डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच की मुलाकात अलास्का के ज्वाइंट बेस एल्मेंड्रॉफ-रिचर्डसन एयरबेस पर हुई, जो कभी शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ पर नजर रखने का अमेरिका का अहम सैन्य अड्डा था। तीन घंटों की लंबी बातचीत के बाद भी उम्मीदों के मुताबिक युद्धविराम पर बात नहीं बन गई है। हालांकि डोनाल्ड ट्रंप ने बैठक को ‘बहुत प्रोडक्टिव’ बताया है, लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि ‘जब तक कोई सौदा नहीं हो जाता, तब तक कोई सौदा नहीं हुआ रहता है।’
दूसरी तरफ रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बैठक को ‘सम्मानजनक’ कहा है। बैठक के बाद एक इंटरव्यू में ट्रंप ने दावा किया कि रूस ने अपने तेल का एक बड़ा ग्राहक खो दिया है। उनका संकेत भारत की ओर था। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यदि ऐसा नहीं होतै है तो वह टैरिफ और बढ़ाएंगे।
वहीं ट्रंप के दावे से उलट टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूस से आयात घटाने के बजाय पिछले महीनों में रूसी तेल आयात और बढ़ा दिया है। केप्लर, जो इंटरनेशनल तेल मार्केट पर नजर रखती है, उसके आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारत की रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़कर 20 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) हो गई है।
अलास्का। अलास्का में डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच की बैठक बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई है। जिसके बाद दोनों नेता अलास्का से बाहर निकल गये हैं। माना जा रहा है कि बैठक बेनतीजा रही है, जिसके बाद भारत के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अलास्का में यूक्रेन युद्ध पर तीन घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत की। लेकिन दोनों नेताओं के बीच युद्धविराम को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ है।
इस बैठक को लेकर पहले सिर्फ ट्रंप और पुतिन के बीच वन टू वन बैठक का प्लान बनाया गया था। लेकिन फिर बाद में दोनों तरफ से कई अधिकारी भी बैठक में शामिल हुआ है।
फॉक्स न्यूज की अमेरिकी पत्रकार जैकी हेनरिक ने अलास्का से रिपोर्ट करते हुए कहा है कि “बातचीत का माहौल डोनाल्ड ट्रंप के लिए चुनौतीपूर्ण रहा और ऐसा लगा कि पुतिन बातचीत में शुरुआती दौर से ही हावी हो गए थे।”
उन्होंने आगे कहा कि “ऐसा लग रहा था कि पुतिन इस बैठक में अपनी बात कहने आए थे, उन्होंने अपनी बातें कहीं और फिर चले गये।” इसके अलावा इस बैठक की एक और बहुत बड़ी हैरान करने वाली बात ये थी कि अलास्का, जो अमेरिका की धरती है, वहां डोनाल्ड ट्रंप से पहले व्लादिमीर पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बात की।
ट्रंप-पुतिन मुलाकात की 10 बड़ी बातें
1- डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के बीच की मुलाकात अलास्का के ज्वाइंट बेस एल्मेंड्रॉफ-रिचर्डसन एयरबेस पर हुई, जो कभी शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ पर नजर रखने का अमेरिका का अहम सैन्य अड्डा था। तीन घंटे तक चली इस बातचीत पर पूरी दुनिया की नजरें थीं। दुनियाभर के सैकड़ों पत्रकार इस घटना को कवर करने के लिए पहुंचे थे। इस वार्ता का मकसद यूक्रेन युद्ध के भविष्य की दिशा तय करना और रूस-अमेरिका संबंधों को नए सिरे से परिभाषित करना था। लेकिन तीन घंटे तक चली इस बैठक के बाद भी युद्धविराम पर समझौता नहीं हो पाया। ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैठक नाकाम रही है।
2- डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘जब तक कोई सौदा नहीं होता तब तक कोई सौदा नहीं होता’। इसका मतलब साफ है कि बातचीत आगे बढ़ी जरूर है, लेकिन कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ। पुतिन ने इस बैठक को ‘आपसी सम्मानजनक’ करार दिया, यानी रूस भी पूरी तरह से हाथ खाली नहीं लौटा। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह बयानबाजी दोनों नेताओं की रणनीति का हिस्सा है। डोनाल्ड ट्रंप दुनिया को ये संदेश देना चाहते हैं कि उन्होंने पुतिन को बातचीत की टेबल पर ला दिया है और वो सौदा करने के करीब पहुंच गये हैं, जबकि व्लादिमीर पुतिन ने बातचीत के दौरान शुरू से ही हावी होकर ये संकेत दिया है कि बातचीत उनकी शर्तों के मुताबिक चली है।
3- तीन घंटे की बातचीत के बाद दोनों नेताओं ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन पत्रकारों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। वाइट हाउस ने बताया है कि पूरे समय ट्रंप के साथ उनके शीर्ष सहयोगी मौजूद रहे। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एयर फोर्स वन में संवाददाताओं को बताया कि ट्रंप के साथ पहले से तय वन टू वन बैठक के बजाय, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी शामिल हुए। इसके बाद दोपहर के भोजन पर एक बड़ी बैठक हुई जिसमें अन्य अधिकारी भी शामिल हुए।
4- रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव भी व्लादिमीर पुतिन के साथ इस ऐतिहासिक वार्ता में शामिल हुए। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पुतिन की टीम अनुभवी कूटनीतिज्ञों से बनी थी, जो पश्चिमी दबाव के बीच रूस की स्थिति को मजबूती से पेश कर सके।
5- डोनाल्ड ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि “हमारी बैठक अत्यंत उपयोगी रही और कई बिंदुओं पर सहमति बनी। अब सिर्फ कुछ ही बिंदु बचे हैं।”
6- रूसी राष्ट्रपति, जिन्होंने सबसे पहले मीडिया को संबोधित किया और डोनाल्ड ट्रंप से ज्यादा समय तक बातचीत की। पुतिन ने कहा कि “बातचीत रचनात्मक और पारस्परिक सम्मानपूर्ण माहौल में हुई।” जिसका मतलब ये निकाला जा रहा है कि पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को लगातार पीछे रखा। ये बैठक में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के हावी होने का संकेत था।
7- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें रूसी तेल खरीदने वाले चीन जैसे देशों पर तत्काल टैरिफ लगाने पर विचार करने की जरूरत नहीं है, लेकिन “दो या तीन हफ्तों में” ऐसा करना पड़ सकता है। ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर यूक्रेन में युद्ध खत्म करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, तो वे मास्को पर प्रतिबंध लगाएंगे और उन देशों पर भी अतिरिक्त प्रतिबंध लगाएंगे जो उसका तेल खरीदते हैं। चीन और भारत रूसी तेल के दो सबसे बड़े खरीदार हैं। डोनाल्ड ट्रंप भारत पर पहले ही रूसी तेल खरीदने के लिए 25 प्रतिशत टैरिफ लगा चुके हैं।
8- वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि बातचीत के दौरान व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें बताया है कि 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डाक मतदान के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में बहुत धांधली हुई थी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप चुनाव हार गये थे। अलास्का के एंकोरेज में रूसी राष्ट्रपति के साथ अपनी बैठक खत्म करने के बाद फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “व्लादिमीर पुतिन ने एक बात कही, जो सबसे दिलचस्प बातों में से एक थी, वो कि आपके चुनाव में धांधली इसलिए हुई क्योंकि आपके पास डाक से मतदान कराने की प्रक्रिया है।”
