नई दिल्ली। ‘आरोहण’ भविष्य का उपन्यास है जो साहित्य के साथ-साथ देश में विज्ञान साक्षरता को बढ़ाने में भी अहम योगदान देगा और हिंदी को समृद्ध करेगा। यह एक नए ग्रह, एक नई दुनिया की सैर पर ले जानेवाला उपन्यास है। यह बात कही केंद्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने। उन्होंने शुक्रवार शाम इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में इस उपन्यास का लोकार्पण किया। चर्चित लेखिका साधना शंकर के इस उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस मौके पर वरिष्ठ लेखक डॉ.साधना शर्मा, चर्चित कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी और वरिष्ठ लेखक-अनुवादक सूरज प्रकाश ने भी अपने विचार रखे।
विशिष्ट अतिथि के बतौर कार्यक्रम में आमंत्रित कवि लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने कहा, आरोहण साधना शंकर के अंग्रेजी उपन्यास का अनुवाद है मगर इसका हिंदी अनुवाद इतनी खूबसूरती से हुआ है कि इसको पढ़ने में मूल किताब वाला आनन्द मिलता है । लेखक ने अपनी कल्पना से एक अलग और अद्भुत पृथ्वी की रचना की है। निश्चय ही इससे हिंदी साहित्य समृद्ध होगा और यह आने वाले लेखकों को विज्ञान कथाएँ लिखने के लिए प्रेरित करेगा।
मुख्य वक्ता के रूप में लेखक डॉ. साधना शर्मा ने कहा कि आरोहण एक अद्भुत रचना है। लेखक ने अपनी कल्पना से एक ऐसा संसार रचा है जो आपको एक अलग ही दुनिया की सैर कराता है। यह किताब पाठक को अपनी वर्तमान दुनिया से कहीं दूर ले जाती है। जहाँ मनुष्य अपनी प्राकृतिक सीमाओं को भी लाँघ सकता है। फैमिनिस्ट दृष्टिकोण भी इस उपन्यास में लगातार चलता रहता है’।
आरोहण की लेखक साधना शंकर ने अपने विचार रखते कहा, यह मेरा पहला उपन्यास है जो हिंदी में अनुवाद के रूप में प्रकशित हुआ है। यह उपन्यास एक संभव भविष्य के बारे में बतलाता है। मैंने इसे किसी डिस्टोपिया की तरह नहीं लिखा है। सिर्फ एक संभावना का संकेत किया है जिसमें मानवीय मूल्यों के लिए मेरी चिंता स्पष्ट है। उन्होंने कहा, मुझे इस साइंस फिक्शन को लिखने में पांच वर्ष लगे थे’। साधना शंकर ने मौके पर अपनी पुस्तक से उपस्थित श्रोताओं के लिए अंश पाठ भी किया।
अनुवादक सूरज प्रकाश ने कहा कि इस उपन्यास को अनुवाद करने में एक बड़ी चुनौती यह थी कि इसमें इस्तेमाल अनेक शब्दों का कोई हिंदी पर्याय उपलब्ध नहीं था। यह उपन्यास प्रश्नों से शुरु होता है,आगे उत्तर आते रहते हैं और प्रश्न भी आते रहते हैं जो एक चुनौती वाला काम था।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में केन्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, आरोहण में भविष्य का उपन्यास है। इसमें स्त्री पुरुष के परस्पर संबंधों पर विचार किया गया है। उनके सह अस्तित्व पर विचार किया गया है लेकिन इसमें स्त्रीवाद नही है, बेशक उसका जिक्र आता है और वह इस उपन्यास में चलता रहता है। मुझे आशा है कि यह उपन्यास साहित्य के साथ साथ विज्ञान साक्षरता में भी मील का पत्थर साबित होगा। यह अंग्रेजी का अनुवाद है, पर यह हिंदी को समृद्ध करेगा और देश को भाषा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा।
इससे पहले राजकमल प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने लोकार्पण में शामिल सभी लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि आरोहण उपन्यास हमारे लिए और तमाम हिंदी पाठकों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह इस बात का उदाहरण है कि कल्पना कितनी सृजनशील हो सकती है। यह हमेँ वैज्ञानिक और रचनात्मक दिशा में प्रेरित करने वाली कृति है।
गौरतलब है कि ‘आरोहण’ पाठक को अपनी वर्तमान दुनिया से कहीं दूर ले जाने वाला उपन्यास है। जहाँ मनुष्य अपनी प्राकृतिक सीमाओं को भी लाँघ सकता है।विज्ञान कथाओं को जो पाठक अविश्वसनीय कल्पनाओं की उड़ान मानते हैं, और दूसरे ग्रहों से आनेवाले मनुष्य-विरोधी प्राणियों, एलियनों की विचित्र शक्लों से ऊब चुके हैं, उनके लिए यह उपन्यास एक ताजा हवा की तरह है।
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