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डॉ. अजय कुमार शर्मा स्मृति स्मारिका का लोकार्पण, रोते रहे परिजन, शशि शेखर ने पत्रकारों की बड़ी गलतफहमी दूर की, देखें तस्वीरें

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विनोद भारद्वाज, निर्मला दीक्षित, गोलेश स्वामी को स्मृति सम्मान

महापौर ने इं. बृजेश शर्मा की पीठ पर हाथ रख कहा- चिन्ता मत करो

पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने किया है स्मारिका का संपादन

Dr Bhanu Pratap singh

Agra, Uttar Pradesh, India. प्रखर पत्रकार, आगरा विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग में शिक्षक और स्वराज्य टाइम्स के संपादक रहे डॉ. अजय कुमार शर्मा पर केन्द्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया तो हर आँख नम हो गई। उनके परिजनों की आँखों से तो टप-टप आंसू गिर रहे थे। पिता के अंतिम संस्कार पर भी न रोने वाले उनके पुत्र इंजीनियर बृजेश शर्मा दूर खड़े रोए जा रहे थे। डॉ. अजय शर्मा की पत्नी मृदु शर्मा मंच पर रो रही थीं। बहू शिखा शर्मा और पुत्री क्यूरी शर्मा मंच के सामने रोए जा रही थीं। उस समय मैं श्रीमती क्यूरी शर्मा के बराबर खड़ा हुआ था। जाहिर है कि मेरी आँखें भी सजल हो गई। मंच के निकट खड़ीं ग्रेनी शर्मा के अश्रु हर कोई देखकर भावुक हो उठा। इस दृश्य से पता चलता है कि डॉ. अजय कुमार शर्मा को एक साल बाद भी परिजन कितना “मिस” कर रहे हैं।

 

पत्रकारिता विभाग में पांच साल तक निःशुल्क सेवा

यह दृश्य है विमोचन समारोह पालीवाल पार्क स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के जुबली हॉल का। प्रथम पुण्यतिथि के मौके पर स्वर्गीय अजय कुमार शर्मा स्मृति स्मारिका-2022 का लोकार्पण किया गया। स्मारिका का संपादन डॉ. भानु प्रताप सिंह ने किया है। डॉ. अजय कुमार शर्मा को कृतज्ञ आगरा ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। संत, शिक्षक, संपादक, समाजसेवी, सिसायतदां आए। रहस्य खुला कि डॉ. अजय कुमार शर्मा ने पत्रकारिता विभाग में पांच साल तक निःशुल्क सेवा प्रदान की थी। समारोह के मुख्य अतिथि और हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर थे। विशिष्ट अतिथि महापौर नवीन जैन, आगरा विवि के प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा और श्री मनकामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी थे। डॉ. अजय शर्मा की धर्मपत्नी मृदु शर्मा भी मंचासीन थीं। कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों ने माँ शारदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

dr bhanu pratap singh agra
स्मारिका का लोकार्पण बाएं से क्यूरी शर्मा, ग्रेनी शर्मा, शिखा शर्मा, मृदु शर्मा, महंत योगेश पुरी, हिन्दुस्तान के प्रधान संपादतक शशि शेखर,आगरा के महापौर नवीन जैन, आगरा विवि के प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा, बृजेश शर्मा और संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह।

हर कोई भावुक

इंजीनियर बृजेश शर्मा ने स्व. आनंद शर्मा (संस्थापक स्वराज्य टाइम्स), श्रीमती मृदु शर्मा ने स्व. कमलेश शर्मा (पत्नी आनंद शर्मा) और ग्रेनी शर्मा ने अपने पापा स्व. अजय कुमार शर्मा के बारे में सूक्ष्म जानकारी दी। ग्रेनी शर्मा तो सतत रूप से रोए जा रही थीं। उनके संबोधन से हर कोई भावुक हो गया। बार-बार यही हो रहा था।

 

साइकिल से पत्रकारिता की, उस वक़्त अजय जी भी साथ थे

समारोह के मुख्य अतिथि और हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर को सुनने के लिए हर कोई आतुर था। उन्होंने कहा-  उन शहरों से गुजरना जहाँ आपका बचपन गुजरा हो बड़ा तकलीफदेह होता है। जैसे-जैसे चीजें खत्म होती हैं तो आपका बचपन भी खत्म हो जाता है। याद आता है 1970 के दशक में जब अपनी अवज्ञाओं के आलोक गढ़ रहे थे मैं और अजय जी। वो जर्नलिज़्म ही क्या जिसमें विद्रोह न हो। हमने साइकिल से पत्रकारिता की, उस वक़्त अजय जी भी साथ थे। मुझे याद आती हैं एक सिनेमा के गीत की लाइनें जो शायर साहिर लुधियानवी ने लिखी हैं- मैंने जो गीत तेरे प्यार की ख़ातिर लिखे, आज उन गीतों को बाज़ार में ले आया हूँ…! सिनेमा के शुरू से शौक़ीन रहे हैं हम, पिताजी की सलाह पर डायरी लिखने लगा था, उस डायरी के मुताबिक एक बार तो एक साल में 168 फिल्में देखीं थीं।

मुझे डैडी फ़िल्म का गीत याद आता है-

आइना मुझसे मेरी पहली सी सूरत मांगे,

मेरे अपने मुझसे मेरे होने की निशानी मांगें…!

वक्त लिखता रहा चेहरे पे हर पल का हिसाब

मेरी शोहरत मेरी दीवानगी की नज़र हुई…!

 

यादों का ऐसा इनबॉक्स है, जिसमें जंक का कोई स्थान नहीं

अजय जी के पिता जी आनंद शर्मा जी को मैं ताऊ जी कहता था। एक दौर था जब मैं कभी एक्टर बनना चाहता था, कभी कवि तो कभी मन करता था एनशिएंट हिस्ट्री पर काम करूँ। मगर आया पत्रकारिता में कुछ कर गुजरने की ललक में तो कभी डोरीलाल जी के पास चला जाता था, कभी डॉ. रामविलास शर्मा जी के पास तो कभी डॉ. विद्या निवास जी के पास और कभी आनंद शर्मा जी के पास। सभी ज्ञान देते, आनंद जी के यहाँ जाता तो बाहर निकलने पर अजय जी और विजय जी कहते प्रैक्टिकली बने रहो। यादों का एक लंबा सिलसिला है, ये यादों का ऐसा इनबॉक्स है, जिसमें जंक का कोई स्थान नहीं है।

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समारोह में उपस्थित लोग

पत्रकारों को गलतफहमी

महिला पत्रकार वर्षा अग्रवाल द्वारा पत्रकारों पर हो रहे हमलों संबंधित पूछे गए सवाल के जवाब में श्री शशि शेखर ने कहा, पत्रकारिता के समक्ष पहले भी चुनौतियाँ थीं, आज भी हैं। अगर हम 100 साल पहले जाएं तो हर आदमी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। 1857 के ग़दर के दौरान अंग्रेजों ने चार लाख से ज्यादा लोगों को कत्ल कर दिया था। पत्रकारों को गलतफहमी क्यूँ है कि आजादी सिर्फ पत्रकारिता ने नहीं दिलाई। जब वक्त बदला है तो पत्रकारिता कैसे बचेगी। अमेरिका जो सबसे स्ट्रॉन्ग देश माना जाता है वहाँ लोग संसद में घुस जाते हैं। आप पत्रकार हैं तो बोलने और लिखने की कला भी आनी चाहिए। मैं तो यूक्रेन भी रिपोर्टिंग के लिए जाना चाहता था, मगर उम्र का हवाला देकर कंपनी ने अनुमति नहीं दी। मैं आज भी खुद को संपादक नहीं पत्रकार कहता हूँ क्यूँकि कुर्सियाँ तो आती जाती रहेंगी।

 

खबर का अकेला प्राणतत्व है सच

उन्होंने कहा- है। खबर का अकेला प्राणतत्व है सच। सच में कुछ मिला देते हैं तो वह कथा हो जाती है, कहानी हो जाती है। पत्रकारिता में खतरे कल भी थे और आज भी हैं। कोलंबिया में खतरे माफ़िया से हैं और हमारे यहाँ माफ़िया हुकूमत भी करते हैं। वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह द्वारा प्रिंट मीडिया के भविष्य के सवाल पर कहा- हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च रिपोर्ट सही साबित हुई तो 2032 के आसपास आखिरी अख़बार छपेगा। आज न्यूजप्रिंट के जो भाव तेजी से बढ़ रहे हैं अखबारों के लिए बहुत चुनौतीभरा वक़्त है।

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वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज का सम्मान।

महापौर ने की यादें ताजा

महापौर नवीन जैन ने कहा कोरोना की पहली लहर में हल्ला बहुत मचा मगर जनहानि उतनी नहीं हुई, लेकिन दूसरी लहर में जनहानि हुई, लोगों के फोन आते थे किसी का दवाई के लिए, किसी का ऑक्सीजन के लिए। श्मशान घाट पर लकड़ियों तक की किल्लत थी। ऐसा वक़्त भगवान कभी न दिखाए, इसने हमसे अजय शर्मा जी को छीन लिया। हम जब गुदड़ी मंसूर खाँ में रहते थे, अजय शर्मा का परिवार बेलनगंज में रहता था, बहुत सी यादें मेरी उनसे जुड़ी हुई हैं। उन्होंने इंजीनियर बृजेश शर्मा को भरोसा दिलाया कि वे हर वक्त साथ में हैं।

 

प्रो. अजय तनेजा, महंत योगेश पुरी, शशिकांत शर्मा का कथन

प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा ने कहा कोई कोई शख्स हमारे जीवन में कुछ यूँ घर कर जाता है कि उसको भुला पाना मुश्किल हो जाता है। महंत योगेश पुरी ने कहा जिसका जन्म हुआ है उसका इस दुनिया से जाना भी तय है मगर इतनी जल्दी जाना बहुत दुख दे गया। इंसान जन्म लेता है एक व्यक्ति के रूप में मगर जब मरता है तो व्यक्तित्व के रूप में। पत्रकारिता के क्षेत्र में अजय शर्मा जी ने खुद की प्रतिभा से खुद को प्रतिष्ठापित किया। पूर्व आईएएस शशिकांत शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। महिला आयोग की सदस्या निर्मला दीक्षित ने कहा पाँच साल तक डॉ. अजय कुमार शर्मा ने बिना वेतन अपनी सेवाएं केएमआई में दीं।

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वरिष्ठ पत्रकार गोलेश स्वामी का सम्मान

इन्हें मिला सम्मान

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद भारद्वाज को स्व. आनंद शर्मा स्मृति सम्मान, उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य निर्मला दीक्षित को स्व. कमलेश स्मृति सम्मान, वरिष्ठ पत्रकार गोलेश स्वामी (लखनऊ) को स्व. अजय कुमार शर्मा स्मृति सम्मान दिया गया। दोनों पत्रकार स्वराज्य टाइम्स की पौधशाला से निकले हैं। आगरा विश्वविद्यालय के कुलसचिव संजीव कुमार सिंह, वित्त अधिकारी अरुण कुमार सिंह और पत्रकारिता में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त कर अजय शर्मा गोल्ड मैडल हासिल करने वाले छात्र जैकी नसीम  को स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। श्रीमती विजय (पत्नी शशि शेखर) को सम्मानित किया गया। सम्मान के बाद निर्मला दीक्षित ने कहा कि डॉ. अजय कुमार शर्मा ने पांच साल तक बिना वेतन के काम किया, जो उनके धैर्य का परिचायक है।

 

डॉ. भानु प्रताप सिंह का सम्मान

डॉ. अजय कुमार शर्मा स्मृति स्मारिका 2022 के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा – मेरे लिए सबसे बड़ा कष्ट है कि भाईसाहब की स्मारिका का संपादन करना पड़ा है। कितनी आनंद आता जब मैं उनके अभिनंदन ग्रंथ का संपादन करता। उन्होंने स्मारिका के संयोजन का श्रेय इंजीनियर बृजेश शर्मा और ग्रेनी शर्मा को दिया। उन्होंने गर्व के साथ कहा कि जब सभी अखबारों ने नौकरी देने से मना कर दिया तब स्वराज्य टाइम्स ने आश्रय दिया। जब स्वराज्य टाइम्स ने आश्रय दिया तो भगाने वाले अखबारों ने बुलाकर नौकरी दी। डॉ. भानु प्रताप सिंह को स्मारिका संपादन के लिए सम्मानित किया गया। अतिथियों का स्वागत इंजीनियर ब्रजेश शर्मा, शिखा शर्मा, श्रीमती क्यूरी शर्मा (गाजियाबाद), ग्रेनी शर्मा आदि ने किया। संचालन सुशील सरित ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इं. ब्रजेश शर्मा एडवोकेट ने किया। कवि सुशील सरित ने सरस संचालन किया।

