आगरा के जिला महिला अस्पताल में नवजात के जन्म के साथ ही एक नया रिवाज शुरू हो गया है। यह रिवाज है ‘नेग’ का, जिसमें नर्सें नवजात के बदले में मोटी रकम वसूल रही हैं। यह रकम 1100 रुपये तक पहुंच गई है। प्रसव कराने वाली नर्सें महीने में छह लाख रुपये से भी अधिक वसूल रही हैं। यह मामला इतना गंभीर हो गया है कि अगर यह रकम न दी जाए तो नवजात को माता-पिता को सौंपने से इनकार कर दिया जाता है। यह व्यवस्था न केवल अमानवीय है, बल्कि कानून का भी घोर उल्लंघन है।
इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब तबके के लोग हो रहे हैं। इनके लिए यह रकम एक बड़ी राशि होती है। कई बार तो परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब होती है कि वे यह रकम जुटाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में उन्हें अपने नवजात को पाने के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
हाल ही में मैनपुरी के करहल सीएचसी पर नेग के चक्कर में नवजात की मौत हो जाने का मामला सामने आया है। परिजन का आरोप है कि नेग के 5100 रुपये न देने पर नवजात को नर्स ने कपड़े में लपेटकर 40 मिनट तक मेज पर रख दिया। इससे उसकी मौत हो गई। हालांकि स्वास्थ्य विभाग जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन परिवार को दे रहा है।
आगरा जिला महिला अस्पताल के गेट पर ऑटो में बच्चा हो गया। फिर भी अस्पताल में 1100 रुपये नेग के लिए गए। पति बेरोजगार हैं। हमने 500 रुपये लेने को कहा तो बच्चा नहीं दिया। – रजनी, सेवला निवासी
नेग के नाम पर जबरन वसूली करते हैं। मेरी बहू के लड़की हुई फिर भी 1100 रुपये ले लिए। अस्पताल में पीने का पानी भी नहीं है लेकिन नेग पूरा लेते हैं। – मुन्नी, बोदला
नेग लेने पर बच्चा गोद में दिया। कम रकम देने पर नहीं मानते। इंजेक्शन, दवा भी बाहर से मंगाना पड़ता है। – खुशी, मधु नगर
नेग देना जरूरी हो गया है। मजबूरी में देना ही पड़ता है। डर लगता है कि न देने पर बच्चे को कुछ कर न दें। – मिथिलेश, लगड़े की चौकी
लोगों की मांग है कि इस अवैध वसूली पर तुरंत रोक लगाई जाए। वे चाहते हैं कि अस्पताल में सभी सुविधाएं मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएं। साथ ही, दोषी नर्सों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला महिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षक डॉ. रचना गुप्ता ने इस मामले में जांच का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि उनके स्तर से नेग लेने का कोई आदेश नहीं है। अगर ऐसा हो रहा है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को उजागर करता है, बल्कि भ्रष्टाचार की गहराई को भी दर्शाता है। एक सरकारी अस्पताल में जहां लोगों को मुफ्त इलाज मिलना चाहिए, वहां नर्सें मोटी रकम वसूल रही हैं। यह बेहद शर्मनाक है।
इस मामले में सवाल जो उठ रहे हैं
क्या सरकार इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई करेगी?
क्या दोषी नर्सों को बख्शा जाएगा?
क्या इस मामले में किसी उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया जाएगा?
क्या सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी?
आगरा के जिला महिला अस्पताल में नवजात पर ‘नेग’ का दंश एक गंभीर समस्या है। इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करे और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो भविष्य में भी ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।
यह मामला एक बार फिर हमें यह याद दिलाता है कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की क्या दयनीय स्थिति है। गरीब लोगों को अपनी जान बचाने के लिए भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
सवाल उठता है कि आखिर कब तक देश के गरीब लोगों को इस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा?
-मोहम्मद शाहिद
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