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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. शिव पैलेस में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में वृंदावन से पधारी देवी महेश्वरी श्रीजी ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव के तत्पश्चात श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। मधु मंगल, कालिया वध,पूतना वध अकासुर और बकासुर वध आदि प्रसंगों का विस्तार से वर्णन किया।
गिरिराज पूजन की कथा सुनाते हुए देवी जी ने बताया, एक दिन की बात है पूरे गोकुल में चहल पहल दिखाई दे रही थी। यह सब देखकर श्री कृष्ण ने माता यशोदा और नंद बाबा से पूछा कि यह सब क्या हो रहा है। तब उन्होंने बताया कि यह इंद्र पूजन की तैयारी चल रही है। वह हमारे वर्षा के देवता हैं। हमारी फसलों के लिए वर्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिए हम उनकी पूजा करने जा रहे हैं। यह सुन श्री कृष्ण ने कहा कि आप लोग इनकी पूजा ना करके जो स्वयं प्रत्यक्ष देवता हमारे समक्ष विद्यमान है उनकी करें और नंद बाबा यशोदा सहित गोकुल वासियों को भी गिरिराज पूजन के लिए तैयार किया। गिरिराज पूजन की तैयारी होने लगती है। 56 भोग बनता है।

सभी लोग बैलगाड़ियों में समान लाद कर गिरिराज पूजन के लिए प्रस्थान करते हैं। यह देख इंद्र को क्रोध आ जाता है और वह मूसलाधार बारिश करने लगते हैं। तब भगवान श्री कृष्ण ने गिरिराज पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर धरण कर समस्त बृजवासियों, पशु, पक्षी, जीव जंतु की उस वर्षा से रक्षा करते हैं और अगस्त मुनि को समस्त जल को ग्रहण करने की करने की आज्ञा देते हैं।

गिरिराज पूजन का सजीव झांकियों के माध्यम से प्रदर्शन भी किया गया। समस्त भक्त श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए और नृत्य करने लगे।

आज की झांकी में ओम तोमर को गोवर्धन स्वरूप बनाया गया। सभी कथा श्रोताओं ने गोवर्धन स्वरूप को आरती उतारी
इस अवसर पर आगरा कथा समिति अध्यक्ष गोविंद शर्मा, संयोजक मुकेश नेचुरल, अजय गोयल, मुकेश चंद गोयल, कालीचरण गोयल, अगम गौतम, अरुण सिंह की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
प्रसादी में महेश गोयल, शकुन बंसल कातिब ने 56 भोग एवं माखन मिश्री का भोग लगाया। दैनिक यजमान श्रीप्रकाश सिंह,सीमा सिंह रहे।
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