9- अलजजीरा के पत्रकार जेम्स बॉयज ने कहा है कि इस बैठक के असली विजेता व्लादिमीर पुतिन हैं। क्योंकि बैठक में युद्धविराम पर कोई बात नहीं बनी है। दूसरा- दूसरी बैठक होने की उम्मीद बढ़ी है। इस बैठक से भविष्य में एक युद्धविराम को लेकर उम्मीद जरूर बनी है और शायद त्रिपक्षीय बैठक ही और तीसरे नेता के तौर पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की को इस बैठक में शामिल किया जाए। इसके अलावा पुतिन ने ट्रंप को मास्को आने का न्योता दिया है और हो सकता है कि आने वाले वक्त में अगली बैठक मॉस्को में हो और ट्रंप बैठक में भाग लेने रूस जाएं। इसके अलावा यूरोपीय नेता चाहते थे कि बैठक पूरी तरह से यूक्रेन पर फोकस रहे, लेकिन पुतिन ने बहुत ही चालाकी से बैठक को यूक्रेन से डायवर्ट कर रूस-अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों पर ले आए।
10- वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को बताया है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की और पुतिन युद्धविराम पर बातचीत के लिए एक बैठक आयोजित करने का इरादा रखते हैं। अलास्का में पुतिन से मुलाकात के बाद फॉक्स न्यूज के सीन हैनिटी से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि “मुझे लगता है कि वे अब राष्ट्रपति जेलेंस्की, राष्ट्रपति पुतिन और मेरे बीच एक बैठक आयोजित करने जा रहे हैं।” दूसरी तरफ रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि अलास्का में राष्ट्रपति पुतिन का रेड कार्पेट स्वागत किया जाना दर्शाता है कि पश्चिमी मीडिया “पागलपन” की स्थिति में है।
डोनाल्ड ट्रंप ने इस बैठक को काफी ज्यादा ‘प्रोडक्टिव’ बताया, जबकि व्लादिमीर पुतिन ने इस बैठक को एक समाधान की शुरुआत बताया। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को यह सुझाव देकर चौंका दिया कि उनकी अगली मुलाकात मॉस्को में होनी चाहिए। ट्रंप ने कहा कि वह जल्द ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से बात करेंगे। लेकिन भारत के लिए चिंता की बात ये है कि ट्रंप ने अलास्का बैठक के दौरान ही दिए गये एक इंटरव्यू में दावा किया है कि ‘रूस ने एक बड़ा तेल ग्राहक खो दिया है।’
भारत के रूसी तेल खरीदने को लेकर ट्रंप का बड़ा दावा
दूसरी तरफ डोनाल्ड ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा है कि “रूस ने अपने तेल के एक बड़े ग्राहक को खो दिया है, जो भारत है। भारत, रूसी तेल व्यापार का 40% हिस्सा संभाल रहा था। अगर मैं अब सेकेंड्री प्रतिबंध लगाता हूं, तो यह उनके लिए विनाशकारी होगा।” हालांकि भारत ने रूसी तेल का आयात बंद नहीं किया है। भारत अभी भी रूसी तेल खरीद रहा है और पुतिन के साथ बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अगर बैठक बेनतीजा रही तो भारत पर टैरिफ और बढ़ाया जाएगा। ऐसे में सवाल ये हैं कि क्या, अब जबकि बैठक बेनतीजा रही है, तो क्या टैरिफ को और बढ़ाया जाएगा? अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि भारत के कुल तेल आयात का लगभग 35–40% हिस्सा रूस से आ रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप ने जो दावा किया है वो असल में हकीकत से अलग है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने रूस से आयात घटाने के बजाय पिछले महीनों में रूसी तेल आयात और बढ़ा दिया है। केप्लर, जो इंटरनेशनल तेल मार्केट पर नजर रखती है, उसके आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारत की रूसी कच्चे तेल की खरीद बढ़कर 20 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) हो गई है, जो जुलाई में 16 लाख बैरल प्रति दिन थी। यह वृद्धि, जो इराक और सऊदी अरब से आयात की कीमत पर हुई। जिसका मतलब है कि रूस ने अगस्त के पहले पखवाड़े में भारत के अनुमानित 52 लाख बैरल प्रति दिन कच्चे तेल के आयात का 38 प्रतिशत आपूर्ति की।
साभार सहित nbt