Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। भाद्र मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मथुरा में कंस के कारागार में जन्मे देवकी नंदन सुबह गोकुल में यशोदा नंदन हो गये। कान्हा के जन्म की खुशियां गोकुल में मनाई गयीं। कंस के कारागार से भगवान श्रीकृष्ण को सूप में रख कर भगवान वासुदेव ने यमुना पार कर रात में ही बालकृष्ण को माता यशोदा के पास गोकुल पहुंचा दिया था, वासुदेव लौट कर कारागार में देवकी के पास आ गये और कंस के पहरेदारों को आभास तक नहीं हुआ।
नंदोत्सव के समस्त कार्यक्रम नंदभवन मंदिर के अंदर ही आयोजित किये गये
सुबह माता याशोदा के साथ समस्त गोकुलवासियों ने कान्हा के जन्म की खुशियां मनाईं। कोरोना के चलते इस बार गोकुल में नंदोत्सव परंपरागत तरीके से नहीं मनाया गया। न डोला निकला और नहीं नन्दचौक पर खुशियां मनाई गयीं। नंदोत्सव के समस्त कार्यक्रम नंदभवन मंदिर के अंदर ही आयोजित किये गये। यहां श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित रहा। सुबह मंदिर परिसर में भगवान को जलेबी, लड्डू, मोहनथान, बर्फी, रवडी, मखाने मिश्री, पिस्ता, बादाम, मौती, रुपया आदि अर्पित किये गये।
नंदभवन मंदिर 6 दिन के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा
प्रतीकात्मक रूप में डोला निकालने से लेकर उपहार लुटाने तक की समस्त परंपराएं पूर्ण उत्साह और विधि विधान से संपन्न कराई गयीं। इस दौरान छनियां पुजारी, मथुरादास पुजारी, पप्पू पुजारी, राममूर्ति पुजारी, कुंदन, परमानंद आदि मौजूद रहे। नंदभवन मंदिर 6 दिन के लिए श्रद्धालुओं के लिए बंद रहेगा। 16 अगस्त तक मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित है। हालांकि छटी पूजन से लेकर नंदोत्सव तक के सभी कार्यक्रम विधिविधान से मंदिर के अंदर ही सम्पूर्ण होंगे।