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भारी बारिश भी न रोक पाई भोले जी महाराज और माता मंगला जी के दीवानों को

RELIGION/ CULTURE

9 अक्टूबर को शास्त्रीपुरम में हुआ था जनकल्याण सत्संग समारोह

यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान से आए श्रद्धालु

भोले जी महाराज ने कई भजन सुनाकर भक्तों को निहाल कर दिया

माता मंगला ने सद्गुरु की महिमा का गुणगान कर भक्तिभाव जगाया

 

डॉ. भानु प्रताप सिंह

9 अक्टूबर, 2022 का दिन। भारी बारिश। कभी तेज तो कभी मध्यम बारिश। आगरा शहर में अनेक स्थानों पर जलभराव। बारिश से भयभीत लोग घरों में दुबक गए। दूसरी ओर प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु, समाजसेवी तथा द हंस फाउंडेशन के प्रेरणास्त्रोत श्री भोले जी महाराज और माता श्री मंगला जी के दीवाने बिना रुके, बिना थके चलते रहे। आखिरकार पहुंच ही गए शास्त्रीपुरम (सिकंदरा), आगरा के आईटी पार्क मैदान में।

 

इस समारोह का आमंत्रण मेरे पास भी था लेकिन रविवार होने के कारण कार्यक्रम कई थे। जाट समाज ने मेरा सम्मान कार्यक्रम रखा था। कार्यक्रम में मेरे द्वारा लिखिक ‘हिन्दू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। जाट समाज ने पुस्तकें भी खरीदीं। खूब सराहना हुई। यहां से मुझे सूरसदन जाना था। वहां लोधी क्षत्रिय इम्पलाइज यूनियन (लक्ष्य) ने आगरा की 500 से अधिक प्रतिभाओं का सम्मान कार्यक्रम रखा था। मैं जब तक जनकल्याण संगसंत समारोह में शास्त्रीपुरम पहुंचा तब तक शाम के चार बज गए। श्रद्धालु कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल रहे थे। बारिश का प्रवाह थमा तो नहीं था लेकिन न्यूतनम हो गया था।

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भोले जी महाराज और माता मंगला को स्वागत करते आयोजक।

मैंने देखा कि जलरोधी शामियाना बनाने के बाद भी भूमि के रास्ते पानी अंदर आ गया था। यहां तक पहुंचने के लिए लकड़ी के पटरे बिछाए गए थे। एक तरफ भंडारा चल रहा था। बारिश का पानी सब जगह भरा हुआ था। मिट्टी के कारण कीचड़ हो रही थी। इसके बाद भी भक्तों को कोई शिकायत नहीं थी। वे तो माता मंगला और भोले जी महाराज की भक्ति में लीन थे। हाथ जोड़े हुए वहां से निकल रहे थे। इनमें अबाल, युवा, प्रौढ़, वृद्ध, नर-नारी सभी थे। इसे ही श्रद्धा कहते हैं। इतनी भीड़ थी कि मैं आयोजकों से मिल भी नहीं सका। मैं पंडाल के द्वार तक पहुंचा लेकिन जलभराव के चलते अंदर नहीं गया। मेरा पदवेश मिट्टी में स्नान कर चुका था।

 

माता मंगला जी और भोले जी महाराज को मैंने वृंदावन में देखा था। वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी विशाल अस्पताल बनवा रहे हैं। इसी का शिलान्यास हुआ था। माता मंगला जी ने इस अस्पताल के लिए 100 करोड़ रुपये का दान देने की घोषणा की थी। यह भी कहा था कि कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। 100 करोड़ का दान अपने आप में बहुत बड़ी घटना है। आमतौर पर लोगों की भिखारी को एक रुपया देने में जान निकलती है। मेरी खासी इच्छा थी कि आगरा में माता मंगला जी से भेंट करूं लेकिन ऐसा हो न सका। मैंने 10 अक्टूबर, 2022 के आगरा के अखबार देखे तो कवरेज अच्छा नहीं था। बस नाम के लिए खबर प्रकाशित की गई थी। जिस कार्यक्रम में हजारों श्रद्धालु पहुंचे हों, उसका कवरेज तो ठीकठीक होना ही चाहिए। इसी कारण मैंने यहां कुछ लिखने का प्रयास किया। यह बात अलग है कि आज सात दिन बाद लिख रहा हूँ।

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बारिश में भी शांतचित्त के साथ सत्संग में भाग लेते श्रद्धालु

जनकल्याण सत्संग समारोह में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों से श्रद्धालु आए।  समारोह का आयोजन हंस ज्योति, ए यूनिट आफ हंस कल्चरल सेंटर ने किया। हंस ज्योति की आगरा शाखा के प्रचारक श्री जगदीश जी,  श्री डी. एस. कुशवाह एडवोकेट, श्री अरुण यादव, श्री हरेंद्र त्यागी, श्री ब्रजेश शर्मा और श्रपी कीर्ति सिंह ने श्री भोले जी महाराज और माता श्री मंगला जी को विशाल पुष्पहार पहनाकर भव्य स्वागत किया।

 

इस अवसर पर परमपूज्य श्री भोले जी महाराज ने कहा कि बेटा, पत्नी और धन सम्पत्ति तो पापी के घर भी हो सकती है लेकिन संतों का समागम और भगवान की चर्चा, ये दोनों चीजें बहुत दुर्लभ हैं। अनेक जन्मों के पुण्य कर्मों के बाद मनुष्य को सत्संग की प्राप्ति होती है। सत्संग हमारे मन के विकारों को दूर कर आत्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है। श्री भोले जी महाराज ने अंगुलिमाल और रत्नाकर का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्संग और संतों का सानिध्य पाकर दुष्ट प्रवृत्ति के लोग भी सुधर जाते हैं।

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बारिश में भी शांतचित्त के साथ सत्संग में भाग लेते श्रद्धालु

भोले जी महाराज ने कहा कि सत्संग समाज में रचनात्मक बदलाव लाने का काम करता है। इस मौके पर श्री भोले जी महाराज ने हंसा निकल गया पिंजरे से खाली पड़ी रही तस्वीर… तथा संदेशा संत फकीरों का तुम्हें याद किसी दिन आयेगा.. आदि भजन प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

आध्यात्मिक विभूति माता श्री मंगला जी ने सदगुरु की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि सद्गुरु महाराज भक्ति ज्ञान और मोक्ष के दाता होते हैं। जिस तरह हमें भौतिक जगत में कोई भी विद्या सीखने के लिए गुरु एवं मार्गदर्शक की जरूरत होती है, उसी तरह भगवान के सच्चे नाम और स्वरूप को जानने के लिए हमें सदगुरु महाराज की खोज करनी होगी। उन्होंने कहा कि सद्गुरु की कृपा के बिना कोई भी मनुष्य मायारूपी भवसागर से पार नहीं हो सकता। इस मौके पर मथुरा से आई श्री बृज भजन मंडली के गायकों ने भक्ति, ज्ञान, सत्संग और गुरु महिमा से जुड़े भजन प्रस्तुत कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। देश के विभिन्न तीर्थों से आये कई संत-महात्माओं ने भी अपने सत्संग विचार रखे।

Dr. Bhanu Pratap Singh