए थे कि सारे हिन्दू समाज के ऊपर एक बड़ी भारी चुनौती आ गई थी। धार्मिक संकट आ गया था। उस समय उन्होंने हर परिवार से एक बालक मांगा था जो बिल्कुल सही और दुरुस्त था। उन्होंने बेशक हिन्दू धर्म को बचाने और मुगल बादशाह के जुल्मों को रोकने के लिए तलवार उठाने का हुक्म दिया था। वह एक सीमित उद्देश्य था और उसको आप लोगों ने बड़ी खूबसूरती के साथ पूरा भी किया, लेकिन उनका आदेश और उपदेश वहीं समाप्त नहीं हो गया था।

फिर च्चखंड की प्राप्ति होगी

गुरु साहब का मुख्य उद्देश्य था कि जब उन लोगों से मुक्ति पा लो तब अंतर के विरोधियों के विरुद्ध भी खड्ग उठाओ। अंतर में लोहे की खड्ग नहीं, नाम की उठानी है। जिसने नाम की खड्ग उठा ली वही अपने अंतर में विरोधियों का दमन और नाश कर लेगा। उसी की सबसे बड़ी कामना पूरी होगी और उसी को निजात यानी मुक्ति प्राप्त होगी। वही अपने को जीतेगा और एक एक ऐसे स्थान पर पहुंचेगा जहां सदा सुख, आनंद और शांति है। जहां की रचना सत्य है और उसका रचने वाला भी सत्य है। यानी सच्चखंड की प्राप्ति होगी।

अमल करना सीखिए

मैं बताना चाहता हूं कि सच्चखंड-सच्चखंड करते-करते आपकी उमर बीत गई है पर कभी उसका वास्तविक तौर पर अनुमान भी किया है आखिर वहां पहुंचेंगे कैसे, कौन सी सवारी से जाएंगे और वह सवारी आपको कहां मिलेगी। उदाहरण के लिए इस सच्चखंड एक्सप्रेस से जाओगे तो ज्यादा से ज्यादा मुंबई तक चले जाओगे। सच्चखंड एक्सप्रेस जो वास्तविक है वह शब्द की रेल है और उस शब्द की रेल पर सवारी करने का हुक्म है। इसलिए मेरा अनुरोध पंजाब के हर बंदे से यह है कि जो भेद शब्द का, नाम का, महिमा संत की और महिमा संत के संग की करी गई है, उसके ऊपर अमल करना सीखिए।