नव-चयनित 163 चिकित्साधिकारी, 2 रीडर (आयुर्वेद) तथा 19 प्रोफेसर, 3 प्रवक्ता (होम्योपैथी), 96 विधि विज्ञान कनिष्ठ प्रयोगशाला सहायकों को लखनऊ में नियुक्ति-पत्र वितरित
Live Story Time
Lucknow, Uttar Pradesh, India, Bharat. उत्तर प्रदेश के कर्मठ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आयोजित एक भव्य समारोह में आयुष और विधि विज्ञान क्षेत्र के नवचयनित 283 चिकित्सा अधिकारियों और प्रयोगशाला सहायकों को नियुक्ति पत्र वितरित किए। इनमें लाल बहादुर शास्त्री होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा गुप्ता साहू भी शामिल थीं, जिन्हें मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रोफेसर का नियुक्ति पत्र सौंपा। उन्हें प्रयागराज में ही नियुक्ति मिली है। उनके पति प्रोफेसर जीपी साहू प्रयागराज में ही प्रोफेसर हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपने ओजस्वी संबोधन में राज्य के गौरवमयी अतीत को संजोने, वर्तमान को सशक्त करने और भविष्य को समृद्ध बनाने की दृष्टि प्रस्तुत की।
नियुक्ति पत्र वितरण: एक स्वर्णिम क्षण
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग और उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की निष्पक्ष व पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत 163 चिकित्साधिकारी, 2 रीडर (आयुर्वेद), 19 प्रोफेसर, 3 प्रवक्ता (होम्योपैथी) और 96 कनिष्ठ प्रयोगशाला सहायकों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए। यह क्षण नवचयनित युवाओं के लिए गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बना।
आठ वर्षों का परिवर्तन: बीमारू से प्रगति की ओर
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “हमने आठ वर्षों में 1.56 लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की, 56 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती ट्रेनिंग के लिए तैयार है। इतने ही शिक्षकों को नियुक्त किया गया है। अन्य सभी विभागों में नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कार्य हुआ है।” उन्होंने जोड़ा, “दक्ष और प्रशिक्षित लोग जब किसी सेवा का हिस्सा बनते हैं, तो उसकी कार्यपद्धति में उतनी ही तेजी आती है। आठ वर्ष पहले उत्तर प्रदेश को बीमारू कहा जाता था, पर हकीकत में बीमार राज्य नहीं, व्यवस्था थी। समाज का हर तबका तबाह था। आज हमारी कार्यपद्धति तत्परता से निर्णय लेने, शुचिता और ईमानदारी से लागू करने की है। इसके परिणाम भी उतने ही ईमानदारी और तत्परता से दिखते हैं। यही नए भारत और नए उत्तर प्रदेश का निर्माण कर रहे हैं।”
महाकुंभ की सफलता: एकजुटता का प्रमाण
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ का उदाहरण देते हुए कहा, “महाकुंभ की सफलता पर देश-दुनिया से आने वाले हर व्यक्ति ने तारीफ की। कुंभ में पहुँचते ही सफाई, पुलिस का व्यवहार, टेंट, संगम में पर्याप्त जल और कॉरिडोर का निर्माण अच्छा लगता था। सभी विभागों ने मिलकर एकसाथ काम किया, तभी महाकुंभ को सफलता मिली। यही हम दैनिक जीवन में देखते हैं। कुंभ प्रयागराज में हो रहा था, पर इसकी गतिविधियों की निगरानी यहाँ से की जाती थी। आज तकनीक इतनी आगे बढ़ चुकी है कि हम इसे अपनी कार्यपद्धति में सहायक बना सकते हैं।”
