पुण्‍यतिथि: हिन्दी के मशहूर साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी

पुण्‍यतिथि: हिन्दी के मशहूर साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी

साहित्य


हिन्दी के मशहूर साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी की आज पुण्‍यतिथि है। 09 अगस्‍त 1933 को राजस्‍थान के अजमेर में जन्‍मे मनोहर श्याम जोशी का निधन 30 मार्च 2006 के दिन दिल्‍ली में हुआ।
दूरदर्शन के प्रसिद्ध और लोकप्रिय धारावाहिकों जैसे ‘बुनियाद’, ‘नेताजी कहिन’, ‘मुंगेरी लाल के हसीं सपने’, ‘हम लोग’ आदि के कारण वे भारत के घर-घर में प्रसिद्ध हो गए थे। उन्होंने धारावाहिक और फ़िल्म लेखन से संबंधित ‘पटकथा-लेखन’ नामक पुस्तक की रचना की है। ‘दिनमान’ और ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ के भी वे संपादक रहे।
उन्होंने स्नातक की शिक्षा विज्ञान में लखनऊ विश्वविद्यालय से की। गद्यकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, पत्रकार, दूरदर्शन धारावाहिक लेखक, जनवादी-विचारक, फ़िल्म पट-कथा लेखक, उच्च कोटि के संपादक, कुशल प्रवक्ता तथा स्तंभ-लेखक मनोहर श्याम जोशी की स्मरण शक्ति अदभुत थी। रंजीत कपूर उस समय मोहन राकेश का अधूरा नाटक ‘पैर तले की ज़मीन’ भी राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के रंग मंडल के लिए करने वाले थे। उन्होंने जोशी जी से पूछा कि क्या आपने राकेश का वो नाटक पढ़ा है। जोशी ने कहा कि ठीक से याद नहीं है, मगर धीरे-धीरे पूरे नाटक का सार संक्षेप में बता दिया। यह सब ये भी दिखाता है कि वे नाटक भी कितने ध्यान से पढ़ते थे। अधूरे नाटक भी।
भाषा के जितने विविध अंदाज़ और मिज़ाज मनोहर श्याम जोशी में हैं, उतने किसी और हिंदी कथाकार में नहीं। कभी शरारती, कभी उन्मुक्त। कभी रसीली तो कभी व्यंग्यात्मक। कभी रोजमर्रे की बोलचाल वाली तो कभी संस्कृत की तत्सम पदावली वाली। उनकी भाषा में अवधी का स्वाद भी है। कुमाउंनी का मजा और परिनिष्ठित खड़ी बोली का अंदाज़ भी। साथ ही बंबइया (मुंबइया नहीं) की भंगिमा भी। वे कुमाऊँ के थे, इसलिए कुमाउंनी पर अधिकार तो स्वाभाविक था और ‘कसप’ में उसका प्रचुर इस्तेमाल हुआ है लेकिन ‘नेताजी कहिन’ की भाषा अवधी है। ‘कुरु कुरु स्वाहा’ में बंबइया हिंदी है।
मुख्य रचनाएँ
‘क्याप’, ‘कसप’, ‘नेताजी कहिन’, ‘कुरु कुरु स्वाहा’ (उपन्यास), ‘हम लोग’, ‘बुनियाद’ (धारावाहिक)।
प्रमुख धारावाहिक
हमलोग
बुनियाद
कक्का जी कहिन
मुंगेरी लाल के हसीन सपनें
हमराही
ज़मीन आसमान
गाथा
प्रमुख उपन्यास
कसप
नेताजी कहिन
कुरु कुरु स्वाहा
कौन हूँ मैं
क्या हाल हैं चीन के
उस देश का यारो क्या कहना
बातों बातों में
मंदिर घाट की पौडियां
एक दुर्लभ व्यक्तित्व
टा टा प्रोफ़ेसर
क्याप
हमज़ाद
-एजेंसियां

Dr. Bhanu Pratap Singh