डॉ. भानु प्रताप सिंह पत्रकार
स्मारिका के संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह का सम्मान

शिक्षक और पत्रकार

इस मौके पर प्रोफेसर प्रदीप श्रीधर, प्रोफेसर बृजेश रावत, प्रोफेसर मनोज कुमार सिंह, प्रोफेसर मनोज श्रीवास्तव, प्रोफेसर अनिल गुप्ता, एसके जैन, डॉ. मनोज राठौर, इंजीनियर हरिमोहन शर्मा, सेंट एंड्रयूज पब्लिक स्कूल के सीएमडी डॉ. गिरधर शर्मा, आगरा पब्लिक स्कूल के महेश चंद्र शर्मा, डॉक्टर मधुरिमा शर्मा, डॉ. केशव शर्मा, डॉ. पीएन अस्थाना, प्रो. बिन्दु शेखऱ शर्मा, इंजीनियर दिवाकर तिवारी, पत्रकार  मधुमोद के रायजादा, हिन्दुस्तान आगरा संस्करण के संपादक डॉ. मनोज पमार, जगत शर्मा, डॉक्टर बचन सिंह सिकरवार, डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा, राजीव सक्सेना, सुनयन शर्मा, अखिल दीक्षित, केपी सिंह, विनोद भारद्वाज (बेलनगंज), आदर्श नंदन गुप्त, विजय उपाध्याय, संजय तिवारी, मनोज मिश्रा, पवन तिवारी, सदीप शर्मा, मधु सिंह, हितेश सिंह, महेश धाकड़, नसीम अहमद, शमीम सिद्दीकी, महावीर वर्मा, वीरेंद्र गोस्वामी, असलम सलीमी, अधर शर्मा, वीरेन्द्र इमल, राजेश मिश्रा, मुनीन्द्र शंकर त्रिवेदी, संदीप शर्मा उपस्थित थे।

 

उल्लेखनीय उपस्थिति

मनोज शर्मा, विजय कपिल, नीलम शर्मा, निधि शर्मा, पी. मयूरा, अखिलेश भटनागर, आशीष कुमार प्रिंस, दीपक कुलश्रेष्ठ, संजय दुबे, जितेन्द्र शर्मा, उमा शंकर (मामाजी), सुनील विकल, कवि पवन आगरी, अमित प्रताप यादव, पीएसपी नेता नितिन कोहली, रणवीर शर्मा, शाहरुख चौधरी, अशोक दीक्षित सीए, अशोक राजौरा, अभिलाष शर्मा, चन्द्रशेखऱ शर्मा, आशीष प्रिंस, युधिष्ठर शर्मा, प्रशांत शर्मा, रामयश शर्मा, डॉ.एमके रजौरा, चन्द्रेश पटेल, शिवशंकर शर्मा, दिलीप भारद्वाज, कृष्णा माथुर, ऋषभ जैन, अनिल कुमार उपाध्यक्ष, अजय गौड़, डॉ. आरसी गौतम,  सौरभ कुमार शर्मा, रोहित शर्मा, रविकांत चावला, सौरभ कुमार शर्मा, डॉ. गुरु प्रसाद, रविकांत शर्मा, उमाकांत मिश्रा, मीना शर्मा, दिलीप खंडेलवाल, दीपू शर्मा, शरद गुप्ता, सुनील कुमार शर्मा एडवोकेट, लोकेश शर्मा, शैलेन्द्र शर्मा,प्रभात शर्मा, लक्ष्मी मिश्रा, जूती बाकड़ी  चंद्रशेखर गुप्त, संजय गुप्त, अपूर्व शर्मा, दिलीप भारद्वाज, अशोक अग्रवाल, पूर्व सीएमओ डॉ. राम बाबू शर्मा, कुसुम भारद्वाज, दिनेश चंद्र शर्मा जयपुर, राजेंद्र शर्मा जयपुर, हरिश्चंद्र शर्मा, राजेश पटेल, छात्र नेता धीरज शर्मा, श्रीमती कल्पना शर्मा, क्रिकेटर बलदेव भटनागर आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh