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डॉ. अभिनव चतुर्वेदी बता रहे हैं स्वस्थ रहने के नुस्खे, देखें वीडियो

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पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह रोग अधिक है। कारण यह है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी लापरवाह होती हैं

Agra, Uttar Pradesh, India। ताजमहल के शहर आगरा के वरिष्ठ फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. अभिनव चतुर्वेदी कई मायनों में सबसे अलग हैं। उनका जोर लोगों को शिक्षित करने पर है ताकि जीवन बिना दर्द के चल सके। वे कहते हैं अगर हम अपनी कुछ आदतें सुधार लें तो कोई समस्या नहीं रहेगी। चिकित्सक की भी जरूरत नहीं होगी। उन्हें महिलाओं से बहुत शिकायत है कि वे अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान नहीं देती हैं। रूपरानी योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, पश्चिमपुरी रोड, सिकंदरा आगरा पर ‘लाइव स्टोरी टाइम’ से बातचीत में डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

80 फीसदी लोगों को दर्द और खिंचाव की समस्या

डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोनावायरस के कारण देश में लॉकडाउन लगा। इसके चलते घरों में काम करने वाली बाई बंद हो गईं। अभी भी कोरोना के भय के कारण कामवाली नहीं बुलाई जा रही हैं। इस कारण घरों में महिला एवं पुरुष स्वयं काम कर रहे हैं, जिससे समस्याएं बढ़ रही हैं। बदन और जोड़ों में दर्द, नसों में खिंचाव की समस्याएं बढ़ रही हैं। यह खिंचाव नस के साथ मांसपेशी या जोड़ का हो सकता है। हमारे पास 80 फीसदी मरीज इसी प्रकार के आ रहे हैं।

थोड़ा व्यायाम भी करें

डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने कहा कि इससे बचने के लिए घर में काम करने से पहले स्वयं के स्ट्रेचिंग करें। यानी प्रत्येक जोड़ को थोड़ा सा चलाएं ताकि मांसपेशियां खुल जाएं और शरीर सॉफ्ट हो जाए। चूंकि हमें काम करने की आदत तो है नहीं मगर करना पड़ रहा है। इसलिए काम करने से पहले और बाद में थोड़ा-थोड़ा व्यायाम अगर हम करेंगे तो इन सारी समस्याओं से दूर रहेंगे।

क्या करें महिलाएं

वे कहते हैं- पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह रोग अधिक है। इसका कारण यह है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ी लापरवाह होती हैं, मानें या न मानें लेकिन ये सत्य बात है। उन्हें केवल घर का काम दिखता है। अगर आप घर का काम ही देखेंगे और स्वयं को नहीं देखोगे तो काम कैसे कर पाओगे। आप स्वस्थ नहीं रहोगे तो कैसे काम चलेगा। इसलिए अपने स्वाथ्य के प्रति जागरूक रहिए। थोड़ा सा व्यायाम करके अपने सारे काम करते रहिए। शरीर की मुद्रा का ध्यान रखें जैसे आगे झुकना नहीं है। सामान उठाते समय घुटने मोड़ लें, पीठ को न झुकाएं, वजन अधिक लग रहा है तो पुरुष को बोलें उठाने के लिए। फिर कोई समस्या नहीं रहेगी।

लॉकडाउन अवसर की तरह

डॉ. अभिनव चतुर्वेदी मानते हैं कि इन समस्याओं का मुख्य कारण लॉकडाउन नहीं हमारी लापरवाही और आलस्य है। लॉकडाउन तो अवसर की तरह होता है। लोगों को पढ़ने का समय मिला, पाकशास्त्र सीखा, वजन घटाया। जो काम हमेशा करना चाहते थे, लेकिन समय न मिलने के कारण कर नहीं पा रहे थे तो लॉकडाउन ने समय दिया। 60 फीसदी समस्याएं हमारी गलती से होती हैं।

योगाभ्यास वास्तव में फिजियोथिरेपी

उन्होंने कहा कि फिजियोथिरेपी से तनाव प्रबंधन भी हो सकता है। योग ध्यान, प्राकृतिक चिकित्सा के माध्यम से स्ट्रेस मैनेजमेंट बेहतर तरीके से कर सकते हैं। फिजियोथिरेपी और योग एक दूसरे के पूरक हैं। कई सारे आसन और फिजियथिरेपी एक समान है। बस नाम अलग हैं। योगाभ्यास वास्तव में फिजियोथिरेपी है।

बैठने का तरीका सीखो

डॉ. अभिनव चतुर्वेदी बताते हैं कि हमारा बैठना भी मायने रखता है। बैठते समय रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए। तनकर बैठते हैं तो रीढ़ की हड्डी पर तनाव होता है। मेरुदंड सीधा रखने के लिए स्पेशल चेयर चाहिए। ये अब आगरा में भी उपलब्ध हैं, पहले केवल दिल्ली में मिलती थीं। आधी पीठ के बाद और गर्दन पर सपोर्ट होना चाहिए। पहले बुनी हुई कुर्सियां आती थीं, वे ठीक थीं। मॉडर्न बनने का अर्थ ये नहीं है कि पुरानी चीजों को भूल जाएं। नई चीजें अपनाइए लेकिन अपनी पुरानी अच्छी चीजों को बिसरा कर नहीं।