आयुष की महत्ता: विरासत का गौरव
आयुष विभाग पर प्रकाश डालते हुए योगी ने कहा, “आज जो नियुक्ति पत्र मिल रहे हैं, वे दोनों विभाग महत्वपूर्ण हैं। आयुष में योग, आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा, नेचुरोपैथी आदि हैं। इसके लिए अच्छे संस्थान बनाए गए हैं और अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। दुनिया के 193 देश योग के साथ जुड़े हैं। यह भारत की परंपरागत परंपरा के प्रति श्रद्धा का परिणाम है। जब हम अपनी विरासत को कोसेंगे, तो दुनिया हमारे पीछे क्यों जाएगी? पहले भारत की विरासत को कोसना कुछ लोगों के लिए गौरव की बात थी, पर आज जैसे ही इसे मान्यता मिली, प्रधानमंत्री मोदी जी ने इसे आगे बढ़ाया और योग के साथ दुनिया जुड़ गई। महाकुंभ से जुड़ने के लिए भी दुनिया आतुर दिखी। 45 दिनों के आयोजन में यह सनातन धर्म का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन दुनिया की प्राइम न्यूज़ बना।”
आयुर्वेद और संतुलित जीवन: प्राचीन ज्ञान की शक्ति
उन्होंने आगे कहा, “आयुर्वेदिक पद्धति भारत के प्राचीन ऋषि-मुनियों के व्यापक अनुभव पर आधारित है। यह केवल उपचार के लिए नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित और सुरक्षित रखने, आयु बढ़ाने में सहायक है। संतुलित दिनचर्या से काया को आरोग्यता प्रदान करने में आयुर्वेद महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय का काम पूरा हो चुका है। 214 आयुर्वेदिक, 1537 होम्योपैथी चिकित्सालयों का निर्माण चल रहा है। 225 आयुष चिकित्सालयों में योग और वैलनेस सेंटर शुरू हैं, 395 बन रहे हैं, बाकी का उन्नयन हो रहा है।”
पारंपरिक ज्ञान का संरक्षण: गाँवों से सीख
मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से आह्वान किया, “हम केवल आयुर्वेद की गोली पर विश्वास नहीं करते। हमें पुरानी पद्धतियों की जानकारी जुटानी चाहिए। गाँवों के बुजुर्गों और पुराने वैद्यों से ज्ञान लें। गाँवों में उपचार की पद्धति के पीछे कुछ तो कारण रहा होगा। वह ज्ञान हमें सुरक्षित करना होगा। गाय को सड़ा-गला खिलाएँगे, तो दूध भी वैसा ही होगा। अच्छा चारा, चोकर, घास देंगे, तो दूध पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा। खेत में पेस्टीसाइड्स डाले जा रहे हैं, उससे प्राप्त अन्न क्या व्यक्ति को स्वस्थ रख पाएगा?”
प्राकृतिक खेती और स्वास्थ्य: नई राह
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देते हुए उन्होंने कहा, “प्राकृतिक खेती लोगों की आय का साधन बन सकती है। एक लाख हेक्टेयर खेती को इसके साथ जोड़ा जा रहा है। बीमारी से बचाव के बारे में बताना होगा। अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित रखें—समय पर जागना, सोना, आहार लेना—ये बीमारियों को ठीक करते हैं। यम-नियम व्यवस्थित दिनचर्या हैं। आयुष से जुड़े चिकित्सा अधिकारियों को बधाई।”
कर्तव्य पर बल: अधिकार नहीं, जिम्मेदारी
नवचयनित अधिकारियों से अपेक्षा जताते हुए योगी ने कहा, “नियुक्ति पत्र मिलने के बाद अधिकार मानने लगते हैं, ड्यूटी न करना दूसरा अधिकार समझते हैं—यह न हो। जैसा करेंगे, वैसा फल पाएँगे। देश के लिए काम करना है। देश की सेवा ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करने से होती है। जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, वहाँ ईमानदारी से पालन करें। कल के लिए कोई काम न छोड़ें।”
आयुष और स्वास्थ्य पर्यटन: असीम संभावनाएँ
उन्होंने आगे कहा, “हेल्थ और वैलनेस सेंटर, आयुष के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश में असीम संभावनाएँ हैं। आध्यात्मिक क्षेत्र में यूपी को दुनिया में नंबर वन बनाया है। पहले हम अपनी विरासत पर नहीं, आक्रांताओं के भाव को महिमामंडित करते थे। वर्तमान सरकार विरासत पर गर्व करती है। परिणामस्वरूप, आध्यात्मिक पर्यटन में यूपी नंबर वन है। इससे आजीविका के नए साधन बने हैं। काशी, अयोध्या, चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन में लाखों लोगों को रोजगार मिला। इसी को केंद्र में रखकर हेल्थ टूरिज्म की दृष्टि से आयुष पद्धति को आगे ले जाएँगे। पंचकर्म, नेचुरोपैथी, योगासन, प्राणायाम, ध्यान की विधाएँ हैं। आयुष से जुड़े लोग हीनभावना से दूर रहें।”
महाकुंभ और रोजगार: नई पहचान
मुख्यमंत्री ने गर्व से कहा, “महाकुंभ ने उत्तर प्रदेश को नई पहचान दिलाई है। रिस्क तो लेना पड़ेगा। आयुष पद्धति को श्रद्धाभाव से आगे बढ़ाएँ। विकास खंड स्तर पर काम करेंगे, तो नए रोजगार का सृजन होगा, जैसे एक जनपद एक उत्पाद से हो रहा है।”
विधि विज्ञान की भूमिका: कानून का राज
विधि विज्ञान सहायकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अच्छे काम के लिए कानून का राज स्थापित हो। इसके लिए समय पर न्याय मिलना जरूरी है। दोषी को साक्ष्य के आधार पर सजा दिलाने में एफएसएल लैब की सबसे बड़ी भूमिका है। कमिश्नरी स्तर पर एफएसएल लैब और हर जनपद में दो मोबाइल एफएसएल लैब स्थापित करने की तैयारी चल रही है। तकनीकी स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए कार्य हो रहे हैं।”
आजमगढ़ का उदाहरण: बदलाव की मिसाल
उन्होंने कहा, “आजमगढ़ के एक युवा का तकनीकी सहायक के रूप में चयन हुआ है। पहले आजमगढ़ के नाम पर होटल-धर्मशाला में कमरा नहीं मिलता था। आज वहाँ राजा सुहेलदेव विश्वविद्यालय और हवाई अड्डा बन चुका है। यह बदलाव सरकार की ईमानदारी का परिणाम है।”
सरकार की अपेक्षा: शुचिता और पारदर्शिता
समापन में योगी ने कहा, “सरकार ने जितनी ईमानदारी से कार्य को आगे बढ़ाया, नियुक्ति के लिए कोई सिफारिश नहीं की। शासन यही अपेक्षा रखता है कि शुचिता, पारदर्शिता, ईमानदारी और तत्परता आपकी कार्यपद्धति का हिस्सा बने।” इस समारोह में मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, डीजीपी प्रशांत कुमार सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।
संपादकीय टिप्पणी:
“नए उत्तर प्रदेश का स्वर्णिम अध्याय: योगी की दूरदर्शिता और नवचयनित युवाओं की जिम्मेदारी”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लखनऊ में आयोजित समारोह में 283 नवचयनित चिकित्सा अधिकारियों और प्रयोगशाला सहायकों को नियुक्ति पत्र सौंपना न केवल एक प्रशासनिक उपलब्धि है, बल्कि राज्य के नवनिर्माण की दिशा में एक सशक्त कदम भी है। इस अवसर पर उनके संबोधन ने न सिर्फ पिछले आठ वर्षों की प्रगति को रेखांकित किया, बल्कि भविष्य के लिए एक स्पष्ट और प्रेरक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। यह घटना उत्तर प्रदेश