उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले में यमुनोत्री से निकल प्रयागराज में गंगा से संगम
दिल्ली से लेकर चंबल तक 700 किलोमीटर के सफर में रह जाता है सिर्फ मल-मूत्र
सफाई के नाम पर हजारों करोड़ रुपये हजम कर चुके हैं अफसर, सुप्रीम कोर्ट चिन्तित
Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तराखंड के टिहरी-गढ़वाल जिले में यमुनोत्री से निकलने वाली यमुना एक हजार 29 किलोमीटर का सफर तय कर उत्तर प्रदेश के प्रयाग में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। दिल्ली से लेकर चंबल तक का जो 700 किलोमीटर का जो सफर है उसमें सबसे ज्यादा प्रदूषण दिल्ली, मथुरा और आगरा का है। दिल्ली के वज़ीराबाद बैराज से निकलने के बाद यमुना बद से बदतर होती जाती है। पानी के नाम पर सिर्फ मलमूत्र और रासायनिक कचरा होता है। पानी में ऑक्सीजन तो है ही नहीं। चंबल में पहुंच कर यमुना फिर से अपने रूप में वापस आती है।
हजारों करोड़ रुपये अफसरों की जेब में
यमुना की सफाई के लिए दो बार यमुना एक्शन प्लान बने हैं। परिणाम कुछ नहीं निकला। हजारों करोड़ रुपये अफसरों की जेब में चले गए। दिसंबर, 2012 में यमुना की सफाई के मामले में सरकारी एजेंसी के बीच तालमेल की कमी को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया और पूछा कि करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी अभी तक कोई परिणाम क्यों नहीं निकला। जवाब नहीं मिला है।
आगरा में यमुना की स्थिति भयानक
आगरा में यमुना की स्थिति भयानक है। सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनने के बाद भी 42 नालों की पानी सीधे यमुना में जा रहा है। बारिश का पानी आता है और चला जाता है। यमुना में रुकता नहीं है। आगरा के लोग भी यमुना को बचाने के प्रति तनिक भी गंभीर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी यमुना में भैंसें स्नान करती हैं। तमाम लोग मल त्याग करते रहते हैं। धार्मिक कचरा यमुना में फेंकते हैं। जनप्रतिनिधि भी यमुना की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। चूंकि यमुना से कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलता है, इसलिए चुनावी मुद्दा भी नहीं बन पाता है।
डिसिल्टिंग कराई जाए
इसे देखते हुए आगरा स्मार्ट सिटी, भारत सरकार के सलाहकार सदस्य राजेश खुराना ने आगरा के सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल, मंडलायुक्त अमित गुप्ता, जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में कहा है कि यमुना की कम से कम 12 फुट गहरी डिसिल्टिंग कराई जाए ताकि बारिश का पानी भरा रह सके। कैलाश घाट पर यमुना गहरी है तो वहां पानी हर समय रहता है। थोड़ा सा पानी बल्केश्वर घाट पर रहता है। इससे आगे तो पानी है ही नहीं। वाटर वर्क्स पर भी पानी नहीं है, जबकि वहां से आधे शहर को पानी की आपूर्ति की जाती है।
यमुना में खनन का ठेका उठाया जाए
श्री खुराना ने सुझाव दिया है कि कैलाश घाट से लेकर समोगर गांव तक यमुना से बालू खनन करने दिया जाए। इससे यमुना अपना आप डिसिल्ट हो जाएगी और सरकार का कोई खर्चा नहीं होगा। अवैध खनन के नाम पर गोलीबारी, हत्या जैसी घटना भी बंद हो जाएंगी। सरकार चाहे तो खनन का ठेका उठा सकती है। इससे सरकार को राजस्व मिलेगा और यमुना भी डिसिल्ट हो जाएगी। उनका कहना है कि यमुना की डिसिल्ट करने का यही उचित समय है क्योंकि बारिश होने वाली है। इस कार्य को तत्काल करने की आवश्यकता है। इसके बाद तो अवसर एक साल बाद आएगा।
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