कोरोना के खिलाफ लड़ाई में जी जान से जुटे हैं डॉक्टर अवधेश, पिछली बार भी निभायी थी सक्रिय भूमिका

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Hathras, Uttar Pradesh, India. एक बार फिर कोरोना वायरस अपना रूप दिखा रहा है। इसने अपने संक्रमण के जाल में अब तक लाखों लोगों को फंसाया  है। एक बार फिर यह देखने को मिला है कि कोरोना चाहे कितना भी शक्तिशाली होकर क्यों न लौटे हमारे चिकित्सक हमारी रक्षा के लिए हर पल तत्पर हैं। 

कोरोना वायरस ऐसे में जब लोगों पर कहर बनकर टूटा है, तो चिकित्सकों की जिम्मेदारी भी एक बार फिर बढ़ गई है। जनपद में स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपचाराधीनों  के संपर्क में आए लोगों की कांटैक्ट ट्रेसिंग का कार्य जोरों पर है,  जिसमें स्वास्थ्य विभाग का प्रत्येक कर्मी अपना 100 प्रतिशत देने के लिए तैयार है।

पिछले वर्ष कोरोना के समय में अपनी जिम्मेदारी पूरी तन्मयता से निभाने वाले डा.अवधेश कुमार वार्ष्णेय इस बार भी टीम के साथ अपनी जान की परवाह न करते हुए दूसरों की जान बचाने में लगे हुए हैं। जनपद के सहपऊ क्षेत्र में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के चिकित्सक डॉ अवधेश वार्ष्णेय जो लोग बाहर से आ रहे हैं उनकी ट्रेवल हिस्ट्री ट्रैक कर उन्हें ट्रेस कर रहे हैं। साथ ही उपचाराधीन  लोगों को सरकार के दिशा निर्देश के अनुसार होम आईसोलेट या इंस्टीटूशनल आईसोलेट का  कार्य कर रहे हैं। इस कार्य में डॉ विजय आनंद और डॉ गजेंद्र सिंह भी पूरी तत्परता  के साथ लगे हुए हैं ।

इससे पहले भी कोरोना संक्रमण के विस्तार के दौरान  डॉ अवधेश ने सक्रिय भूमिका निभायी थी। उनका उद्देश्य था कि लोगों में कोरोना का संक्रमण न फैले। देश में उपचाराधीनों  की संख्या बढ़ रही थी तो उस समय में शासन द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए सहपऊ ब्लॉक में दूसरे जिलों व राज्यों से आने वाले सभी लोगों की स्क्रीनिंग व कांटेक्ट ट्रेसिंग की।

डॉ अवधेश आइसोलेशन सेंटर व एल -01 अस्पातल में भी ड्यूटी कर चुके हैं। जहां उन्होंने अहम भूमिका निभाई। डॉ. अवधेश कुमार वार्ष्णेय बताते हैं कि जब वह कक्षा 10 में थे तब पिता की बात से प्रभावित होकर डॉक्टर बनने का सपना देखा। तभी से उनके जीवन का लक्ष्य था कि वह एक सफल डॉक्टर बनें पैसे के लिए नहीं बल्कि लोगों की सहायता के लिए। उनका कहना है कि तब भी और आज भी उनका एक ही मकसद है कि कोरोना को हराना है। वह अपने पूरे जी जान से इस लड़ाई में खड़े रहेंगे।