dr lavkush mishra

तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वैश्विक मुद्दों पर मंथन, भारतीय महिलाएं को दुनिया की सर्वाधिक सफल अर्थ प्रबंधक घोषित

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Agra, Uttar Pradesh, India. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा तथा अमेरिका के हॉवर्ड विश्वविद्यालय व इंटरनेशनल एकेडमी आफ बिजनेस, वाशिंगटन डी.सी. के संयुक्त तत्वाधान में एनवायरमेंटल इश्यूज, सस्टेनेबिलिटी, पॉलिटिक्स एंड इकोनामिक डेवलपमेंट विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हाइब्रिड मोड पर किया गया। इस संगोष्ठी के अंतरराष्ट्रीय संयोजक तथा हावर्ड विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर ग्लोबल बिजनेस स्टडी के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र के रूस्तगी तथा डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रबंधन संकाय के डीन प्रोफेसर लवकुश मिश्रा व इंटरनेशनल एकेडमी आफ बिजनेस अमेरिका के अध्यक्ष तथा कोपन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर इम्यूनल अनुरुओ  ने इसका संयुक्त रूप से सफल आयोजन किया।

 

यह संगोष्ठी कई मायनों में उल्लेखनीय रही। छात्रों और स्थानीय शिक्षकों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली। ज्ञान का आदान प्रदान करने का अवसर प्राप्त हुआ। तमाम नए विषयों पर शोध के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। फिल्म की लोकेशन से जुड़े हुए मुद्दे, इसके निर्माण तथा अन्य समस्याओं पर लोगों का ध्यान पहली बार गया। विदेश से जुड़े हुए बॉलीवुड व इटली के कलाकारों ने बताया कि भारत में लोकेशन के विज्ञापन या प्रचार प्रसार की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण वे लोग इससे अभी तक परिचित नहीं है। अगर इनका प्रचार प्रसार किया जाए तो भारत एक विविधताओं भरा देश है और इस विविधता का लाभ फिल्मों की शूटिंग के लिए पूरे विश्व के फिल्म उद्योग को मिल सकता है। भारत के पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली पर भी चिंतन मनन हुआ।

 

उद्घाटन सत्र में आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी, प्रोफेसर संदीप कुलश्रेष्ठ भारतीय यात्रा एवं पर्यटन प्रबंधन संस्थान,  डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, नाइजीरिया के यूओ विश्वविद्यालय के हावर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नरेंद्र के रुस्तगी तथा कोपिन स्टेट विश्वविद्यालय प्रोफेसर व आईएबी के अध्यक्ष प्रोफेसर एमिनेम अनोरो ने संबोधित किया। साथ ही राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर जे पी सिंघल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

 

संगोष्ठी के प्रथम सत्र में नारी सशक्तिकरण एवं सामाजिक उत्थान विषय पर विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किए। इंडियाना यूनिवर्सिटी अमेरिका की प्रोफेसर सुरेखा राव वह हावर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर तथा वूमेन अंबेडकर फाउंडेशन ऑफ अमेरिका की अध्यक्षा प्रोफेसर मैरिलिन सी फोकल व भारत के मध्य प्रदेश से प्रोफेसर उषा अग्रवाल एवं तमिलनाडु से प्रोफेसर जय श्री घोष ने संबोधित किया। इस सत्र की संयोजिका नॉर्वे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कैटरीना लिनेस थी। विद्वानों ने अपने अपने विचारों के माध्यम से नारी शक्ति को सामाजिक उत्थान के लिए आवश्यक बताया।

 

द्वितीय सत्र- भारत की वर्ष 20 30 तक 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था से संबंधित था। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुनील काबिया ने संचालित किया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री  व लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर मनोज कुमार अग्रवाल ने अपने व्याख्यान दिए। अन्य वक्ताओं में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली के अरविंद कुमार दुबे व अन्य  कई विद्वान थे। कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देशों से अलग है क्योंकि यहां के लोगों की आस्था परिवार व्यव्स्था में है, जिसके मूल में ही बचत की भावना होती है। भारतीय महिलाएं दुनिया की सर्वाधिक सफल अर्थ प्रबंधक कही जा सकती है।

 

संगोष्ठी का तीसरा सत्र आतिथ्य उद्योग में वैश्विक रोजगार की संभावनाएं तथा चुनौतियां था। प्रोफेसर लवकुश मिश्रा ने संचालित किया। जम्मू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर परीक्षित सिंह मनहास, नव नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार के प्रोफेसर विजय करण, अमेरिका से प्रोफेसर निशा सिंह व केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के रणवीर सिंह ने संबोधित किया।

 

संगोष्ठी के चौथे सत्र में आर्थिक विकास में मनोरंजन के योगदान विषय पर वक्ताओं ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। इस सत्र में स्विट्जरलैंड के फिल्म निर्माता व लेखक इसके वेल्डर इटली की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री पाऊला लेनी, हॉलीवुड के निर्माता निदेशक टोनी ट्रेलर, बॉलीवुड से फिल्म निर्माता व निर्देशक सूरज तिवारी, प्रसिद्ध अभिनेता व लेखक अविनाश त्रिपाठी एवं फिल्म एसोसिएशन के बीएन तिवारी ने सहभागिता की।

 

पांचवें सत्र में तकनीकी आधारित वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रोफेसर निमित चौधरी, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के प्रोफेसर प्रशांत गौतम, दयानंद सागर बिजनेस स्कूल बेंगलुरु की डॉक्टर पारुल टंडन, अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय लखनऊ के डॉक्टर डी एस यादव व आई आई टी  टी  एम के डॉ. सौरभ दीक्षित  ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। बताया कि आज के युग में पारंपरिक स्रोतों पर अर्थव्यवस्था को छोड़ा नहीं जा सकता। वैश्विक स्तर पर हो रहे तकनीकी बदलाव को भी अर्थ चिंतन में शामिल किया जाना चाहिए। इसके बिना देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करना संभव नहीं है।

 

छठे सत्र का विषय था – फार्मास्यूटिकल उद्योग और अर्थव्यवस्था। इसमें महाराजा बीर बिक्रम विश्वविद्यालय त्रिपुरा के कुलपति प्रोफेसर सत्यदेव पोद्दार, अमरनाथ अस्पताल आगरा के चेयरमैन डॉक्टर डीपी शर्मा, सवाने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी साउथ अफ्रीका के प्रोफेसर डेविड अरे, डाउनटाउन विश्वविद्यालय के डॉक्टर संतोष उपाध्याय व केरल इंस्टीट्यूट आफ टूरिज्म एंड ट्रैवल स्टडीज के निदेशक डॉ दिलीप एमआर ने अपने-अपने विशेष व्याख्यान दिए। विद्वानों ने बताया कि आमतौर पर देखा गया है कि जीडीपी बढ़ाने के लिए लोग बीमारियों पर होने वाले खर्च के डाटा को भी प्रस्तुत करते हैं, अर्थशास्त्री दृष्टि से यह सही हो सकता है परंतु मानवीय दृष्टि से किसी भी समाज में  बढ़ती बीमारी को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। अगर हम बीमारियों पर होने वाले खर्च को बचा सके तो यह धन  गरीबी उन्मूलन में काम आ सकता है। विद्वानों ने बताया कि भारतीय परंपरा में सम्मिलित आयुष से संबंधित आयुर्वेदिक और घरेलू नुस्खों से भी छोटे-मोटे इलाज किए जा सकते हैं। पूरी दुनिया ने कोरोना के काल में देखा कि भारतीय रसोइयों में उपलब्ध मसाले जैसे हल्दी, तुलसी, लोंग आदि के माध्यम से इमुनीटी बढाने मे बहुत मदद मिली थी।

 

इसके अलावा दयालबाग विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सोना दीक्षित, आगरा विश्वविद्यालय के डॉ. कौशल राना, डॉ राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के डॉक्टर नीरज शुक्ला व रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के डॉ अजय कुमार मिश्र, सुभारती मेरठ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शिव मोहन वर्मा, भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय, सोनीपत के डॉक्टर पंकज मिश्र,  रयात बाहरा विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ की प्रोफेसर मधुमिता, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ. सुभाष चंद रमोला, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ जटाशंकर तिवारी व थाईलैंड के केलॉन्ग लॉऊन्ग  तकनीकी विश्वविद्यालय के डॉक्टर सुदिप्ता मुखर्जी आदि ने भी अपने अपने विचार व्यक्त किए।

 

इसके साथ ही साथ अंतरराष्ट्रीय जादूगर तथा गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड होल्डर डॉ0 के सी पांडे ने भी अपनी जादू की कला का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया। डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की कुलपति प्रोफेसर आशू रानी ने कहा कि वे इसे दो क्रेडिट के रूप में पाठ्यक्रमों में सम्मिलित करेंगी। इसके अलावा इस संगोष्ठी में सामाजिक कार्यकर्ता मुन्नालाल मिश्र को भी हिन्दी में अपनी पर्यावरण पर लिखी कविता का पाठ करने का अवसर प्रदान किया गया।

Dr. Bhanu Pratap Singh