“एक देश-एक चुनाव” पर विचार के लिए कमेटी गठित, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बनाए अध्‍यक्ष – Up18 News

“एक देश-एक चुनाव” पर विचार के लिए कमेटी गठित, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बनाए अध्‍यक्ष

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समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सरकार ने “एक देश, एक चुनाव” की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है.

संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी इस कमेटी को बनाए जाने की पुष्टि की है. जोशी ने कहा कि कमेटी बनाई गई है, रिपोर्ट आएगी तो चर्चा की जाएगी. इस बीच बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी कोविंद से मुलाकात की है.

इस समिति के गठन की ख़बर से एक दिन पहले केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है, इस सत्र का एजेंडा नहीं बताया गया है.

बीते कई सालों में पीएम नरेंद्र मोदी ने कई बार देश में लोकसभा चुनाव और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ करवाने की बात कही है. अब इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता में बनाई गई समिति ये सरकार की गंभीरता साफ़ हो गई है.

इस साल नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे.

‘एक देश-एक चुनाव’ पर कमेटी बनाए जाने पर संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने मीडिया से बात की.

प्रह्लाद जोशी ने कहा, ”अभी तो कमेटी बनाई है. इतना घबराने की क्या ज़रूरत है. कमेटी बनाई है, फिर इसकी रिपोर्ट आएगी. रिपोर्ट पर चर्चा की जाएगी. जब संसद में आएगा तो उस पर चर्चा होगी.”

जोशी बोले, ”हम दुनिया के सबसे बड़े और पुराने लोकतंत्र हैं. लोकतंत्र के हित में जो नई-नई चीज़ें आती हैं, उस पर चर्चा तो करनी चाहिए. चर्चा करने के लिए कमेटी बनाई है. कल से हो जाएगा, ऐसा तो हमने नहीं कहा है.”

प्रह्लाद जोशी से 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने और इसके एजेंडे पर सवाल पूछा गया.

इसके जवाब में प्रह्लाद जोशी ने कहा- ”विशेष सत्र में जो एजेंडा होगा, मैं फाइनल होते ही आपको बताऊंगा. जहां तक मैं जानता हूं कि 1963 या 1967 तक विधानसभा और लोकसत्र चुनाव एक साथ ही होता था. उससे देश में विकास के लिए अच्छा माहौल रहता था.”

भारत में 1952, 1957, 1962, 1967 तक लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव साथ करवाए जाते रहे हैं.

प्रह्लाद जोशी कहते हैं, ”आज देखिए जब कोई सरकार लोकसभा में चुनकर आती है. फिर सारे भारत में कहीं न कहीं चुनाव चलते रहते हैं इसलिए फैसले लेने की प्रक्रिया में भी परेशानी होती है. ये एक विचार है, इस पर विमर्श तो होना ही चाहिए.”

Dr. Bhanu Pratap Singh