मेंस्ट्रुअल हाइजीन: मासिक धर्म से जुड़ी सही जानकारी जरूरी, क्योंकि आंतरिक स्वच्छता में ही है समझदारी – Up18 News

मेंस्ट्रुअल हाइजीन: मासिक धर्म से जुड़ी सही जानकारी जरूरी, क्योंकि आंतरिक स्वच्छता में ही है समझदारी

HEALTH

 

मासिक धर्म यानी माहवारी या पीरियड्स, भारतीय समाज में आज भी एक वर्जित विषय है। महिलाएं भी खुलकर बात करने से कतराती हैं। मेंस्ट्रुअल हैल्थ व हाइजीन को लेकर महिलाओं में जानकारी की कमी पाई गई है।

बचपन से ही मासिक धर्म से जुड़ी सही जानकारी और इससे संबंधित स्वच्छता के उपायों के बारे में बताना बहुत आवश्यक है। स्वच्छता का ध्यान न रखने के कारण बड़ी समस्याएं भी खड़ी हो सकती हैं। गंभीर स्थितियों में बच्चेदानी/किडनी से संबंधित समस्या होने का ख़तरा बढ़ जाता है। मासिक धर्म के दौरान शरीर से अशुद्ध रक्त स्रावित होता है, जिसे सैनिटरी नैपकिन अवशोषित करता रहता है। इस दौरान शरीर के जननांग विभिन्न प्रकार के संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील रहते हैं, क्यूंकि पीरियड्स में वैजाइना का पीएच क्षारीय “अल्कलाइन’ हो जाता है। ऐसे में ज़्यादा देर तक एक ही पैड के इस्तेमाल से जननांगों में इंफेक्शन हो सकता है।

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन

यह एक ऐसी बीमारी है जो मूत्रमार्ग के कई हिस्सों को प्रभावित करती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने का जोखिम अधिक होता है। कई मामलों में मूत्राशय का इंफेक्शन बहुत दर्दनाक हो सकता है। यदि यूटीआई विकराल रूप लेकर आपकी किडनी तक पहुंच जाए, तो इसके दूरगामी प्रभाव किडनी फेल होने तक जा सकते हैं।

रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इंफेक्शन

एंडोमेट्राइटिस या साल्पिंजाइटिस क्रमश: गर्भाशय व फैलोपियन ट्यूब में होने वाला माइक्रोबियल इंफेक्शन है। यह पेरिटोनाइटिस, पेल्विक एब्सेस या सेप्टीसीमिया तक जैसे गंभीर मोड़ ले सकता है। किन्हीं स्थितियों में इस तरीक़े का संक्रमण जानलेवा भी साबित हुआ है।

बैक्टीरियल वैजिनोसिस

जिन महिलाओं की उम्र बच्चा पैदा करने की है उनमें बैक्टीरियल वैजिनोसिस का ख़तरा अधिक रहता है। असुरक्षित यौन संबंध या डेली डूशिंग जैसी गतिविधियां इसका जोखिम बढ़ा सकती हैं। लक्षणों में असामान्य वैजाइनल डिस्चार्ज, जलन और दुर्गंध शामिल हैं।

फंगल इंफेक्शन

सैनिटरी नैपकिन को समय से न बदलने, अथवा गंदे कपड़े का उपयोग करने से भी फंगल संक्रमण हो सकता है। इसमें योनि में खुजली-जलन, श्वेत प्रदर और सूजन आ जाती है। युवा द्वारा जल्दी-जल्दी में गीले/सीले अंडरगारमेंट्स का उपयोग भी इसका मुख्य कारण है।

टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम

टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक रेयर कॉम्प्लिकेशन है, जो नैपकिन या फिर कपड़े को लगातार 12 घंटे से अधिक लगाए रखने से जन्म लेता है। इस दौरान गंदे खून में पनपने वाले बैक्टीरियल टॉक्सिंस बच्चेदानी तक पहुंच जाते हैं, और सर्क्युलेशन में मिल सकते हैं। इससे बीपी कम होने लगता है, नब्ज़ तेज़ हो जाती है और स्थिति गंभीर होने पर महिला की मृत्यु तक हो सकती है।

सर्वाइकल लीजंस / कैंसर

महिलाएं जिन्हें मासिक धर्म के दौरान जननांगों की स्वच्छता कैसे करें, इस बात की जानकारी नहीं होती, सर्वाइकल लीजंस/कैंसर का शिकार हो सकती हैं। इनमें बार-बार होने वाला सर्विसाइटिस कैंसर का रूप तक ले लेता है।

प्रेग्नेंसी और इनफर्टिलिटी (बांझपन) से जुड़ी समस्याएं

प्रजनन-पथ के संक्रमण से होने वाला रोग (पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिसीज़) महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है। ऐसी महिलाएं अगर प्रेगनेंट हो भी जाएं, तो उनमें मिसकैरेज व समयपूर्व डिलीवरी का ख़तरा रहता है।

इन दुष्परिणामों से बचाव के लिए कुछ साधारण-सी बातों का ध्यान रखना आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।

हाथों को ठीक तरह से साफ़ करने के बाद ही नया पैड लगाएं या हटाएं।

पैड को 6-7 घंटे में बदल लें, तो बेहतर होगा।

मार्केट में इंटिमेट हाइजीन के कई प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं, उनके झांसे में न ही आएं, तो बेहतर। साफ़ करने के लिए महज़ सादा पानी ही काफ़ी होता है।

इस बात का ध्यान रखना भी ज़रूरी है कि पीरियड्स के दौरान आप बहुत ज़्यादा टाइट या सिंथेटिक कपड़े न पहनें।

आपकी जेनाइटल स्किन को इस दौरान सांस लेने की बेहद ज़रूरत होती है। थोड़े ढीले, सूती कपड़े पहनें, जिससे आप आरामदेह व सुकून महसूस करें।

गीले अंडरगारमेंट्स का इस्तेमाल क़तई न करें। हमेशा इनर वेयर/पैंटी को धूप में सुखाने के बाद ही इस्तेमाल करें। आज भी कई घरों में अंत:वस्त्र धूप में न सुखाकर कमरे के कोने में, तौलिए के नीचे डाल दिए जाते हैं। इससे यह हमेशा नम बने रहते हैं। इन कपड़ों को धूप में डालना ज़रूरी है।

युवतियों को यात्रा के दौरान पब्लिक टॉयलेट्स का इस्तेमाल करते समय भी हाइजीन व सेनिटेशन का पूरा ख़याल रखना चाहिए। हैंडल आदि को छूते समय टिश्यू पेपर का इस्तेमाल कर सकती हैं।

आख़िर में इस बात का ध्यान रखें कि आप सैनिटरी नैपकिंस को ठीक तरह से डिस्पोज़ कर रही हैं या नहीं। पैड्स को अख़बार में लपेटकर कूड़ेदान में डालें। इन्हें फ्लश करने या फिर मिट्टी में गाड़ने की कोशिश न करें।​​​​​​​

किशोरियां तथा युवतियां याद रखें कि आज सोशल मीडिया के दौर में इंटरनेट के ज्ञान पर भरोसा न करते हुए, पीरियड प्रॉब्लम्स अथवा मेंस्ट्रुअल हैल्थ से जुड़ी जिज्ञासाओं को लेकर एक कुशल गायनेकॉलॉजिस्ट से संपर्क करें, क्योंकि आंतरिक स्वच्छता में ही समझदारी है।

Dr. Bhanu Pratap Singh