के उस परिवर्तन की गवाह है, जो कभी बीमारू कहलाने वाली व्यवस्था से निकलकर आज देश के विकास में सहायक बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने जिस तरह आठ वर्षों में 1.56 लाख पुलिसकर्मियों, शिक्षकों और अन्य विभागों में भर्तियों का उल्लेख किया, वह पारदर्शी और ईमानदार शासन का प्रमाण है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है कि एक ऐसा राज्य, जो कभी अव्यवस्था और अवनति का पर्याय था, आज महाकुंभ जैसे वैश्विक आयोजन की सफलता से अपनी पहचान बना रहा है। योगी का यह कथन कि “बीमार राज्य नहीं, व्यवस्था थी,” गहरे आत्ममंथन को दर्शाता है और यह संदेश देता है कि सही नेतृत्व और नीति से कोई भी चुनौती पार की जा सकती है।
आयुष और विधि विज्ञान जैसे क्षेत्रों में इन नियुक्तियों का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है, क्योंकि ये दोनों विभाग राज्य के स्वास्थ्य और न्याय व्यवस्था के आधार-स्तंभ हैं। योगी ने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही, जो भारत की प्राचीन विरासत को न केवल संरक्षित करने, बल्कि उसे आधुनिक संदर्भ में उपयोगी बनाने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। यह दृष्टिकोण नई पीढ़ी को यह सिखाता है कि अपनी परंपराओं पर गर्व करना और उन्हें वैश्विक मंच पर ले जाना ही सच्ची प्रगति है। साथ ही, तकनीक को कार्यपद्धति का सहायक बनाने और गाँवों के पारंपरिक ज्ञान को सहेजने का उनका आह्वान एक संतुलित विकास मॉडल की ओर इशारा करता है।
हालांकि, मुख्यमंत्री का यह संदेश कि “नियुक्ति के बाद अधिकार न मानें, कर्तव्य निभाएँ,” नवचयनित युवाओं के लिए एक कड़ा लेकिन आवश्यक आह्वान है। यह सही है कि ईमानदारी और तत्परता से काम करने पर ही ये युवा उस नए उत्तर प्रदेश के सपने को साकार कर सकते हैं, जिसकी नींव योगी सरकार ने रखी है। आयुष के माध्यम से स्वास्थ्य पर्यटन और विधि विज्ञान से कानून का राज स्थापित करने की उनकी सोच न केवल रोजगार सृजन करेगी, बल्कि राज्य को आध्यात्मिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर सशक्त बनाएगी।
चुनौतियाँ अभी खत्म नहीं हुई हैं। तकनीकी स्टाफ की कमी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार जैसी समस्याओं पर और ध्यान देना होगा। फिर भी, योगी का यह प्रयास कि उत्तर प्रदेश को आध्यात्मिक पर्यटन में विश्व में प्रथम स्थान दिलाया जाए और काशी, अयोध्या जैसी नगरी रोजगार के केंद्र बनें, एक स्वागतयोग्य पहल है। यह संपादकीय नवचयनित युवाओं से अपील करता है कि वे इस अवसर को केवल नौकरी न समझें, बल्कि इसे देश सेवा का माध्यम बनाएँ। उत्तर प्रदेश का यह नया अध्याय तभी पूर्ण होगा, जब सरकार और कर्मचारी एकजुट होकर इस दृष्टिकोण को साकार करेंगे।
- यूपी के प्रतापढ़ में फीस बकाया होने पर पेपर देने से रोका, आहत नौंवी कक्षा की छात्रा फांसी के फंदे पर झूली, प्रिंसिपल हिरासत में - March 30, 2025
- Agra News: नारी सशक्तिकरण का मतलब बेलगाम होना नहीं, आज पुरुष भी है उत्पीड़ित, महिला शांति सेना ने उठाई कानून में बदलाव की मांग - March 30, 2025
- Agra News: गौवंशों को लेकर चोरी छुपे जा रहा कंटेनर अछनेरा में पलटा, भरे थे 14 गौवंश, 5 जीवित और 9 मृत मिले - March 30, 2025