Noida (Uttar Pradesh, India)। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर बृहस्पतिवार को नोएडा सेक्टर 34 स्थित नारी निकेतन ‘अन्विता’ में जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. बीवी ढाका ने मानसिक तनाव से दूर रहने के तरीके बताये। उन्होंने कहा मन दुखी रहना, नींद न आना या कम आना, भूख कम लगना इत्यादि मानसिक तनाव की स्थिति है। यही स्थिति जब बढ़ जाती है तो आत्महत्या जैसे नकारात्मक विचार मन में आने लगते हैं। हमें इससे बचना है। उन्होंने कहा ऐसे विचारों को मन में कतई जगह न दें। जब भी मन में नकारात्मक विचार आयें तो जीवनशैली में बदलाव लाएं, ख़ुद पर ध्यान देना शुरू करें, खानपान को संतुलित करें, नियमित रूप से कुछ समय व्यायाम या योग करें। नकारात्मक सोच को दिमाग से हटाएं। अकेले बिल्कुल न रहें, दोस्तों के संग रहें।
डा. ढाका ने कहा कि जीवन में कम समय में ज्यादा हासिल करने की तमन्ना और आगे निकलने की होड़ में लोग मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। युवाओं को जरा सी असफलता अखरने लगती है। वह अपनी जिन्दगी तक को दाव पर लगा देते हैं।
जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डा. तनुजा ने बाइपोलर डिसऑर्डर के बारे में बताया। उन्होंने बताया यह एक प्रकार का मूड डिसऑर्डर है, जिसे उन्माद और हाइपोमेनिया के रूप में समझा जा सकता है। इसमें व्यक्ति का मूड बार-बार बदलता रहता है। कभी वह ऊर्जा से भरा महसूस करता है। कभी एक दम थका हुआ। इस दौरान लोग पूरे दिन और रात में बहुत कुछ करते हैं, पर थकते नहीं हैं। रोगी का यह स्वूभाव लंबे समय तक जारी रह सकता है। नींद आना और कुछ भी नहीं करना, बाइपोलर डिसऑर्डर से संबंधित लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया यह एक तरीके से मानसिक तनाव की स्थिति है। इसके लिए मनोचिकित्सक की सलाह पर दवा का सेवन करना चाहिये। उन्होंने बताया जिला अस्पताल में कमरा नंबर 12 में सोमवार, मंगलवार और बृहस्पतिवार को मानसिक स्वास्थ्य की ओपीडी का संचालन किया जाता है। कोई भी व्यक्ति वहां आकर निशुल्क परामर्श व उपचार करा सकता है।
मनोचिकित्सक सामाजिक कार्यकर्ता डा. रजनी सूरी ने मानसिक रोगों के लक्षण बताए। उन्होंने बताया जिस तरह शारीरिक बीमारियों खांसी, जुकाम, बुखार का इलाज है, उसी तरह मानसिक रोगों का भी उपचार संभव है, बस उसके लक्षण जानना जरूरी है। उन्होंने कहा मानसिक तनाव होने पर उसे खेलकूद, मनोरंजन, ध्यान और योग के माध्यम से दूर किया जा सकता है। जब भी मानसिक तनाव की स्थिति पैदा हो तो अकेले बिल्कुल नहीं रहें। अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बितायें।
कार्यक्रम के अंत में वहां मौजूद 21 महिलाओं ने मनोचिकित्सीय परामर्श लिया, इनमें से कुछ को जिला अस्पताल के मानसिक स्वास्थ्य विभाग में परामर्श लेने की सलाह दी गयी।
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