पंजाब भवन में पांच घंटे चली ऐतिहासिक बैठक, उठे कठोर कदमों के प्रस्ताव
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा। पूरे देश में संगठित रूप से चल रहे धर्मांतरण के षड्यंत्रों के विरुद्ध पंजाबी विरासत परिवार—जिसमें पंजाबी, सिख, खत्री, बहावलपुरी एवं मुल्तानी समाज सम्मिलित हैं—ने तीव्र आक्रोश व्यक्त किया है।
लोभ, लालच, दबाव और जादू-टोना जैसी अमानवीय चालों से बेटियों को धर्म बदलने पर मजबूर करना एक सभ्यता पर सीधा हमला है।
प्रशासन की सजगता की प्रशंसा, समाज की बेटियों को दिलाया न्याय
वक्ताओं ने पुलिस प्रशासन की तत्परता की भूरी-भूरी प्रशंसा की, जिसने समय पर संज्ञान लेकर विभिन्न शहरों में दबिश दी और दो बेटियों को मुक्त कराकर उदाहरण प्रस्तुत किया।
पंजाब भवन में हुई पांच घंटे लंबी ऐतिहासिक बैठक
यह बैठक रविवार को शाम 4 बजे पंजाब भवन, आगरा कैंट में अध्यक्ष पूरन डावर और संत बाबा प्रीतम सिंह की सरपरस्ती में सम्पन्न हुई। उपस्थिति इतनी विशाल थी कि जहाँ देखो वहाँ सिर ही सिर नज़र आ रहे थे।
समाज की चेतावनी : षड्यंत्रकारियों से सावधान रहें
महामंत्री बंटी ग्रोवर और मीडिया समन्वयक भूपेश कालरा ने बताया कि यह बैठक जागरूकता, एकता और सक्रियता के तीन स्तंभों पर आधारित थी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि “कुछ संगठन योजनाबद्ध तरीके से हमारी बेटियों को धर्मांतरण के लिए फंसा रहे हैं, यह हमारे धार्मिक अस्तित्व पर सीधा प्रहार है।”
अनिल वर्मा एडवोकेट का चेतावनी भरा ऐलान
कार्यकारी अध्यक्ष अनिल वर्मा ने कहा—
“किसी भी व्यक्ति को प्रलोभन, धोखे या धमकी से धर्म बदलवाना केवल नैतिक नहीं, बल्कि एक कानूनी अपराध है। इसकी कठोरतम सजा सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

गुरुओं के बलिदानों को याद रखने की प्रेरणा
डॉ. तरुण शर्मा ने भावभीना वक्तव्य दिया—
“हमें अपने गुरुओं का बलिदान नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने अधर्म के आगे सिर नहीं झुकाया।”
आर्य समाज के प्रधान वीरेन्द्र कंवर ने कहा— “बच्चों में जब तक संस्कार नहीं होंगे, तब तक धर्म नहीं बचेगा।”
धर्म, शिक्षा और संस्कृति को फिर से जीवन में लाने की मांग
- धर्मांतरण विरोधी कानून को सशक्त बनाने की मांग
- सनातन बोर्ड की स्थापना
- स्कूलों में भारतीय पोशाक और संस्कृति
- स्कर्ट संस्कृति का विरोध
- धार्मिक स्थलों की नियमित यात्रा परंपरा
- विरासत द्वारा अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की योजना
संस्कार, शास्त्र और संघर्ष का आह्वान
भाई अमरीक सिंह ने कहा—“जब हम बच्चों को संस्कार नहीं देंगे, तो उन्हें इतिहास की समझ कैसे होगी?”
अन्य वक्ताओं में नरेंद्र तनेजा, गुरमीत सेठी, दीपक ढल, रंजीत सामा, कुलविंदर सिंह, अमित खत्री समेत अनेकों ने समाज को जागरूक और संगठित करने का आह्वान किया।
महिला शक्ति की विशेष उपस्थिति
मधु बघेल, रानी सिंह, सुनंदा अरोड़ा, मोनिका सचदेवा समेत अनेक महिला प्रतिनिधियों ने धर्म, संस्कृति और परिवार की रक्षा का संकल्प दोहराया।
संपादकीय : मौन नहीं, प्रतिकार ही उत्तर है
यह बैठक केवल एक विरोध नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण की घोषणा थी। जब बेटियाँ प्रलोभन, लालच और भय से धर्म बदलने को मजबूर की जाएं, तो यह केवल एक व्यक्ति का नहीं, समस्त सभ्यता का अपमान होता है।
अब समाज को मौन नहीं, संगठित होकर जागरूक और सक्रिय होना होगा। धर्म, आस्था और संस्कृति कोई सजावट की वस्तु नहीं, जीवन का आधार हैं। जब आधार हिलाया जाए, तो प्रतिरोध ही धर्म है।
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