भारत रत्न पार्श्वगायिका लता मंगेशकर की आज पुण्यतिथि है। 28 सितम्बर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में पैदा हुई लता मंगेशकर की मृत्यु 6 फरवरी 2022 के दिन मुंबई में हुई थी। उनकी आवाज़ ने छह दशकों से भी ज़्यादा समय तक संगीत की दुनिया को सुरों से नवाज़ा। ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर ने 20 भाषाओं में 30,000 गाने गाये। उनकी आवाज़ सुनकर कभी किसी की आँखों में आँसू आए तो कभी सीमा पर खड़े जवानों को सहारा मिला। उन्होंने स्वयं को पूर्णत: संगीत को समर्पित कर रखा था।
जीवन परिचय
लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं।
लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। उनकी शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी। लताजी का नाम पहले ‘हेमा’ था, लेकिन जन्म के पांच साल बाद माता-पिता ने नाम बदलकर ‘लता’ रख दिया था।
संगीत में पहला क़दम
1942 में पहली बार गाने का पार्श्व अनुभव
1943 में पहला हिन्दी गाना
1947 में हिन्दी फ़िल्मों में पार्श्व गायन (आपकी सेवा में) के रूप में पहला गीत
1949 में प्रसिद्ध फ़िल्म बरसात, अंदाज, दुलारी और महल
1950 में वह फ़िल्मों में सबसे ताकतवर महिला बनीं
देश-भक्ति गीत
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिये एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उपस्थित थे। इस समारोह में लता जी के द्वारा गाए गये गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” को सुन कर सब लोग भाव-विभोर हो गये थे। पं नेहरू की आँखें भी भर आईं थीं। ऐसा था आपका भावपूर्ण एवं मर्मस्पर्शी स्वर। आज भी जब देश-भक्ति के गीतों की बात चलती है तो सब से पहले इसी गीत का उदाहरण दिया जाता है।
आवाज़ का जादू
आपने गीत, गज़ल, भजन, संगीत के हर क्षेत्र में अपनी कला बिखेरी है। गीत चाहे शास्त्रीय संगीत पर आधारित हो, पाश्चात्य धुन पर आधारित हो या फिर लोक धुन की खुशबू में रचा-बसा हो। हर गीत को लता जी अपनी आवाज़ के जादू से एक ऐसे जीवंत रूप में पेश करती हैं कि सुनने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता है। लता जी ने युगल गीत भी बहुत खूबी के साथ गाए हैं।
मन्ना डे, मुहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, महेंद्र कपूर आदि के साथ-साथ आपने दिग्गज शास्त्रीय गायकों पं भीमसेन जोशी, पं जसराज इत्यादि के साथ भी मनोहारी युगल-गीत गाए हैं। गज़ल के बादशाह जगजीत सिंह के साथ आपकी एलबम “सजदा” ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ।
पुरस्कार
सांगीतिक उपलब्धियों के लिए आपको अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। संगीत जगत में अविस्मरणीय योगदान के लिए लता जी को
फ़िल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)
राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)
महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
सन 1989 में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया।
सन 1993 में फ़िल्म फेयर के ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
सन 1996 में स्क्रीन के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
सन 1997 में ‘राजीव गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
सन 1999 में पद्मविभूषण, एनटीआर और ज़ी सिने के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
सन 2000 में आईआईएएफ (आइफ़ा) के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
सन 2001 में स्टारडस्ट के ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’, नूरजहाँ पुरस्कार, महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सन 2001 में भारत सरकार ने आपकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” से आपको विभूषित किया।
-एजेंसी
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