agra airport

आगरा हवाई अड्डा पर सिविल टर्मिनल बनाए जाने में बड़ा खुलासा

BUSINESS REGIONAL

Agra, Uttar Pradesh, India. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इण्डिया ने आगरा में नये सिविल टर्मिनल बनाये जाने के लिए पर्यावरणींय स्वीकृति के वास्ते पर्यावरण मंत्रालय में 26 मार्च, 2018 को आवेदन पत्र लगाया था। मंत्रालय ने 08 मई 2020 को डीलिस्ट कर निस्तारित कर दिया। इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आज तक कोई भी आवेदन पत्र नहीं लगाया गया है। इस बात का खुलासा एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा सूचना अधिकार के अन्तर्गत आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ है।

 

उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आगरा के नये टर्मिनल की बिल्डिंग के निर्माण के लिए 31 मई 2018 को निविदाएं आमंत्रित की गयीं थीं। इसके क्रम में 4 एजेन्सियों के द्वारा एन0आई0सी0 पोर्टल पर निविदाएं दी गईं। सबसे कम मूल्य के निविदादाता टाटा प्रोजेक्टस लि0 थे लेकिन उनकी निविदा को 28 अगस्त 2020 को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी को पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिली थी और निविदादाता टाटा प्रोजेक्स लि0 ने अपनी निविदा की समयावधि को भी नहीं बढ़ाया था।

 

उपलब्ध करायी गयी सूचना के आधार पर अधिवक्ता जैन द्वारा यह प्रश्न उठाया गया कि जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 11 दिसम्बर 2019 को रिट याचिका सं0 13381/1984 में आई0ए0 सं0 160194 वर्ष 2018 से नये टर्मिनल की बिल्डिंग बनाने की अनुमति प्रदान कर दी थी तो एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा 28 अगस्त 2020 को टाटा प्रोजेक्ट्स लि0 की निविदा को निरस्त क्यों किया गया? यही नहीं, जब पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरणींय स्वीकृति का प्रार्थना-पत्र 08 मई 2020 को डीलिस्ट कर दिया उसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा पुनः पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 2 वर्ष की अवधि व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी कोई प्रार्थना पत्र क्यों नहीं लगाया गया है।

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा ग्राम धनौली, अभयपुरा और बल्हेरा लगभग 20 हैक्टेयर भूमि बाजार मूल्य का 4 गुना कीमत देकर लगभग 253 करोड़ रुपये में अर्जित की गयी है और उसे एयरपोर्ट अथॉरिटी को ही दे दिया गया है जिसके द्वारा बाउण्ड्री वॉल अधिकांशतः बन गयी है इतनी बड़ी धनराशि से अर्जित की गयी भूमि अनुपयोगी पड़ी है जिसके कारण प्रतिदिन आर्थिक हानि हो रही है। एयरपोर्ट अथॉरिटी को नये टर्मिनल के लिए पुनः निविदाएं आमंत्रित कर निर्माण कार्य प्रारम्भ करना चाहिए। जहां तक सुप्रीम कोर्ट में एअरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा फ्लाइटों की संख्या बढ़ाने के लिए लगाये गये प्रार्थना पत्र का प्रश्न है वह समय रहते स्वीकृत हो जायेगा क्योंकि दुनिया में किसी भी एयरपोर्ट पर फ्लाईट्स की संख्या पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं है। नीरी द्वारा भी अपनी संस्तुति दे दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट भी निश्चित रूप से फ्लाईटों की संख्या पर लगाये गये प्रतिबन्ध को शिथिल कर देगा। 30,000 वर्गमीटर क्षेत्र का सिविल टर्मिनल भवन पर्यटन उद्योग के लिए एक नयी सुखद सुविधा होगी जो एअरफोर्स के प्रतिबन्धों से मुक्त होगी।

 

आगरा डवलपमेन्ट फाउण्डेशन के अध्यक्ष पूरन डावर के द्वारा भी क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि जो निविदा टर्मिनल बिल्डिंग के निर्माण के लिए मई 2018 में 398 करोड़ रुपये की आयी थी, वह निविदा यदि अब आमंत्रित की जाये तो 4 साल के अन्तराल में हुई मूल्यों में वृद्धि को देखते हुए कम से कम 20 प्रतिशत अधिक आयेगी जिससे एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी अनुमानतः 80 करोड़ का नुकसान होगा। यही नहीं नयी टर्मिनल न बनने के कारण जो नुकसान उद्योगों और पर्यटन का हो रहा है, वह अलग है। राज्य सरकार द्वारा भूमि अर्जन में विनियोजित बड़ी राशि शहर के लिए लाभप्रद हो।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh